देश में राष्ट्रीय पक्षी मोरो के संरक्षण हेतु प्रदेश अध्यक्ष मनीष कुमट ने प्रधानमंत्री को लिखी चिट्टी
पेटलावद। (संदीप बरबेटा) - देश में राष्ट्रीय पक्षी मोरो के संरक्षण हेतु राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग के प्रतिनिधि प्रदेश अध्यक्ष मनीष कुमट ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चिट्टी लिखी है। जिसमें विशेषकर झाबुआ जिले का उल्लेख करते हुए बताया कि जिले के पेटलावद क्षेत्र के ग्राम झकनवादा में फिलहाल मोरो की संख्या 400 है, बावजूद यहां मोर अभ्यारण केंद्र नहीं है। इस कारण आए दिन राष्ट्रीय पक्षी आवारा श्वानों का शिकार होकर असमय काल के गाल में समाहित हो रहे है। इनकी सुरक्षा अत्यंत आवश्यक है। इस संबंध में आयोग पूर्व में झाबुआ जिले के तत्कालीन आशीष सक्सेना को भी लिखित में ज्ञापन देकर मांग कर चुका है। वर्तमान जिला कलेक्टर प्रबल सिपाहा को भी इस ओर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
जानकारी देते हुए आयोग के प्रतिनिधि प्रदेश अध्यक्ष मनीष कुमट (जैन) ने बताया कि उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि मप्र के झाबुआ जिले के पेटलावद तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम झकनावदा में राष्ट्रीय पक्षी मोरो की संख्या करीब 400 है एवं आसपास के ग्रामीण ईलाकों की संख्या मिलाकर कुल 800 मोर है। इन मोरो के रहवास तथा आहार-पानी की समुचित व्यवस्था वर्तमान में नहीं होने से ये आए दिन जंगलों से होते हुए ये सड़कों पर आ जाते है और सड़कों पर इन्हें आवारा श्वान शिकार बना लेते है। जिसमें कई बार ये बुरी तरह से जख्मी होने पर राष्ट्रीय मानव अधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग के पदाधिकारी, जिसमें वह स्वयं के साथ आयोग से जुड़े अरवन्दि राठौर, उत्तम गेहलोत, राष्ट्रयी पक्षी मोर एवं जीव दया समिति अध्यक्ष हरिराम पडियार, जमुनालाल चोधरी, विजय पटेल, ठा. जगपालसिंह राठौर, संजय व्यास, ठा. परीक्षितसिंह राठौर, अभय कोठारी, कमकमल मांडोत आदि इनका उपचार करवा कर इन्हें सुरक्षित जंगल एवं वन विभाग के सुर्पुद करते है, लेकिन कई बार ये मोर अधिक जख्मी होने से इनकी जान नहीं बच पाती है। प्रतिवर्ष करीब 100 से 200 मोर घायल होने के साथ ही 40-50 मोरो की जान चली जाती है।
*मोर अभ्यारण केंद्र की है सख्त आवश्यकता*
जिसे देखते हुए देश की इस बहुमूल्य प्रजाति को बचाने के लिए झकनावदा क्षेत्र में कहीं भी मोर अभ्यारण केंद्र स्थापित करने की नितांत आवश्यकता है। यदि मोर अभ्यारण केंद्र बन जाएगा, तो इनके आवास एवं आहार-पानी की व्यवस्था होने से इन्हें इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। पत्र में बताया गया कि भारत में आस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय पक्षी खरमोर के लिए सेकडों बीघा जमीन स्वीकृत की गई हैे है, लेकिन भारत देश के राष्ट्रीय पक्षी मोर के लिए किसी प्रकार की कोई व्यवस्था नहीं होना, बड़े दुर्भाग्य का विषय है। यदि राष्ट्रीय पक्षी मोर को संरंक्षित करने की दिशा में अभी से कार्य नहीं किया गया, तो धीरे-धीरे यह प्रजाति विलुप्त होती जाएगी। इसी प्रकार जिला मुख्यालय झाबुआ पर भी हाथीपावा पर राष्ट्रीय पक्षी मोरो का बसेरा रहता हैै, इनकी सुरक्षा की दृष्टि से भी जिला प्रशासन एवं वन विभाग को उचित कदम उठाए जाना चाहिए।
*तत्कालीन कलेक्टर आशीष सक्सेना कोे दिया जा चुका हैै ज्ञापन*
इस संबंध में राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग द्वारा पूर्व में तत्कालीन कलेक्टर आशीष सक्सेना को भी ज्ञापन देकर जिले के झकनावदा एवं आसपास के क्षेत्रों में मोरो की संख्या करीब 800 होने से आवश्यक रूप से मोर अभ्यारण केंद्र स्थापित करनेे की मांग की जा चुकी है। इस संबंध में तत्कालीन कलेक्टर श्री सक्सेना द्वारा वन विभाग को निर्देषित कर यह फाईल स्वीकृत हेतु इंदौर भी भेजी गई थी, लेकिन उनके स्थानांतंरण के बाद प्रक्रिया अधर में अटकी पड़ी है। जिसे अतिशीघ्र पूर्ण करवाए जाने की जिम्मेदारी वर्तमान जिला कलेक्टर एवं वन मंडलाधिकारी की बनती है, इस संबंध में दोनो वरिष्ठ जिला अधिकारियों के मोबाईल पर संपर्क करने पर संपर्क नहीं हो पाया।
Tags
jhabua