हॉस्पिटल की अर्थव्यवस्था राम भरोसे
बरमण्डल (नीरज कुमार मारू) - प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बरमण्डल में रात्रि के समय डिलीवरी हेतु महिलाओं व परिजनों को अधिकांशत् परेशानी का सामना करना पड़ता है ।क्योकि प्राथमिक स्वास्थय केन्द्र बरमंडल में न तो डॉक्टर मेडम अपनी जिम्मेदारी समझते है न ही फिल्ड ऑफीसर मेडम शीला जी मुजाल्दे क्योकि अधिकांश लोगो को डिलेवरी के लिये सरदारपुर स्वास्थय केन्द्र ही जाना पडता है ऐसा ही वाक्या शनिवार रात्रि लगभग 7.30 बजे स्वास्थ्य केंद्र पर अकोलिया से एक महिला एवं एक महिला पडुनी से परिजन डिलीवरी के लिए लाए । प्रसूता की माता मुन्नीबाई ने बताया कि हम पुत्री रेखा को डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल लेकरआए तो ताला लगा हुआ था हम चाबी लेने गए तो चाबी देकर हमें कहा गया कि वापस चाबी दे जाना इस प्रकार अस्पताल प्रबंधन से किसी ने आना उचित नही समझा बाद में परेशान होकर परिजन डिलीवरी के लिए बाहर ले गए । इस बीच पडूँनी से वर्षा जाट को भी परिजन अस्पताल लेकर आए पर हॉस्पिटल में किसी के ना होने के चलते परिजन धार लेकर गए। ऐ वाक्या पहली या दुसरी बार का नही आये दिन यही कंडीशन होती है जब की बरमंडल के अलावा आस पास के मजरे एवं कई गॉव इसी हॉस्पिटल के सहारे है लेकिन जब परिजन अपने मरीज को लेकर यहा आते है और डॉक्टर उपस्थित नही मिलता तो मायुस होकर खुद को ही कोसते कि सायद मे यहा न आकर अपने मरीज को सीधा सरदारपुर या धार ही ले जाता तो ठीक रहता क्योकि उसके मन में डर रहता की कही कोई अनहोनी न हो जाये पर जब हमारे एक पत्रकार साथी के द्वारा इस बारे में मेडिकल ऑफिसर प्रियंका वर्मा जी से संपर्क करने का प्रयास किया तो उन्होंने कॉल रिसीव करना भी उचित नही समझा । वही ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. शीला मुजाल्दा से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि मैडम एग्जाम होने के काऱण 5 जनवरी तक छुट्टी पर है आप डिलीवरी पेशेंट को 108 के माध्यम से सरदारपुर भेज दीजिए। अब गॉव के लोगो का विश्वास ही पूरी तरह से उठ चुका है क्योकि हमारे जिले व तहसील की शासन व्यवस्था जो चल रही है उस्से सभी बरमंडल निवासी एवं आस पास के लोग पूरी तरह से हतास हो चुके है क्योकि जब हमारे अधिकारी भी सन्तोष जनक उत्तर न दे सके तो हम फिर किसको सुनाने जाये अब सवाल यह है कि बरमंडल में हॉस्पिटल का होना और न होना एक जैसा ही लगता है।
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