मंदिरों के पट खुले लोगों ने ग्रहण के बाद की पूजा अर्चना
धामनोद (मुकेष सोडानी) - साल के पहले सूर्य ग्रहण के कारण नगर में दिन में ही सूरज निकलने के बाद भी दूधिया रोशनी हो गई। सुबह से ही सूरज और बादलों में लुका-छुपी हो रही थी, किंतु 10 बजे के आसपास सूरज पूरी तरह चमकने लगा। ग्रहण के शुरू होते ही सूरज की रोशनी मध्यम पड़ने लगी। इससे पक्षियों के चहकने की आवाजें कम हो गईं। हालांकि, इस स्थिति में भी लोग सूरज को खुली आंखों से नहीं देख पाए। ग्रहण काल खत्म होने के बाद साफ-सफाई करके मंदिरों के पट खोल दिए गए पूजा-अर्चना के बाद भगवान को भोग लगाया गया।
नगर में लोगों ने घरों से ही सूर्य ग्रहण देखने के लिये आंखों पर फिल्म और ग्लास का उपयोग किया।
सूर्य ग्रहण के शुरू होते ही लोगों ने घर में कीर्तन और जप शुरू कर दिए। घर के सदस्यों ने भगवान के पास बैठकर सूर्य देवता के मंत्र का जप किया। तुलसी की माला से लगातार मंत्रोचारण किया गया। सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले ही सभी मंदिरों के पट बंद कर दिए गए थे। इस दौरान कई लोगों ने आहार ग्रहण नहीं किया और बच्चों को घर से बाहर नहीं जाने दिया। खासकर गर्भवती महिलाओं ने विशेष परहेज में रखा गया।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस बार सूर्य ग्रहण धनु राशि में आ रहा है। इसलिए देश-दुनिया पर इसके दुष्प्रभाव ज्यादा पड़ेंगे।
सूर्य ग्रहण के बाद नगर के सभी मंदिरों के पट को साफ-सफाई के बाद खोला गया।
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