अन्तर्राजिय परिचय सम्मेलन में बढ़-चढ़कर दिव्यांगजनों ने लिया हिस्सा
देश के कोने-कोने से आये दिव्यांगजनों ने मंच से दिया परिचय
सही मायनों में हमारा पूरक बने ऐसा हो जीवनसाथी
उज्जैन (रोशन पंकज) - अक्सर कहा जाता है कि विवाह के जोड़े स्वर्ग में पहले ही तय हो जाते हैं। हर मनुष्य की ख्वाहिश होती है कि उसका कोई न कोई जीवनसाथी अवश्य हो, जो जीवनभर सुख-दु:ख और हर समस्या तथा परीक्षा में उसका साथ निभाये। परमात्मा ने बस उस जीवनसाथी को ढूंढने का दायित्व हमें सौपा है। ऐसे में जिला प्रशासन द्वारा दिव्यांगजनों को उनके भावी जीवनसाथी चुनने के लिये अत्यन्त प्रभावशाली मंच उपलब्ध कराया गया और स्वर्ग में दिव्यांगजनों के लिये बने जीवनसाथी की तलाश में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की गई।
निर्धारित लक्ष्य से अधिक बने दिव्यांगजनों के जोड़े
उज्जैन अपना ही रिकार्ड तोड़ने की ओर अग्रसर
बुधवार को जिला प्रशासन द्वारा विक्रम कीर्ति मन्दिर में सामाजिक न्याय एवं नि:शक्तजन कल्याण विभाग तथा जिला पंचायत के संयुक्त तत्वावधान में वृहद स्तर पर दिव्यांगजनों का परिचय सम्मेलन आयोजित किया गया। यहां वृहद स्तर पर लिखना बिलकुल अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि केवल उज्जैन और आसपास के क्षेत्रों के ही नहीं, बल्कि देश के विभिन्न राज्य- राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, गुजरात और महाराष्ट्र के लगभग 700 दिव्यांगजन अपने परिजनों के साथ सम्मेलन में आये थे।
सभी ने बढ़-चढ़कर मंच से अपना परिचय दिया। इस दौरान जिला पंचायत अध्यक्ष श्री करण कुमारिया और कलेक्टर श्री शशांक मिश्र ने मंच पर पहुंचकर सम्मेलन में बने जोड़ों और अपना परिचय देने आये दिव्यांगजनों को फूलों की माला भेंट की और उन्हें भावी जीवन की शुभकामनाएं दी।
उल्लेखनीय है कि जिला प्रशासन द्वारा इस बार के दिव्यांग विवाह सम्मेलन के लिये कम से कम 111 जोड़ों का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। इसके मुकाबले पहले चरण में कुल 69 जोड़े, दूसरे चरण में कुल 18 जोड़े और वहीं बुधवार को आयोजित तीसरे चरण में कुल 26 इस प्रकार 113 दिव्यांगजनों के जोड़े विवाह हेतु काउंसलिंग किये जाने के बाद बन चुके हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछली बार उज्जैन में एक ही छत के नीचे लगभग 104 दिव्यांग जोड़ों का विवाह सम्पन्न हुआ था, जिसमें उज्जैन का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज हुआ था। यह हम सबके लिये प्रसन्नताभरा क्षण है कि इस बार उज्जैन अपना ही रिकार्ड तोड़ने की दिशा में अग्रसर है। सेवाधाम आश्रम के संचालक श्री सुधीरभाई गोयल ने बताया कि सेवाधाम आश्रम की 11 युवतियों ने भी मंच से अपना परिचय दिया है। उन्हें पूरी उम्मीद है कि उनके जीवनसाथी अवश्य मिलेंगे।
प्रशासन की ओर से अपर कलेक्टर श्रीमती बिदिशा मुखर्जी, संयुक्त संचालक सामाजिक न्याय श्री सीएल पंथारी, जिला दिव्यांग पुनर्वास केन्द्र के श्री सुनील खुराना, जिला पंचायत की श्रीमती कीर्ति मिश्रा और अन्य अधिकारी सम्मेलन में प्रारम्भ से ही व्यवस्थाएं बनाने में लगे हुए थे, वहीं दूसरी ओर कई समाजसेवी संस्थाएं, एनजीओ, सेवाधाम आश्रम के श्री सुधीरभाई गोयल, आनन्दक श्री नासिर बेलीम, श्री केशरसिंह पटेल, श्री शफीक मंसूरी और अन्य समाजसेवी ने भी दिव्यांगजनों के भावी जीवनसाथी चुनने में पूरी तरह सहायता की।
सभी दिव्यांगजनों ने मंच से अपना परिचय देते हुए बस यही कहा कि उन्हें एक ऐसे जीवनसाथी की तलाश है जो सही मायनों में उनका पूरक बन सके। गुजरात के दाहोद से आये 31 वर्षीय महेश चौबीसा ने कहा कि वे पूर्णत: दृष्टिबाधित हैं। उन्हें ऐसी जीवन संगिनी चाहिये जो उनके आंखें बन सके।
प्रशासन की ओर से सम्मेलन में आये दिव्यांगजनों और उनके परिजनों के लिये भोजन और पेयजल की व्यवस्था की गई थी। सुबह से ही पंजीयन काउंटर पर आवेदकों की भीड़ देखते ही बनती थी। परिचय सम्मेलन के प्रति दिव्यांगजनों का जबरर्दस्त उत्साह था। एक तरफ दिव्यांगजनों के भावी जीवनसाथी तलाश करने की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई थी, वहीं दूसरी तरफ उन्हें रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने के लिये इन्दौर की एक निजी कंपनी द्वारा रोजगार काउंटर भी लगाया गया था। यह व्यवस्था प्रशासन द्वारा इसलिये की गई थी ताकि दिव्यांगजन वैवाहिक बन्धन में बंधने के साथ-साथ आत्मनिर्भर तथा आर्थिक रूप से सुदृढ़ भी बन सकें।
सोशल मीडिया ने निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
ऐसे बना जिला स्तर से अन्तरराज्यीय स्तर का सम्मेलन
परिचय सम्मेलन में बहुत से दिव्यांगजन ऐसे थे, जो देश के विभिन्न राज्यों से यहां साथी की तलाश में यहां आये थे। अधिकतर दिव्यांगजनों ने यह जानकारी दी कि उन्हें फेसबुक और वाट्सअप ग्रुप के माध्यम से जिला प्रशासन द्वारा उज्जैन में इतने बड़े स्तर पर आयोजित किये जा रहे परिचय सम्मेलन की जानकारी मिली थी।
झांसी उत्तर प्रदेश से आये 31 वर्षीय दृष्टिबाधित रोहित मिश्रा ने कहा कि उन्हें वाट्सअप ग्रुप के माध्यम से सम्मेलन की जानकारी मिली। यहां प्रशासन द्वारा दिव्यांगजनों का बिलकुल परिवार के सदस्यों की तरह ख्याल रखा गया और उन्हें सहयोग किया गया।
रतलाम से आई 20 वर्षीय आईटीआई की छात्रा प्रियांशी मेहता पैरों से दिव्यांग थी। उन्होंने मंच से अपना परिचय देते हुए कहा कि उन्हें एक ऐसे जीवनसाथी की तलाश है, जिसमें बस वह कमी न हो, जो उनमें है। उज्जैन में आयोजित परिचय सम्मेलन के बारे में उन्हें समाचार-पत्र के माध्यम से जानकारी मिली थी। रोहित और प्रियांशी जैसे कई दिव्यांगजनों ने जीवनसाथी की तलाश यात्रा में सारथी बने जिला प्रशासन का हृदय से आभार व्यक्त किया।
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