चार माह से थमे बसों के पहिए, आर्थिक तंगी से जूझ रहा बस कर्मियों के परिवार | Char maha se thame buso ke pahiye
चार माह से थमे बसों के पहिए, आर्थिक तंगी से जूझ रहा बस कर्मियों के परिवार
डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - कोरोना संकट के चलते विगत लगभग चार माह से जिले भर में बसों का संचालन बंद है। बस के कंडक्टर, ड्राइवर, क्लीनर, बुकिंग एजेंट का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। स्थिति यह है कि बस कर्मियों को अपने परिवार का भरण पोषण करना भी मुश्किल हो गया है। राज्य परिवहन बस स्टैंड के साथ मंडला बस स्टैंड में प्रतिदिन डेढ़ सैकड़ा से अधिक बसों का आना जाना लगा रहता था। जिले के बड़ी संख्या में लोग बसों में कंडक्टर, ड्राइवर और क्लीनर के रुप में कार्य कर जीविका से जुड़े हुए थे। जबलपुर की भी अधिकांश बसों में डिंडौरी जिले के ही ड्राइवर रहते हैं। लंबे समय से बसों का संचालन बंद रहने के चलते सभी कर्मी बेरोजगार हो गए हैं। अधिकांश के परिवार के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। शासन प्रशासन से भी संबंधितों को कोई मदद मिलती नजर नहीं आ रही है।
पूरी तरह सड़क मार्ग पर निर्भर है जिलाः
डिंडौरी जिले में आवागमन पूरी तरह से सड़क मार्ग पर निर्भर है। ग्रामीण अंचलों में भी दौड़ने वाली बसें बंद हैं। जबलपुर, शहडोल, अनूपपुर, मंडला, बिलासपुर, रायपुर, नागपुर, सिवनी, उमरिया, इलाहाबाद, भोपाल सहित अन्य महानगरों तक चलने वाली बसें बंद हैं। ऐसी स्थिति में आवागमन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। मध्यम वर्ग और गरीब तबके के लोग इलाज कराने भी नागपुर और जबलपुर नहीं जा पा रहे हैं। जो लोग जा रहे हैं उन्हें मजबूरी में चार पहिया वाहन बुक कर ले जाना पड़ रहा है। ऐसे में आर्थिक तंगी से जूझ रहे लोगों की मुसीबत और बढ़ गई है। ग्रामीण अंचलों से भी लोग जिला मुख्यालय आसानी से नहीं आ जा पा रहे हैं।
बस स्टैंड में नहीं दिखती चहल पहलः
बसों का संचालन बंद होने से इसका असर व्यापार में भी पड़ रहा है। बस स्टैंड के आसपास की अधिकांश दुकानों में सन्नाटा रहता है। राज्य परिवहन बस स्टैंड के साथ मंडला बस स्टैंड में प्रतिदिन हजारों लोगों का आना जाना लगा रहता था। बसों का संचालन बंद होने से यहां भीड़ भाड़ भी नहीं रहती। चाय, पान का ठेला लगाने वाले लोग भी व्यापार न होने से परेशान हैं। इसके अलावा होटल सहित अन्य दुकानों का भी व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। लॉकडाउन खुलने के बाद जो लोगों की उम्मीदें जगी थीं वो पूरी नहीं हो पा रही हैं।
समस्याओं को लेकर सौंप चुके हैं ज्ञापनः
आर्थिक तंगी से जूझ रहे बस कर्मियों द्वारा समस्याओं को लेकर प्रशासन को ज्ञापन भी सौंपा गया था। बस ऑपरेटर किराया बढ़ाने के साथ लॉकडाउन के दौरान बीमा और टैक्स की राशि माफ करने की मांग कर रहे हैं। गौरतलब है कि कोरोना महामारी के चलते शारीरिक दूरी बनाने के उद्देश्य से बस में यात्रियों की बैठक संख्या आधी कर दी गई है। ऐसे में बस ऑपरेटरों की मांग है कि डीजल की कीमत बढ़ने और बस में सवारी कम बैठने से खर्चा नहीं निकल सकेगा। ऐसे में किराया बढ़ाने की मांग की जा रही है। मंत्रीमंडल का विस्तार हो चुका है। परिवहन विभाग का जिम्मा किसी भी मंत्री को मिलने के बाद समस्या के समाधान की आशा अब जाग रही है।
इनका कहना है
जो हमारी मांगें हैं यदि वे पूरी नहीं होती तो बस चलाना मुश्किल होगा। मामला न्यायालय में है। उम्मीद है के एक सप्ताह के अंदर बस ऑपरेटरों के हित में निर्णय होगा। कोरोना संकट के चलते लगभग चार माह से सभी बसों का संचालन बंद है। बस के ड्राइवर, कंडक्टर, क्लीनर, बुकिंग एजेंट सहित सभी लोग आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। बस ऑपरेटर्स भी न तो बसों की किश्त जमा कर पा रहे हैं और न ही टैक्स जमा करने की स्थिति में हैं। शासन को टैक्स पूरे तरीके से माफ करना चाहिए। साथ ही कंडेक्टर, ड्राइवरों की भी आर्थिक मदद होनी चाहिए।
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