संझा के मांडने को बटिक के माध्यम से कपड़ों पर उतारने वाली नाजिशबी को मिला एक लाख का पुरस्कार
उज्जैन (रोशन पंकज) - महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि वे जिस क्षेत्र में उतरती हैं, वहां शिखर पर पहुंचने का माद्दा रखती हैं। भैरवगढ़ प्रिंट का कार्य जो पुरूष प्रधान माना जाता रहा है, में भी महिलाएं अपना लोहा मनवाने लगी हैं। मध्य प्रदेश हस्तशिल्प विकास निगम की ओर से भैरवगढ़ की बटिक प्रिंट में नवाचार को लेकर आयोजित प्रतियोगिता में भैरवगढ़ की नाजिशबी ने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया है। उनके द्वारा बटिक प्रिंट में संझा के मांडने का प्रयोग कर तैयार की गई डिझाईन को वर्ष 2019-20 का प्रथम पुरस्कार मिला है। नेचरल कलर और इंडिगो से बने रंगों से कपड़ों पर अब संझा के मांडनों की छटा बिखरेगी। नाजिशबी की संझा डिझाईन के आधार पर हस्तशिल्प विकास निगम बड़े पैमाने पर भैरवगढ़ की बटिक प्रिंट कला से बने पर्दे, डेकोरेटिव आयटम एवं ड्रेस मटेरियल को 25 बिक्री केन्द्रों के माध्यम से न केवल देश, बल्कि इंडोनेशिया, मलेशिया और जापान जैसे देशों में भी पहुंचायेगा।
नाजिशबी छीपा बताती हैं कि वे मूलत: भैरवगढ़ की निवासी हैं। यहीं पर उनका मायका व सुसराल है। बचपन से भैरवगढ़ के प्रिंट डिझाईनों से खेलती रही हैं और हमेशा से उनके मन में कुछ नया करने की ललक रही है। इसी के चलते उन्होंने हस्तशिल्प विकास निगम द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में मालवा की परम्परागत लोककला ‘संझा’ के मांडनों से प्रेरणा लेकर डिझाईन बनाकर प्रतियोगिता में भेजी। उन्हें सुखद आश्चर्य तब हुआ जब उनकी डिझाईन को मप्र हस्तशिल्प विकास निगम द्वारा एक लाख रुपये के प्रथम पुरस्कार के लिये चुना गया। वे बताती हैं कि भैरवगढ़ प्रिंट की बटिक कला से सजे स्कार्फ, स्टॉल व ड्रेस मटेरियल की मांग इंडोनेशिया, जापान और मलेशिया में अत्यधिक है। यहां से आये ऑडर्स के आधार पर ही वे अपना माल तैयार कर इन देशों को निर्यात करते हैं।
सहायक संचालक हाथकरघा श्री अखिलेश उपाध्याय ने बताया कि मप्र हस्तशिल्प निगम ने अपने प्रशस्ति-पत्र में उल्लेख किया है कि शिल्पकार नाजिशबी ने अपनी कलाकृति को मालवा की लोककथा और मांडना संझा से प्रेरित होकर बनाया है। सामान्यत: मांडना संझा कला को दीवारों पर गोबर लिपकर मिट्टी के रंग और चूने आदि से बनाया जाता है, लेकिन शिल्पकार ने एक नया प्रयोग करते हुए इन चित्रों को बटिक प्रिंट द्वारा कपड़े पर उकेरने का कार्य किया है। कलाकृति में कम किन्तु चुन्दिा रंगों का प्रयोग किया है, जो इसे आकर्षक बनाता है। एक चौड़ी बॉर्डर बनाकर उस पर मांडना संझा के चिन्हों का उपयोग बड़ी खुबसूरती से किया गया है।
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