सुभाष भाई यादव की पुण्यतिथि पर अंजड नगर के कार्यकर्ताओं ने दी श्रद्धांजलि
अंजड़ (शकील मंसूरी) - कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुभाष यादव का राजनीतिक जीवन संघर्षपूर्ण रहा है। खरगोन जिले के ग्राम बोरावां में एक अप्रैल 1946 को कृषक परिवार में जन्मे श्री यादव ने कृषि विषय के साथ स्नातक स्तर की शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने गृह गांव में कृषि व्यवसाय को चुना और उन्नत खेती के कई सफल प्रयोग किए।
सुभाष यादव ने वर्ष 1971 से प्राथमिक सेवा सहकारी समिति ग्राम बोरावां के सदस्य के रूप में सहकारिता के क्षेत्र में प्रवेश किया था। श्री यादव 27 जून 1974 को सर्वानुमति से जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक खरगोन के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित हुए।
श्री यादव कई वर्षों तक जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक खरगोन के सर्वानुमति से निर्वाचित अध्यक्ष रहे। सहकारी क्षेत्र में अपनी सक्रियता के कारण श्री यादव को तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह ने वर्ष 1980 में मध्यप्रदेश राज्य सहकारी बैंक का अध्यक्ष मनोनीत कर सहकारिता के माध्यम से किसानों की सेवा करने का अवसर प्रदान किया था।
श्री यादव वर्ष 1984 तक मनोनीत अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के बाद वर्ष 1989 तक निर्वाचित अध्यक्ष रहे। इसके बाद इसके पश्चात भी तीन अलग-अलग अवधि में वर्ष 2002 तक निर्वाचित अध्यक्ष रहे। श्री यादव अनेक राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्थाओं के अध्यक्ष और संचालक मंडल के सदस्य रहे।
वे नेशनल फेडरेन आफ स्टेट कॉपरेटिव बैंक मुंबई के दो बार वर्ष 1983 से 1986 तक और वर्ष 1986 से 1989 तक निर्विरोध अध्यक्ष रहे। श्री यादव वर्ष 1980 और 1985 में दो बार खरगोन लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस के सांसद सदस्य बने।
श्री यादव ने वर्ष 1993 में खरगोन जिले की कसरावद विधानसभा क्षेत्र से निर्वाचित होकर मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल में उप मुख्यमंत्री बने। उन्होंने उप मुख्यमंत्री के रूप में कृषि सहकारिता जल संसाधन और नर्मदा घाटी जैसे महत्वपूर्ण विभागों का दायित्व संभाला। श्री यादव वर्ष 1998 में दोबारा कसरावद विधानसभा क्षेत्र में निर्वाचित हुए। तीसरी बार विधायक चुने जाने के बाद सोनिया गांधी ने उन्हें प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौपी।
वे देश और प्रदेश की अनेक सार्वजनिक संस्थाओं में संचालक मंडल के सदस्य और अध्यक्ष के पदों पर रहे। वे मध्यप्रदेश कृषक कल्याण आयोग के अध्यक्ष के रूप में प्रदेश के किसानों के लिए 888 महत्वपूर्ण सुझाव शासन को देने के लिए चर्चित रहे हैं। श्री यादव भारत कृषक समाज की राज्य इकाई के सभापति और अध्यक्ष के महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वाह भी कर रहे थे।
उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता के क्षेत्र में सक्रिय होकर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई और इसी कारण वे विदेश जाने वाले महत्वपूर्ण सहकारी प्रतिनिधि मण्डलों के महत्वपूर्ण सदस्य के रूप में नामांकित होते रहे। श्री यादव ने कृषि और सहकारी क्षेत्र में अध्ययन के लिए अमेरिका, रूस, चेकोस्लोवाकिया, नार्वे, इटली, हैम्बर्ग, स्वीट्जरलैंड, काठमांडू, हंगरी, स्वीडन, हालैंड, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैण्ड, इंडोनेशिया, पौलेंड सहित अन्य देशों की यात्राएं की है।
श्री यादव ने सहकारी क्षेत्र में अपने अनुभवों का लाभ अपने गृह क्षेत्र को देते हुए खरगोन जिले में सहकारिता के आधार पर एक सूत मिल और एक शक्कर कारखाने की स्थापना की है जो सफलतापूर्वक चल रहे है। उन्होंने तकनीकी शिक्षा के विकास की दिशा में पहल करते हुए अपने गृह गांव बोरावां में एक राष्ट्रीय स्तर की तकनीकी संस्था जवाहरलाल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नालॉजी की भी स्थापना की है।
सहकारी क्षेत्र में अपनी उल्लेखनीय गतिविधियों के कारण भी उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिनमें देश के सर्वश्रेष्ठ सहकारिता पुरुष और सहकारिता श्री का उल्लेखनीय सम्मान भी शामिल है।
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