आदिवासी जिले मे भगोरिया समाप्ती के बाद उजाड़िया कल से होंगा प्रारम्भ
आलीराजपुर (रफीक क़ुरैशी) - आदिवासी बाहुल्य इस जिले मंे भगोरिया मेले की समाप्ती के बाद सात दिनो तक अपने घरो मंे रहकर आराम करते है जिसे इस क्षेत्र मे उजाड़िया कहते है। इन साथ दिनो मंे जमकर ताड़ी, दारू, खाने-पिने का मजा लिया जाता है। इन सात दिनो को गांडे दिन भी कहते है। इन सात दिनो मंे अंचल का हर आदिवासी भाई अपनी मस्ती मंे मस्त होकर गांडे जैसा हो जाता है, इस दौरान अपने सभी काम काज को छोड़कर बाजारांे मंे भी न के बराबर आते है। वे अपने फलिये के कुछ लोगो के साथ अलग-अलग दल बनाकर मार्ग पर आने जाने वाले वाहनो व लोगो को रोककर उनसे गोट मांगते है। गोट मंे प्राप्त राषि का उपयोग वे समुह के अन्य सदस्यांे की सहमती से मिल बाटकर पार्टी मनाते है।
*राईबुडलिया का चलन आज भी जारी*
आदिवासी समाज में वर्षो से चली आ रही राई बुडलिया बनने की परंपरा आज भी जारी है। समाज के शंकर तडवला का कहना है कि जो व्यक्ति मन्नत लेता है और मन्नत पुरी हो जाने पर वह राई बुडलिया बनता है। राई बुडलिया बनने वाले घर-घर जाकर ढोल बजाकर गोट मंागते है। गोट मंे मिलने वाले पैसो से वे अपने साथियो के साथ मिलकर जमकर दावत उड़ाते है। इन राई बुडलियो का इंतजार विशेष रूप से बच्चो मंे ज्यादा रहता है। बच्चें इनके पिछे-पिछे इन्हें चिढ़ाते हुए चलते है। समुह के रूप मंे ढोल-मांदल लेकर बजाते हुए नाचते गाते है।
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