मप्र के महामहिम राज्यपाल के नाम अपर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
मप्र शासन द्वारा आंगनवाड़ी, छात्रावासों एवं शासकीय स्कूलों में बच्चें को अंडे देने की घोषणा का राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल आयोग और आईजा ने किया विरोध
झाबुआ (मनीष कुमट) - मप्र शासन द्वारा हाॅल ही में प्रदेश के शासकीय स्कूलों, आंगनवाड़ियों में अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं एवं छात्रावास में निवासरत बच्चों को अंडे वितरण करने की घोषणा की है, जिसका हर वर्ग, समाज एवं संस्थाएं विरोध कर रहीं है।
इसी क्रम में राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग तथा आॅल इंडिया जैन जर्नलिस्ट एसोसिएशन, बुधवार को दोपहर 3 बजे कलेक्टोरेट पहुंचकर मप्र के महामहिम राज्यपाल के नाम ज्ञापन अपर कलेक्टर एसपीएस चौहान को सौंपा। दोनो संस्थाओं ने अलग-अलग ज्ञापन सौंपे। जिसमें उल्लेख किया गया कि मप्र के शासकीय स्कूलों एवं आंगनवाड़ियों में बच्चों को मप्र शासन ने एक बार पुनः अंडे दिए जाने की घोषणा की है। जो अत्यंत निंदनीय है। सवाल यह है कि शासन ने अंड को ही क्यो पोष्टीक माना है, जबकि शाकाहार में भी कई पोष्टीक तत्वों की चीजे खिलाई जा सकती है। शासन का यह निर्णय अहिंसक, हिन्दू एवं जैन समाज आदि पर जबरन थोपे जाने वाला निर्णय है। जिसका दोनो संस्थाएं विरोध करती है एवं महामहिम राज्यपाल से मांग करती है कि वे मप्र शासन को निर्देशित करे कि वह शाकाहारी समाज को विचलित करने वाले इस प्रकार के आदेश वापस ले।
इन्होने सौंपा ज्ञापन
ज्ञापन राष्ट्रीय मानवाधिकार एवं महिला बाल विकास आयोग के प्रतिनिधि प्रदेश अध्यक्ष एवं आईजा प्रदेेश उपाध्यक्ष मनीष कुमट,कार्यवाहक अध्यक्ष एवं आईजा के प्रदेश अध्यक्ष पवन नाहर, आयोग के प्रदेश प्रभारी किर्तीष जैन, आयोग के संभागीय उपाध्यक्ष गोपाल विष्वकर्मा, आयोग की जिलाध्यक्ष श्रीमती चेतना चौहान, मनोज उपाध्याय, आईजा के जिलाध्यक्ष संदीप जैन, गोपाल चोयल, निलेश परमार एवं सुमित्रा मेड़ा आदि ने मिलकर दिया।
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