शिवनार प्राकृतिक स्थल उपेक्षा का शिकार | Shivnar prakratik sthal upeksha ka shikar

शिवनार प्राकृतिक स्थल उपेक्षा का शिकार

शिवनार प्राकृतिक स्थल उपेक्षा का शिकार

डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - जिला डिंडौरी अंतर्गत करंजिया जनपद के घने जंगलों और पहाड़ों के बीच स्थित आकर्षक स्थल शिवनार प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है। आलम यह है कि इस मनोरम स्थल तक पहुंचने के लिए मार्ग भी नहीं है। लंबे समय से इस आकर्षक स्थल को विकसित करने की मांग की जा रही है, लेकिन अब तक कोई पहल न होना कई सवाल खड़े कर रहा है। हरे-भरे जंगलों के बीचों बीच बसा शिवनार जहां चारों तरफ सिर्फ जंगल ही जंगल होने के साथ वर्षों पुरानी गुफा है। गुफा के ऊपर से जलप्रपात का अद्भुत नजारा देखते ही बनता है। इस स्थल पर कई वर्षों से शिवलिंग स्थापित है। यह आकर्षक स्थल करंजिया विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत उमरिया के पोषक ग्राम ददरगांव से 3 किलोमीटर की दूरी पर जंगलों और पहाड़ों के नीचे स्थित है। पिकनिक स्थल के रुप में इस स्थान को विकसित करने की मांग भी की जा रही है।

शिवनार प्राकृतिक स्थल उपेक्षा का शिकार

न सड़क है और न लाइट

शिवनार तक पहुंचना लोगों के लिए बहुत मुश्किल कार्य है। इसके लिए शासन की तरफ से कोई सड़क का निर्माण नही कराया गया है। बड़े-बड़े पत्थरों के बीच पगडंडी और ऊबड़-खाबड़ मार्ग से होकर लोग यहां तक पहुंचते हैं। शाम होते ही यहा अंधेरा छा जाता है। ग्रामीणों का आरोप है कि मांग के बाद भी प्रशासन ने इस स्थल में विद्युत आपूर्ति तक की व्यवस्था नहीं की है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार जिला प्रशासन को सड़क निर्माण के लिए प्रस्ताव भी पंचायत से बनवाकर भेजा गया है लेकिन कोई पहल नहीं हो सकी।

शिवनार प्राकृतिक स्थल उपेक्षा का शिकार

धार्मिक स्थल के रुप में मशहूर है शिवनार

शिवनार में पौराणिक काल से शिवलिंग की पूजा-अर्चना की जाती रही है। जैसे-जैसे लोगों को इस स्थान की जानकारी लगती गई लोग यहां पहुंचने लगे। ग्रामीण बताते हैं कि इस स्थान का अपना ही महत्त्व है। जलप्रपात के पास झरने के पानी से सभी तरह के त्वचा रोग ठीक हो जाने की बात भी स्थानीय लोग बताते हैं। यहां लगे गुलबकवली के पौधों के रस से आंखों से संबंधित सभी रोग में भी आराम मिलता है। ग्रामीणों की मानें तो लोग गुलबकवली और यहां के पानी को लेने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।

महाशिवरात्रि पर लगता है मेला

शिवनार में महाशिवरात्रि पर मेला लगता है। आसपास के ही व्यापारी और लोग यहां पहुंचते हैं, जबकि सावन में श्रद्घालुओं द्वारा जल चढ़ाया जाता है। बताया गया है बारिश के दिनों में यहां जाना मुश्किल होता है। इसके बाद भी लोग यहां अधिक संख्या में पहुंचते हैं। ग्रामीणों ने बताया कि शिवनार में प्रकृति ने जलप्रपात और वषोर् पुराना शिवलिंग स्थापित है, जिससे पर्यटकों को यह स्थल आकर्षित करेगा। बताया गया कि जिस तरह अमरकंटक के कपिलधारा में जलप्रपात है। ठीक उसी तरह यहां भी जलप्रपात देखने के लिए पर्यटक आ सकते हैं। जरूरत है तो बस प्रशासनिक पहल की जिससे इस स्थान का विकास हो सके।

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