अहिंसा तीर्थ प्रणेता राष्टसंत आचार्य श्री 108 प्रमूखसागरजी महाराज ने जैन मांगलीक भवन मै प्रवचन दीये | Ahinsa tirth praneta rashtsant acharya shri 108 pramukh sagar ji maharaj
अहिंसा तीर्थ प्रणेता राष्टसंत आचार्य श्री 108 प्रमूखसागरजी महाराज ने जैन मांगलीक भवन मै प्रवचन दीये
जावरा (यूसुफ अली बोहरा) - आचार्य श्री के मुखारबिंद से कहा गया जो सुख मोक्ष में है वह इस संसार में मिल जाए तो फिर हमें मोक्ष की आवश्यकता क्या है रामदेव बाबा ने आपको योगा में अटका दिया और आप यहां पर में लग गए और आप आदमी को पहला काम साइकल जरूर चलाना चाहिए और तेरना अवश्य चाहिए तो आपको दवा खाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और महिलाओं को चक्की चलाना और पानी खींचना तो कमर दर्द खत्म हो जाएगा साइकिल आपको शिक्षा दे रही है एक पीड़ित आता है और जाता है इस प्रकार सुख दुख आते जाते रहते हैं उसे चीन को लानी पड़ती को दिखती नहीं है भगवान का शव शरण जहां जाता है तो वहां गाय और शेर एक जगह पानी पीते थे और सांप और नेवला भी एक जगह बैठते थे संसार के सुख और मोक्ष सुख में अंतर क्या है सब लोग अच्छे हो जाते हैं किंतु कुछ लोग पारस मणि के सर पर में आने से उस पर असर नहीं होता उसी प्रकार से कुछ मनुष्य बदलते नहीं है मोक्ष सुख एक बार मिल जाएगा मैं बार-बार जन्म मरण करना नहीं पड़ता है और संसार का सुख बार-बार दुखों के साथ या सुख के साथ मिल जाएगा यहां जानकारी चातुर्मास समिति के पवक्ता रीतेश जैन ने दी
Comments
Post a Comment