बीस हजार से ज्यादा वनवासी भागीरथ बन हाथीपाँवा पहाड़ी पर थोड़े अल्प समय मे बना दिये 40 हज़ार से ज्यादा कन्टूर ट्रंच
वर्षा का पानी सीधा व्यर्थ नही बहते हुवे जमीन में सीधा उतरेगा
झाबुआ (अली असगर बोहरा) - झाबुआ जिले के वनवासियों की महान परम्परा "हलमा" ने आज फिर पूरे देश की नजरे अपनी और मोड़ दी जहाँ देश ही नही विश्व मे ग्लोबल वार्मिंग को लेकर वैश्विक स्तर पर चिन्तन हो रहा है वही झाबुआ के वनवासी ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को दूर करने और जल संरक्षण के लिए पसीना बहा कर जमीन पर काम कर विश्व को रास्ता दिखा रहे है।हलमा वैसे तो आदिवासियों की वह परम्परा है जिसमें आदिवासियों को किसी भी संकट से मुक्ति दिलाने समग्र आदिवासी समाज एक होकर काम करता है यह हलमा अपने स्वयं के लिये नही बल्कि समाज के किसी भी व्यक्ति को मदद करने की पूरी ताकत से किया गया काम है जिससे समाज एकजुट होकर हर समस्या का निदान कर लेता है और यही परमार्थ का कार्य "शिवगंगा"अभियान अन्तर्गत रविवार को झाबुआ जिले के हजारों वनवासी जिसमे बच्चे,बुजुर्ग,महिलाओं एवं युवा सभी सम्मलित थे सभी हाथ मे गैती,पावड़े लेकर झाबुआ शहर से सटी विशाल पर्वतो की श्रृंखला समान पहाड़ी क्षेत्र "हाथीपाँवा"पर पहुँच कर हजारो "कन्टूर ट्रंच"खोद दिये।बड़ी बात यह है कि यह सभी वनवासी लोग यहाँ अपने स्वयं के खर्चे से यहाँ पहुँचे थे।बीस हजार से अधिक संख्या में पहुँचे वनवासी हाथीपाँवा पहाड़ी पर सुबह 7 बजे पहुँच गये थे तथा अपनी निर्धारित जगह पर कन्टूर ट्रंच बनाना शुरू कर दिए थे।धरती माँ की प्यास बुझाने धरती पुत्रो का यह कार्य अकल्पनीय अविश्वसनीय है पर झाबुआ में यह हो रहा है।इन ट्रंचेस से वर्षा का पानी अब जमीन में सीधा उतरेगा जिससे वाटर लेवल बढेगा।
-दो दिन रुके और परमार्थ के लिए विश्व को दिया संदेश-
बड़ी संख्या में पहुँचे वनवासी समाज के यह लोग शनिवार को ही झाबुआ पहुँच गये थे कार्यक्रम स्थल झाबुआ में पहुँच कर शनिवार शाम को विशाल "गैती यात्रा"निकाली गयी जिसमे सभी लोग हाथो में गैती लेकर झाबुआ शहर प्रमुख मार्गो से गुजरे नगर भ्रमण के दौरान झाबुआ के लोगो ने सभी वनवासियो का आत्मीय स्वागत किया।नगर वासियों और वनवासियो का एक दूसरे के प्रति परस्पर स्नेह देखने लायक था इतनी बड़ी संख्या में नगर भ्रमण कर रहे वनवासियो का अनुशासन और मेंजमेमेंट सभी नगर वासियो को भी परमार्थ के लिये किये जा रहे कार्य में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए प्रेरणा था।इतनी सरलता सहजता से सम्पूर्ण समाज को सीधा सीधा संदेश की सभी एक जुट होकर कार्य करे तो किसी भी बड़ी से बड़ी समस्या से समाज को मुक्त किया जा सकता है।शनिवार रात्रि में बाबा सत्यनारायण मोर्य का कार्यक्रम "झाबुआ में गंगा अवतरण"सभी को समाज के लिए काम करने के लिये प्रेरणा दे रहा था।रविवार सुबह 5 बजे उठकर हाथीपाँवा पर किस प्रकार से कार्य होगा उस कार्ययोजना की जानकारी सभी को दी गयी फिर बीस हजार से अभी अधिक लोगो ने हाथीपावा पहुँच अपनी मेहनत और पसीना बहा कर कुछ ही देर में वो हजारो कन्टूर ट्रंचेस खोद दिये जो शासन स्तर पर होते तो करोड़ो खर्च हो जाते।इस प्रकार झाबुआ से जलसंरक्षण को लेकर बड़ा संदेश विश्व को दिया गया साथ यह अकल्पनीय कार्य कितनी आसानी से हलमा के माध्यम से किया जा सकता है जल संरक्षण और ग्लोबल वार्मिंग के लिये चिंतित विश्व को झाबुआ के वनवासियो ने एक राह दिखा दी है जिस पर चलकर सभी जलसंरक्षण कर ग्लोबल वार्मिंग से छुटकारा पा सकते है।
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