जिला प्रशासन धान उपार्जन केंद्रों के माध्यम से धान के बदले किसानों को दे रही है सिर्फ बातों का झुनझुना | Jila prashasan dhan uparjan kendro ke madhyam se dhan ke badle kisano ke de rhi hai
जिला प्रशासन धान उपार्जन केंद्रों के माध्यम से धान के बदले किसानों को दे रही है सिर्फ बातों का झुनझुना
व्यापारियों को कम दाम प धान बेचने पर मजबूर हो रहे हैं किसान
बालाघाट (देवेन्द्र खरे) - मध्यप्रदेश शासन किसानों को अधिक से अधिक लाभ पहुंचाने के मकसद से धान उपार्जन केंद्रों की व्यवस्था की गई जिसकी शुरुआत 4 दिसंबर 2019 से जिले में अनेक स्थानों में शुरू किया गया है जिसके चलते आज दिनांक तक लगभग 226 करोड रुपए की धान की खरीदी की जा सकी है किंतु इसमें से शायद ही कुछ पैसा किसान के अकाउंट में जमा हुआ हो यह कैसी तैयारी जिला प्रशासन की यह सोचने का विषय है यही कारण है कि किसान अपने खून पसीने से पैदा किया हुआ धान औने पौने दामों पर खुले बाजारों में व्यापारियों को बेचने पर मजबूर है ।
वही परिवहन में लेटलतीफी भी उपार्जन केंद्रों की बड़ी समस्या बनी हुई है । वहीं दूसरी ओर उपार्जन केंद्रों के माध्यम से किसानों को दिन दहाड़े लूटा जा रहा है जहां किसानों से 40 किलो की भर्ती लेनी चाहिए वही 41 किलो को पार कर रहे उपार्जन केंद्र के प्रभारी खुलेआम इस लूट को देखने से प्रतीत होता है कि इसमें आला अधिकारीयों की मोन सहमति है। जब शासकीय केंद्रों में भी किसानों को खुलेआम लूटा जाएगा तो आखिर किसान जाए तो जाए कहां ? यही कारण है कि गांव के कोटवार का बेटा कोटवार तो बनना चाहता है , पर किसान का बेटा किसान नहीं । शासन प्रशासन चाहे किसान की उन्नति के बारे में कितने भी डिंगे हांक ले पर सच्चाई कुछ और बयां करती है।
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