32 वर्ष बाद इस बार भगवान के रथ को नहीं खींच पाएंगे भक्त | 32 varsh baad is bar bhagvan ke rath ko nhi khich paenge bhakt

32 वर्ष बाद इस बार भगवान के रथ को नहीं खींच पाएंगे भक्त


डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - जिला डिंडौरी के विकासखंड करंजिया अंतर्गत ग्राम पंचायत चंदना पंचायत का पोषक ग्राम पिंजरहाटोला जिले का एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां से लगभग तीन दशक से अधिक समय से लगातार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भव्यता के साथ धूमधाम से निकाली जाती है। मंदिर समिति प्रबंधन ने इस वर्ष यह निर्णय लिया है कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के संक्रमण के कारण रथयात्रा के भव्यता वाले कार्यक्रम को नहीं किया जाएगा। सामान्य पूजा पाठ करते हुए सभी धार्मिक कार्यक्रम किए जाएंगे। एक ओर जहां भक्तों द्वारा रथ को सजाने से लेकर रथयात्रा सहित सभी धार्मिक कार्यक्रमों को धूमधाम से करने की तैयारी पूर्व से ही पूरी कर ली गई थी। वहीं दूसरे ओर रथयात्रा नहीं निकाले जाने की खबर से श्रद्घालुओं में मायूसी छा गई है। हालांकि रथयात्रा को लेकर यहां प्रशासन ने अभी कुछ दिशा निर्देश जारी नहीं किए हैं। फिर भी समिति ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया हैं।

वर्ष 1987 से की गई थी रथयात्रा की शुरुआतः 

रामपुर के पं. महेश महराज जो कि तुलसीघाट वाले बाबा के शिष्य भी हैं, उन्होंने ने बताया कि इस क्षेत्र में रथयात्रा की शुरुआत कराने का श्रेय तुलसीघाट वाले बाबा के नाम से प्रसिध्द संत को है। उन्हीं के आदेशानुसार वर्ष 1987 में पहली बार भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नर्मदा तट में तुलसीघाट से प्रारंभ की गई थी। कुछ वर्षों तक गुरुजी के सानिध्य में यह यात्रा यहीं से निकलती रही। फिर जब गुरुजी का प्रवास पिंजरहाटोला हो गया तो गुरु के आदेशानुसार पिंजरहाटोला से भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जा रही है। रथयात्रा को लगभग 32 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं। यह पहला मौका है जब भगवान जगन्नाथ का रथ श्रद्घालु नहीं खींच पाएंगे।

सामान्य पूजा-पाठ किया जाएगाः

 पिंजरहाटोला में भगवान जगन्नाथ मंदिर के प्रमुख शांति मैय्या ने बताया कि इस बार 23 जून मंगलवार को भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का मुहूर्त है। इस वर्ष आयोजन समिति के निर्णयानुसार रथयात्रा से लेकर जितने भी धार्मिक कार्यक्रम होना हैं सादगी के साथ किए जाएंगे। सामान्य रूप से पूजा पाठ कर लिया जाएगा। कार्यक्रम स्थल पर भीड़ एकत्र नहीं होने दी जाएगी। कोविड-19 व शारीरिक दूरी के नियम का प्रमुखता से पालन किया जाएगा। इस दौरान जो भी श्रद्घालु यहां आएंगे उनके हाथ धोने के लिए साबुन व सैनिटाइजर का इंतजाम किया गया है। इसके अलावा शासन प्रशासन के नियमों का पालन करते हुए सभी कार्यक्रम किए जाएंगे। कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते आम यातायात पूरी तरह बंद है। इसलिए दूरदराज के क्षेत्र से श्रद्घालु कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाएंगे, जबकि आम दिनों में बिहार, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ सहित मप्र के कोने कोने से श्रद्घालु इस पर्व को मनाने आते थे।

भक्तों व शिष्यों में मायूसीः

 गौरतलब है कि भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा में शामिल होने के लिए स्थानीय लोगों के अलावा बड़ी संख्या में आसपास के गांवों से भक्त आते हैं, लेकिन इस बार आयोजन समिति ने वर्तमान में कोरोना वायरस से उपजे हालात के कारण बनी स्थिति को देखते हुए रथयात्रा के कार्यक्रम को धूमधाम से न मनाकर सादगी से मनाने का निर्णय लिया है। इस खबर से भक्तों व श्रद्घालुओं तथा तुलसीघाट वाले बाबा के अनुयायियों में मायूसी देखी जा रही है। बताया गया कि रथयात्रा की शुरुआत कराने वाले तुलसीघाट वाले बाबा ही हैं। इस क्षेत्र में उनके सैकड़ों अनुयायी हैं। इसके अलावा दूरदराज के क्षेत्रों में भी अनुयायियों के होने की जानकारी है। गुरुजी के सभी शिष्य भगवान जगन्नाथ रथयात्रा महोत्सव में शामिल होते थे और इसी बहाने सबसे मेल मुलाकात हो जाती थी, लेकिन इस बार यह संभव नहीं है। इसलिए खासकर बाबा के शिष्यों के बीच मायूसी देखी जा रही है

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