दीक्षा एप से ले रहे प्रशिक्षण, डिजिटल लर्निंग माध्यम का उपयोग हो गया जरुरी| disha eap se le rhe parshichad,digital larnig madhayam ka upayog ho gaya jaruri


डही - शिक्षक इन दिनों दीक्षा एप से प्रशिक्षण ले रहे है। बीईओ सतीश पाटीदार, बीआरसी मनोज दुबे, बीएसी हितेन्द्रसिंह ठाकुर ने बताया कि लॉकडाउन अवधि में संभावित लर्निंग लॉस को ध्यान में रखते हुए शिक्षा विभाग द्वारा डिजिटल लर्निंग के विभिन्न माध्यमों का उपयोग कर शैक्षणिक कार्यक्रम संचालित किये जा रहे हैं। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिये संचालित किये जा रहे कार्यक्रमों के माध्यम से विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई जा रही सामग्री का शिक्षकों द्वारा परिवीक्षण कराने एवं अभिभावकों को भी बच्चों को शिक्षा में रूचि पैदा करने के प्रयास के क्रम में नया कार्यक्रम प्रारंभ किया जा रहा है।
दीक्षा एप से ले रहे प्रशिक्षण, डिजिटल लर्निंग माध्यम का उपयोग हो गया जरुरी| disha eap se le rhe parshichad,digital larnig madhayam ka upayog ho gaya jaruri
दीक्षा एप से ले रहे प्रशिक्षण, डिजिटल लर्निंग माध्यम का उपयोग हो गया जरुरी| disha eap se le rhe parshichad,digital larnig madhayam ka upayog ho gaya jaruri
 लगभग एक माह तक प्रति सप्ताह एक विषय पर राज्य स्तरीय प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी, जिसमें विद्यार्थी, शिक्षक तथा अभिभावक प्रतिभागिता करेंगे। इस संबंध में आयुक्त, राज्य शिक्षा केन्द्र  लोकेश कुमार जाटव ने सभी जिलों के जिला शिक्षाधिकारी एवं जिला परियोजना समन्वयकों को निर्देश दिये ह'लॉकडाउन डायरीÓ विषय पर प्रथम सप्ताह  23 मई तक विद्यार्थियों के लिये आयोजित प्रतियोगिता में 2 समूह भाग लेंगे। प्रथम समूह में कक्षा 6वीं से 8वीं तथा द्वितीय समूह में 9वीं से 12वीं कक्षा के विद्या?र्थी शामिल होंगे। प्रथम समूह के विद्यार्थी 100 से 150 शब्दों तथा द्वितीय समूह के विद्यार्थी 200 से 250 शब्दों में लॉकडाउन अवधि के अनुभवों को सुलेख के रूप में लिखकर प्रेषित करेंगे।पीढिय़ों का ज्ञान'पीढिय़ों का ज्ञानÓ विषय पर द्वितीय सप्ताह में 24 से 30 मई तक आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में विद्यार्थियों के घर के वरिष्ठ सदस्य जैसे- दादा-दादी, नाना-नानी, ताऊ-ताई भाग लेंगे। वरिष्ठ सदस्य एक से दो पेज में अपने जीवन के ऐसे अनुभवों को लिखकर भेजेंगे जिसने कभी कोरोना संकट जैसे अन्य राष्ट्रीय या वैश्विक संकट का सामना करना पड़ा हो तो उस समय समाज ने उसका कैसे सामना किया था। वर्तमान लॉकडाउन में उन्होंने कैसे अपने घर/परिवार के विद्या?र्थी बच्चों को अनुभवों की सीख प्रदान की या उन्हें शैक्षिक प्रोत्साहन प्रदान किया।परवरिश (विद्यार्थियों को पालकों का सहयोगजिसमें विद्यार्थियों के माता-पिता या पालक या अभिभावक भाग लेंगे। इसमें उन्हें एक से दो पेज में कोरोना संकट के लॉकडाउन के समय में अपने बच्चों को शैक्षिक और रचनात्मक गतिविधियों से जोडऩे में किए गए सहयोग से संबंधित, अनुभव साझा करने होंगे।नया हुनर मैंने सीखाचौथे सप्ताह में 'नया हुनर मैंने सीखाÓ विषय पर सभी कक्षाओं के विद्या?र्थी भाग ले सकेंगे। इसमें विद्यार्थी लॉकडाउन अवधि में सीखी गई रचनात्मक या पारम्परिक गतिविधियों जैसे- कोई नया खेल, चित्रकला, लेखन, अभिनय, नृत्य, लोक-कला, गायन-वादन, पाक कला, गृह उपयोगी कार्य, तकनीकी कौशल आदि के बारे में एक पैराग्राफ में लिखकर उस कार्य में स्वयं की संलग्नता का एक फोटो भी प्रेषित करेंगे।
सभी कक्षाओं के विद्यार्थियों के लिये आयोजित इस गतिविधि में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास की दृष्टि से विषय रखे गये हैं। इस गतिविधि में सहभागिता के लिये विद्यार्थी अपने आसपास या परिवार में उपलब्ध संसाधनों अथवा अवसरों से सीखने के लिये प्रेरित होंगे।शैक्षिक नवाचार'शैक्षिक नवाचारÓ विषय पर पाँचवें सप्ताह में 14 से 20 जून तक आयोजित इस प्रतियोगिता में शिक्षकों द्वारा लॉकडाउन की अवधि में अपनाई गई नवाचारी शैक्षिक गतिविधियों अथवा स्वयं की क्षमता संवर्धन के लिये किये गये कार्यों को अधिकतम ए-4 आकार के 2 टंकित पेज अथवा हस्तलिखित ढाई पेजों में लिखकर प्रेषित करना होगा।प्रतियोगिता में प्रविष्टि के लिये अपने एक फोटो और व्यक्तिगत विवरण जैसे- नाम, पदनाम, पदस्थ संस्था/स्कूल, स्मार्ट मोबाइल नम्बर एवं पते के साथ व्हाट्स एप नम्बर 9968556947 पर संबंधित प्रतियोगिता की अंतिम तिथि तक प्रेषित कर सकेंगे। 

Post a Comment

Previous Post Next Post