मैं यहां आया था जब मंदिर की नींव रखी थी, आज प्रभु ने मुझे फिर इस मंदिर में बुलाया - जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी | Main yaha aya tha jab mandir ki niv rakhi thi

मैं यहां आया था जब मंदिर की नींव रखी थी, आज प्रभु ने मुझे फिर इस मंदिर में बुलाया - जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी

मैं यहां आया था जब मंदिर की नींव रखी थी, आज प्रभु ने मुझे फिर इस मंदिर में बुलाया - जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी

धामनोद (मुकेश सोडानी) - करीब 30 वर्षो के आसपास मुझे आज भी याद है जब मैं राजराजेश्वरी धाम दूधी के इस मंदिर में आया था । तब मंदिर की नींव डाली जा रही थी । आज अभिभूत हूं और खुश भी हु कि यह मंदिर कायाकल्प कर एक महान धरोहर के रूप में खड़ा है । यहां पर असीम शांति है । यह शब्द कहे शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने जो नर्मदा परिक्रमा के दौरान दूधी के राजराजेश्वरी धाम में रात्रि विश्राम करने रुके थे । शंकराचार्य के रात्रि विश्राम की खबर सुनते ही दुधी आश्रम पर धरमपुरी विधायक पांचीलाल मेड़ा भी पहुंचे । उनके साथ कमल यादव, मुकेश सोडानी, संजय पवार, महेंद्र राठौड़ भी थे वहां मंदिर के सुभाष धाडिया, अशोक भरतमल, जगदीश धाड़िया मंदिर के पुजारी संजीव शर्मा आदी भी मौजुद थे ।

 सभी ने शंकराचार्य जी का आशीर्वाद ग्रहण किया । मिडिया से चर्चा के दौरान शंकराचार्य जी ने बताया कि अयोध्या में भगवान श्री राम का भव्य मंदिर जल्द ही निर्माण होकर बनने वाला है । 500 वर्षों से कठिन संघर्ष के बाद अब निर्णय जो आया है । यह हिंदुत्व के हित का निर्णय है । वहां पर रामलला विराजमान होंगे उसके लिए हम सब ने कठोर मेहनत की है । गौरतलब है कि शंकराचार्य स्वामी भी इस मंदिर के सदस्य भी हैं ।

नगर के लोगों को संदेशा दिया धर्म से जुड़े रहे

स्वामी वासुदेवानंद जी ने नगर एवं हिंदू समाज के लोगों से आह्वान किया कि सदैव धर्म से जुड़े रहे । क्योंकि धर्म ही सदैव सद्गति के मार्ग पर ले जाता है । धर्म को कभी भी नहीं त्यागना चाहिए । जो व्यक्ति धर्म का परित्याग करता है वह सदैव उपेक्षा का शिकार होता है । इसलिए धर्म हिंदुत्व का प्रथम धैय है सभी हिंदू धर्म से सदैव जुड़े रहे ।

मेरा प्रण था नर्मदा की परिक्रमा करूंगा

शंकराचार्य ने बताया कि श्री राम मंदिर बनने के लिए कठिन साधना की है । मेरा प्रण था जिस दिन राम मंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा । मैं मां नर्मदा की परिक्रमा करूंगा । इसलिए मे मां नर्मदा की परिक्रमा के लिए निकला हूं । इस दौरान मांडू में भी दर्शन किए है ।अब महेश्वर, ओकारेश्वर होते हुए मे मां नर्मदा की संपूर्ण परिक्रमा करने के बाद पुनः उत्तराखंड की ओर लोटुंगा । भगवान श्री राम के भव्य मंदिर को अपना शेष जीवन समर्पित कर लूंगा तथा शीघ्र रामलला का विराट रूपी मंदिर का निर्माण हो इसके लिए भरसक प्रयत्न करूंगा । राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल किए जाने पर स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में जनता के पैसे से ही भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा।

शंकराचार्य जी ने कहा कि अब तक जनता से इकट्ठा किए गए 30 करोड़ से ज्यादा की धनराशि मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने पर खर्च हो चुकी है । जबकि एक करोड़ नौ हजार अभी भी राम जन्मभूमि न्यास के खाते में बची है। यह धनराशि भी मंदिर निर्माण के लिए नवगठित ट्रस्ट को सौंप दी जाएगी। स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि वीएचपी के प्रस्तावित मॉडल पर ही जन आकांक्षाओं के अनुरुप अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा। 


जल्द शुरू होगा मंदिर निर्माण 

जगद्गुरु ने कहा कि हिंदू नववर्ष के प्रारम्भ से लेकर हनुमान जयंती के बीच मंदिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हो सकता है। स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए आम लोगों से सवा रुपए से लेकर 11 रुपए तक का सहयोग भी लिया जाएगा  लेकिन किसी व्यक्ति विशेष के पैसे से राम मंदिर का निर्माण नहीं किया जाएगा। स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती वीएचपी से जुड़े धर्मगुरु हैं ।और राम मंदिर आंदोलन में 1984 से ही सक्रिय है

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