रनगांव के सरपंच व तत्कालीन सचिव की मनमानी उजागर | Ranganv ke sarpanch va tatkalin sachiv ki manmani ujagar
रनगांव के सरपंच व तत्कालीन सचिव की मनमानी उजागर
डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - डिंडौरी के जनपद शहपुरा सीईओ द्वारा ग्राम पंचायत रनगांव के सरपंच व तत्कालीन सचिव देवकरन परस्ते के विरुद्घ मिली शिकायत के आधार पर की गई जांच के दौरान बिना कार्य करवाए सामग्री क्रय कर करीब 2 लाख 66 हजार 800 रुपए का अनुचित भुगतान कर शासन को क्षति पहुंचाने का मामला सामने आया है। सीईओ ने उक्त राशि सरपंच व तत्कालीन सचिव देवकरण परस्ते से वसूली योग्य पाया है। जानकारी अनुसार सीईओ श्री रैकवार द्वारा मामले की जांच कर जांच प्रतिवेदन अग्रिम कार्रवाई के लिए जिला पंचायत भेजा गया है। जांच प्रतिवेदन में उल्लेख किया गया कि रिकार्ड में भी हेरफर किया गया है।
दो माह बाद भी कार्रवाई न होने से उठ रहे सवाल
देवकरण परस्ते तत्कालीन सचिव के विरुद्घ कठोर अनुशानात्मक कार्रवाई सहित सीसी रोड निर्माण कार्य के नाम से की गई धांधली में 2 लाख 59 हजार रुपए की छति पहुंचाए जाने के संबंध में वसूली की जाना प्रतिवेदन में प्रस्तावित किया गया है। बताया गया कि सीईओ शहपुरा द्वारा जांच कर प्रतिवेदन अग्रिम कार्रवाई के लिए जिला पंचायत 12 दिसंबर 2019 को भेजे जाने के बाद भी मामले में अब तक कार्रवाई नहीं होना व्यवस्था पर कई सवाल खड़े कर रहा है।
यह है पूरा मामला
जनपद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत रनगांव में काफी समय से भ्रष्टाचार की शिकायतें आ रही थी। ग्रामीणों ने शिकायत में बताया था कि पिछले वर्ष ग्राम पंचायत रनगांव के भुरका टोला में 300 मीटर सीसी सड़क निर्माण के लिए जो लगभग 7 लाख रुपए की लागत से बनाई जानी थी। वह अब तक नहीं बनी है, लेकिन पूरी राशि आहरित कर बंदरबांट कर ली गई है। आरोप था कि भुरका टोला में 300 मीटर सीसी सड़क निर्माण के लिए पूर्व सचिव देवकरण परस्ते के रिश्तेदारों के नाम से फर्जी बिल लगाकर सप्लाई करवाई गई है।
छह सौ बोरी सीमेंट हो गई पत्थर
600 बोरी सीमेंट ग्राम पंचायत भवन रनगांव में रखी हुई थी जो अब खराब होकर पत्थर बन चुकी है। सोचने वाली बात यह है कि आखिर ऐसा कौन सा कारण रहा होगा कि सीमेंट कंक्रीट सड़क के निर्माण के लिए पैसा तो आया लेकिन सड़क का निर्माण न करके राशि आहरित करके राशि खुर्दबुर्द कर दी गई। सामग्री और पुराने अभिलेख प्रभारी सचिव को नही सौंपने के भी आरोप हैं। अधिकारियों की मानें तो संबंधित सचिव द्वारा स्वयं के कथन में भी स्वीकार किया है कि उन्होने अपने कार्यकाल के दौरान मनरेगा, पंचपरमेश्वर आदि योजनाओ के संबंध में नस्तियां संधारित नही कीं और न ही बिल बाउचर संधारित किए।
इनका कहना है
शिकायत के आधार पर की गई जांच में सरपंच, सचिव से 2 लाख 59 हजार रुपए की वसूली पाई गई। साथ ही सचिव के विरुद्घ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए प्रतिवेदन जिला पंचायत सीईओ को भेजा गया है।
केके रैकवार
सीईओ जनपद पंचायत शहपुरा।
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