लाॅकडाऊन में उछले मटेरियल के दाम, छोटे से आशियाने का बिगड़ा बजट | Lock down main uchle material ke dam

लाॅकडाऊन में उछले मटेरियल के दाम, छोटे से आशियाने का बिगड़ा बजट

लाॅकडाऊन में उछले मटेरियल के दाम, छोटे से आशियाने का बिगड़ा बजट

डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - कोरोना लॉकडाउन के तीन माह के दौरान मांग-आपूर्ति में संतुलन बिगडऩे से रेत, सीमेंट आदि के दामों में इतना उछाल आया कि छोटा-सा आशियाना बनाने का मध्यम वर्ग का सपना भी धूमिल होता नजर आने लगा है। निर्माण लागत निर्धारित बजट पर भारी पडऩे से अब अतिरिक्त संसाधन जुटाने पड़ रहे हैं। 

 जिला मुख्यालय डिंडौरी सहित ग्रामीण क्षेत्रों में 25 मार्च को लागू देशव्यापी लॉकडाउन से पहले मटेरियल लागत सामान्य थी। मई में सरकार ने धीरे-धीरे छूट दी तो पहले सीमेंट और लोहा में आपूर्ति की समस्या के चलते उछाल आया। इन कंपनियों ने सीधे तौर पर अपेक्षाकृत भाव बढ़ा दिए। फिर स्थानीय स्तर पर रेत की रायल्टी बढ़ने से सप्लायर ने भी दाम दो गुना अधिक कर दिए। निर्माण सामग्री के रेट बढऩे से निर्माणाधीन मकानों की लागत में 20 फीसदी तक वृद्धि हो गई। इसका भार अब मध्यम वर्ग को सहन करना पड़ रहा है। 


प्रधानमंत्री आवास योजना में सरकार द्वारा तय बजट में मकान बनाने में छूट रहा पसीना 

 जिला डिंडौरी के समनापुर जनपद क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना में सरकार द्वारा तय बजट में मकान बनाने में हितग्राहियों को पसीना छूट रहा है। बाजार में मांग बढ़ने से भवन निर्माण सामग्री महंगी पहले ही थी।  पिछले तीन महीने की तुलना में रेत,गिट्टी और ईंट के भाव डेढ़ गुना बढ़ा दिए हैं। लोहा और सीमेंट के भाव भी बढ़े हैं। इस कारण भवन निर्माण का बजट गड़बड़ा गया है। हितग्राहियों को मकान का काम कंपलीट कराने के लिए अब खुद अलग से पैसों का इंतजाम करना पड़ रहा है।

 समनापुर मुख्यालय सहित  ग्रामीण क्षेत्र में इन दिनों भवन निर्माण कार्य जोरों पर है। आवास के लिए निर्माण सामग्री की मांग की तुलना में मार्केट में रेत के स्टॉक में कमी आई है। लोहा 40 रुपए से बढ़कर 42 रुपए प्रति किलो हो गया है। सीमेंट 300 से 320 रुपए प्रति बोरी की दर से बिक रही है। पहले ईंट 4000 रुपए प्रति एक हजार बिका करती थी। वर्तमान में ईट 5000 रुपए हजार से ऊपर बिक रही है वहीं रेत की बात करें तो  लाकडाऊन से पहले 3500 रुपए  में ट्रेक्टर ट्राली रेत उपलब्ध हो जाती थी लेकिन अब 7000  रुपए चुकाने के बाद इंतजार करना पड़ रहा है। लोहा, रेत, ईंट और सीमेंट के दाम बढ़ने से पीएम आवास योजना में बन रहे मकान का काम कंपलीट कराना महंगा पड़ रहा है। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में मकान बनाने के लिए निर्माण सामग्री का स्टॉक खरीदना हितग्राहियों के लिए आसान नहीं रहा है।

निर्माण सामग्री की कीमतों में आई तेजी से प्रधानमंत्री आवास योजना में हितग्राहियों का बजट गड़बड़ा रहा है। ग्रामीण क्षेत्र में सरकार द्वारा तय राशि कम पड़ गई है। इस योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र में सरकार की ओर से मिले पैसे मकान बनाने में कम पड़ रहे हैं। आवास का काम कराने के लिए हितग्राहियों को गांठ से पैसा लगाना जरूरी हो गया है।

प्रधानमंत्री आवास एवं अन्य भवनों के निर्माण सामग्री की भारी मांग के बीच मानसून सीजन ने सामग्री कीमत में आग लगा दी है। ग्राम पंचायत के अधीन प्रधानमंत्री आवास योजना के मकानों में भी हितग्राहियों को 1.20 लाख रुपए के अनुदान में मकान का निर्माण पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। वे इसकी शिकायत जिला स्तरीय कार्यालय में भी करते देखे गए हैं।

लागत वृद्धि से शुरू नहीं कर पा रहे मकान निर्माण 

व्यवसायी गोरा राय ने समनापुर बम्हनी रोड के नजदीक लॉकडाउन से पहले मकान निर्माण के अनुबंध किए थे। अब उनकी हिम्मत बाजार की स्थिति देखकर जवाब दे रही है। वे कह रहे हैं कि निर्माण मटेरियल के साथ मजदूरी दर में भी बढ़ोत्तरी हो गई है। ऐसे हालत में काम करना वाकई चुनौतीपूर्ण है। इससे निम्न आय वर्ग के लोगों की हालत का अंदाजा लगाया जा सकता है।

मांग-आपूर्ति में संतुलन बिगडऩे से बढ़े दाम

मटेरियल सामग्री व्यवसाय से जुड़े अशोक चौबे का कहना है कि कोरोना लॉकडाउन के दौरान मांग-आपूर्ति का संतुलन बिगडऩे से रेत- सीमेंट के दाम बढ़ गए हैं। सीमेंट की आपूर्ति में पहले कमी थी, अब आवागमन शुरू होने से सुधर गई है। समनापुर के सीमेंट विक्रेता दिनेश सिंह ठाकुर ने भी कहा कि रेत, सीमेंट सहित अन्य  सामग्री के दाम बढऩे से निर्माण लागत में 20 फीसदी की वृद्धि हुई है।

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