जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डाईट मे अव्यवस्थाओ का अंबार
जिम्मेदारो की लापरवाही से छात्र-छात्राओ के भविष्य के साथ हो रहा हे खिलवाड
आलीराजपुर (रफीक क़ुरैशी) - राज्य सरकार आदिवासी अंचलो मे शिक्षा की गुणवंता ओर बेहतरी को लेकर प्रतिबद्ध है। उच्च शिक्षा को लेकर प्रदेश के मुखिया कमलनाथ छात्रो को लाभ पहुचाने की दृष्टि से नित नई-नई योजनाए लागु कर रहे है। किंतु जिम्मेदार नुमाइंदे अपने कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही बरतकर राज्य सरकार की जनहितैषी योजनाओं पर पानी फेरकर प्रदेश के मुखिया की छबि को धुमिल करने का प्रयास कर रहे है। आलम यह हे कि प्रदेश सरकार द्धारा शिक्षा के क्षेत्र मे करौडो रुपए खर्च करने के बाद भी छात्रो को उसका लाभ नही मिल पा रहा है। जी हा हम बात कर रहे जिले के एकमात्र जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डाईट की। जहां इन दिनो आधारभुत व्यवस्थाए नही होकर अव्यवस्थाओ का अंबार लगा हुआ है।
*कर्मचारी अपने समय से आते-जाते है*
गोरतलब हे कि आदिवासी बाहुल्य जिले के एकमात्र जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डाईट इन दिनो अपनी ही बदहाली के आंसु बहा रहा है। संस्थान डाईट मे जिम्मेदारो द्धारा जमकर लापरवाही बरती जा रही है। जिसके चलते छात्रो का भविष्य अंधकारमय होता नजर आ रहा है। यहा पर विगत दो वर्षो से आधारभुत सुविधाओ का आभाव है। संस्थान मे छात्रो से मोटी फिस तो ली जाती है, मगर उन्हे किसी भी प्रकार की सुविधाए नही दी जा रही है। संस्थान द्धारा पिछले दो वर्षो से छात्रो को भ्रमण पर नही ले जाया गया है, जबकि भ्रमण मे नाम पर प्रर्ति छात्रो से एक हजार रुपए की राशी ली जाती हे। संस्थान के कर्मचारी का आलम यह हे कि वह अपनी मर्जी से आते-जाते रहते हे। साथ ही संस्थान के कुछ कर्मचारी तो बिना कार्य के हर माह अपनी तनख्वाह बराबर ले रहे है। इसके अलावा ऐकडमी के स्टाँफ भी नियमित रुप से नही आते है। जिसके चलते छात्रों का प्रशिक्षण प्रभावित हो रहा है। वहि संस्थान के होस्टल की हालत भी दयनिय है, छात्रो के होस्टल मे मरम्मत, रंगाई-पुताई भी नही कराई गई है।
*प्रार्चाय द्धारा डाईट के किसी भी गतिविधियो मे कोई रुची नही*
उल्लैखनिय हे कि जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान डाईट के वर्तमान प्रार्चाय संजय परवाल है। जिनके पास पहले से सर प्रताप हाई सेकण्डरी स्कुल, खेल परिषर ओर माडल स्कुल का प्रभार मोजुद है। श्री परवाल का ध्यान सिर्फ सर प्रताप हाई सेकण्डरी मे ही रहता है। उनके द्धारा संस्थान डाईट के किसी भी कार्यक्रम एवं गतिविधियो मे रुची नही ली जाती है। साथ ही वह संस्थान के जरुरी पत्रो मे हस्ताक्षर करने भी नही के बराबर आते हे, स्टाँफ को प्रार्चाय से हस्ताक्षर कराने के लिए सर प्रतात स्कुल आना जाना पडता है। ज्ञात रहे कि इसके पुर्व संस्थान की समस्त गतिविधियां सुचारु रुप से नियमित होकर संचालित होती रही है, संस्थान का नाम राज्य स्तर तक चलता था। प्रार्चाय की लापरवाही से संस्थान प्रदेश के अतिंम पायदान पर पहुंच गया हैं। शासन-प्रशासन को छात्रो के भविष्य को देखते हुवे उचित ओर ठोस कदम उठाना चाहिए, जिससे छात्रो का भविष्य अंधकारमय ना हो।
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