नपा ने किया शहर को ओडीएफ वकीलों ने खोली पोल
तहसील परिसर में खुले में शौच, तहसीलदार आवास के पीछे कूड़ादान
आमला (रोहित दुबे) - नगरपालिका द्वारा शहर को स्वच्छता अभियान में ओ डी एफ बताया जा रहा है और वकीलों ने तहसीलदार के समक्ष ओ डी एफ की पोल खोलकर रख दी ।जानकारी के मूताबिक आज शहर के अधिवक्ता संघ तहसील कार्यालय पहुचकर तहसीलदार बेदनाथ वासनिक को ज्ञापन सौपने पहुचे जहा वरिष्ठ अधिवक्ता राजेंद्र उपाध्याय ने बताया नपा द्वारा शहर को ओ डी एफ बताया जा रहा जबकी तहसील परिसर में लोग खुले में शौच कर रहे ।न्यायालय की बाउंड्रीवाल के आगे पीछे भी यही हाल है और तो ओर तहसीलदार के सरकारी आवास से 100 मीटर की दूरी पर नपा द्वारा शहर का सम्पूर्ण कूड़ा फेका जा रहा है ।इसके बाद तहसीलदार बगले नापते नजर आए ।और नपा अधिकारियों को तहसील कोर्ट के पास खुले में शौच करने वालो पर जुर्माने की बात मोबाइल काल पर कहि ।वही दूसरी ओर अधिवक्ता संघ ने ज्ञापन सौप नगरपालिका परिषद द्वारा बनाए गए कोर्ट परिसर में शेड में व्यवस्था बनाने की मांग की ।ज्ञापन में उल्लेख है कि विधायक निधी से 5 लाख रुपये ली लागत से अधिवक्ता पक्ष कार को बेठने समुचित व्यवस्था हेतु स्वीकृत किया गया था लेकिन नपा ने लागत के आधार पर कार्य न कर कम शेड बनाए।एक माह पूर्व अधिवक्ता संघ द्वारा नपा अधिकारियों को लिखित शिकायत की थी जिसमे शेड में बिजली व्यवस्था ,फ्लोर, टाइल्स शौचालय मूत्रालय निर्माण पूर्ण करवाने की थी जिससे गन्दगी से निजात मिल सके लेकिन 1 माह बीतने पर नपा ने कोई सकारात्मक कार्यवाही नही करि ।जबकी विधायक निधि की स्वीकृत राशि मे से करीबन 1 लाख 20 हजार नपा के पास शेष है ।
जिला कलेक्टर के नाम सौपा ज्ञापन की एस डी एम कोर्ट की मांग
शहर के अधिवक्ता संघ के राजेन्द्र उपाध्याय,कल्पेश माथनकर,मोहमद शफी,अनिल पाठक ,सुरेंद्र खातरकर,एच आर चौधरी श्रीमती शारदा यादव,रमेश सोनपुरे सहित अन्य अधिवक्ताओं ने कलेक्टर के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौप तहसीलदार ,नायब तहसीलदार के आदेश के विरुद्ध एस डी कोर्ट की मांग की ।जिसमे बताया गया कि अधिवक्ता पक्षकार को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है तहसील के आदेशों के खिलाफ अपील करने मुलताई जाना पड़ता है ।आर्थिक खर्च के अलावा आवाजाही की परेशानी उठानी पड़ती है ।बिना किसी सूचना के आमला से विभागीय कार्यालय बन्द कर दिया गया है ।वही वकीलों ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि 15 दिवस में अगर पुनः एस डी एम कार्यालय शुरू नही होता है, तो राजस्व न्यायालय के कार्य से विरत रहेंगे और मुलताई एस डी एम के समक्ष मामलों की अपील नही करेंगे ।
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