जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगी पुस्तक "जिंदगी न मिलेगी दोबारा" | Jivan main sakaratmak badlao laegi pustak jindagi na milegi dobara

जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगी पुस्तक "जिंदगी न मिलेगी दोबारा"

जीवन में सकारात्मक बदलाव लाएगी पुस्तक "जिंदगी न मिलेगी दोबारा"

इंदौर। शिखर चंद जैन हिंदी के उन बिरले लेखकों में से हैं जिन्होंने कलम को अपने जीवन यापन का साधन बनाया है । उन्हें सही मायने में कलमजीवी लेखक कहा जा सकता है। ऐसे समय में जब पत्रिकाएं और समाचारपत्र लगातार बंद हो रहे हों , वेब पत्रकारिता के कारण आय के साधन लगातार सिकुड़ते जा रहे हों, ऐसे विपरीत हालात में भी लेखन के बल पर जिंदगी की जंग में डटे रहना बहुत कठिन किस्म का बल्कि यूं कहिए कि काफी दुस्साहसी किस्म का कार्य है। वे लोग जो पेशेवर लेखन यानी प्रोफेशनल राइटिंग कर चुके हैं, वे जानते हैं कि यह डगर कितनी मुश्किल है और इस पर चलने के लिए कैसे-कैसे पापड़  नहीं बेलने पड़ते। मसलन आपको अपने आंख नाक कान हमेशा खुले रखने पड़ते हैं। आपको हर तीसरे विषय पर, घटना पर, पर्व पर दृष्टि रखनी पड़ती है जिसके लिए  अखबार पत्रिका में  जगह बन सकती है। उसे लगातार खुद को अपडेट करते रहना पड़ता है। और सिर्फ अपडेशन से ही काम नहीं चलता, आपको दुनिया भर के अलग-अलग विषयों पर हर बार अलग भाषा अलग शैली और प्रस्तुतीकरण के नए उपकरणों के साथ आगे बढ़ना होता है। ऐसे में कई बार चीजें तात्कालिक महत्व की होती हैं जिनका जीवन अखबार या पत्रिका की आवश्यकता के अनुसार बहुत कम होता है या यूं कहिए क्षणभंगुर होता है। कुछ ऐसी होती हैं जो एक विशेष समय के बाद बासी प्रतीत होने लगती हैं।बहुत कम रचनाएं ऐसी होती है जिनका प्रभाव दीर्घकालिक होता है और उन पर अप्रासंगिक  होने का ठप्पा भी नहीं लगाया जा  सकता । यही रचनाएं होती हैं जो एक  लेखक को प्रेरित करती हैं कि वह उन्हें एकत्रित करके, उनमें अपेक्षित संपादन करके, उन्हें एक किताब की शक्ल दे दे। मोटिवेशनल लेखन इसी श्रेणी में आता है। इस श्रेणी की कृतियों  को पाठक हमेशा मिले हैं । स्वेट मार्डन, शिव खेड़ा आदि लेखकों की कृतियों की रिकॉर्डतोड़ बिक्री इस बात का प्रमाण है।  इन यशस्वी   लेखकों  की  सूची में एक और नाम जुड़ने जा रहा है जो पूरी तैयारी और समर्पण के साथ इस मैदान में उतरा है ।और वह नाम है प्रसिद्ध लेखक शिखर चंद जैन का। 


सामान्य तौर पर मोटिवेशनल लेखक की सफलता इस बात से नापी जाती है कि  वह विचारोत्तेजक सामग्री परोसने के साथ गहराई में जाकर समस्याओं का विश्लेषण करेगा और उनके समाधान सुझाते समय ऐसी भाषा शैली में पाठकों से संवाद करेगा जो दुरुहता से सुरक्षित दूरी बनाकर रहे , भाषाई आडंबर और पांडित्य प्रदर्शन से खुद को बचाकर चले  और जो सरल सहज शैली में पाठक तक अपनी पहुंच बना ले ।शिखर चंद जैन की यह कृति इस कसौटी पर पूरी तरह खरी उतरती है। इसमें लेखक मानव स्वभाव के गहरे अध्ययन के आधार पर समकालीन परिप्रेक्ष्य में  व्यक्ति के तनावों, अवसाद, एकाकीपन, हीनभावना  आदि की जटिलताओं को पहले स्वयं समझने की कोशिश करता है और फिर सरल- सहज, सर्वग्राहय  भाषा में  उनके समाधान प्रस्तुत करने की ईमानदार और गंभीर कोशिश करता है । इस कोशिश में उसका भरसक प्रयास रहता है कि वह भाषाई स्तर पर  न तो स्वयं को विद्वान साबित करने की कोशिश करे और न ही निर्णायक की मुद्रा की  में आकर पाठकों पर अपने विचार आरोपित करने के प्रयास करे। इसके स्थान पर वह  मित्रवत रूप में ऐसे सुझाव देता  है जो सामान्य रूप से नकारात्मकता की समस्या से ग्रस्त व्यक्ति को सकारात्मकता के रास्ते की ओर ले जाने की चेष्ठा करते  हैं। वह सामान्य रूप से तनाव , अवसाद, आदि के रोगियों को ही मानसिक चिकित्सा देने का प्रयास नहीं करता अपितु उन लोगों के लिए  भी सामग्री उपलब्ध कराता है जो स्वयं को बेहतर बनाने की प्रक्रिया में सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। ऐसे मामलों में लेखक स्वयं पर ही भरोसा करके शांत नहीं बैठ जाता अपितु वह देश विदेश के प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिकों  विद्वानों के उदाहरणों की कसौटी पर भी उन समस्याओं को कसना चाहता है और उन में से रास्ता खोजने की कोशिश भी करता है। इस इस पूरे प्रकरण में उसकी कोशिश यह रहती है कि उसकी बात बेहतर ढंग से स्पष्ट होकर पाठक तक पहुंचे। मुझे यह कहने में कतई संकोच नहीं है कि शिखर चंद जैन की यह कृति अपने उद्देश्य में पूर्णतय: सफल रही है।

इस कृति की एक बड़ी विशेषता उसका विषय वैविध्य है। लेखक का प्रयास रहा है कि वह जीवन के अधिक से अधिक क्षेत्रों की विसंगतियों ,बाधाओं ,चुनौतियों  और उससे जुड़े तनावों को व्याख्या करें उनसे लड़ने के तरीकों पर प्रकाश डाले जो वास्तविकता के निकट हो। यही कारण है कृति में  अलग-अलग विषयों पर प्रभावी लेख देखने को मिलते हैं जो पाठक को बेहतर मनुष्य बनने की प्रेरणा देते हैं और उसके कष्टों  को दूर करने की चेष्टा भी करते हैं। मैं इनमें से कुछ लेखो के शीर्षकों का उल्लेख कर रहा हूं जो कृति की  सामग्री के विषय में स्पष्ट संकेत देते हैं। ऐसे शीर्षक - ऐसे बढ़ाएं अपना विल पावर, आपकी जिंदगी बदल देंगे ये विचार, हर हार में छिपे हैं जीत के सबक , ऐसे बढ़ती है हमारी कार्य क्षमता ,  1000 शिकायतें दूर कर सकता है सॉरी, फिर आएगा जिंदगी को जीने का मजा , जिंदगी में नयापन आदि है। ये लेख आपको अपने जीवन में अामूल चूल परिवर्तन लाने के लिए प्रेरित करते हैं , आप की कठिनाइयों को समझने का दावा करते हैं ,उनका गहन विश्लेषण करते हैं ,फिर आपको एक बेहतर मनुष्य बनने के टिप्स देते हैं। यही इन लेखों की सफलता है।

मैं अगर अपनी बात करूं तो इस भूमिका को लिखते हुए मुझे  रह रह कर ऐसा अनुभव हुआ कि इन लेखों के माध्यम से मैं भी अपने जीवन में कुछ सकारात्मक बदलाव ला सकता हूं। मेरा मानना है कि जब ऐसा मुझे लग सकता है तो ऐसा आपको भी  लग सकता है। तो आइए इस अनुभव से गुजरने के लिए इस किताब के पन्ने पलटिये और  देखिए कि नकारात्मकता को एक तरफ धकेलते हुए सकारात्मकता आपको अपनी बाहें खोलकर  बुला रही है। सच बताइए ऐसे आमंत्रण को कोई ऐसे अस्वीकार कर सकता है क्या ?

इन्हीं शुभकामनाओं के साथ


सुभाष चंदर

 (सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार)

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