आचार्यश्री की मौन साधना की महामांगलिक में उमड़ा अपार जन सैलाब
इन्दौर (म.प्र.) - दादा गुरुदेव की पाट परम्परा के अष्टम पट्टधर वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने सूरि मंत्र पंचप्रस्थान पीठ की तीसरी श्रीदेवी (लक्ष्मी देवी) पीठ की आराधना २१ दिवसीय मौन साधना के साथ १३ अक्टूबर को प्रारम्भ की थी जिसकी पूर्णाहुति आज रविवार को ऐतिहासिक महामांगलिक के साथ हुई । इस महामांगलिक को सुनने के लिये देश भर से २०० से अधिक श्रीसंघों की विशाल उपस्थिति रही । वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. को आराधना के स्वर्ण कक्ष से बांसवाड़ा निवासी श्री पी.सी. जैन लेकर आये व आचार्यश्री को सामैया अलिराजपुर निवासी श्री अनिशकुमार जैन परिवार ने किया । श्री राजेन्द्रसूरि आराधना भवन से विशाल चल समारोह के साथ आचार्यश्री को महामांगलिक पाण्डाल राजेन्द्र वाटिका अपार जनसैलाब की उपस्थिति में ले जाया गया ।
आचार्यश्री ने अपनी मौन साधना पूर्ण करते हुये प्रथम नमस्कार महामंत्र श्री राहुल सुमेरमलजी रांका को श्रवण करवाकर अपनी दिव्य वाणी का श्रवण गुरुभक्तों को कराते हुये कहा कि श्री सुधर्मास्वामी की पाटपरम्परा में हमारे पूर्वाचार्यो ने मौन साधना के साथ सूरिमंत्र आराधना का विधान आचार्यभगवन्तों को प्रदान किया है । इस आराधना में पांच पीठिका होती है । जिसमें मैने प्रथम श्री सरस्वती देवी की आराधना झाबुआ चातुर्मास में गोड़ी पाश्र्वनाथ जिन मंदिर परिसर में की । द्वितीय श्री त्रिभुवनस्वामिनी देवी की आराधना श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के चातुर्मास में की थी और तृतीय श्रीदेवी (लक्ष्मीदेवी) की आराधना मध्यप्रदेश की औद्योगिक राजधानी इन्दौर शहर के तिलक नगर स्थित गुरु राजेन्द्र उपाश्रय में की है । मौन साधना का बड़ा महत्व है प्रभु के समक्ष मौन रुप से रहकर साधना आराधना जब की जाती है तब मानव का प्रभु से मन मिल जाता है और मानव तंत्र एकाग्र चित होकर प्रभु भक्ति में लिन हो जाता है । पहले यह मंत्र ४०० श्लोकों का था पर हमारे पूर्वाचार्यो ने मंत्र को सुक्ष्म कर हमें सूरिमंत्र की विशिष्ट विधान का संयोजन दिया है । बिना सरस्वती के ज्ञान की उपासना सम्भव नहीं होती है और यह आराधना हर आचार्यो को करना जरुरी होता है । गुरु सप्तमी महामहोत्सव में २ जनवरी २०२० को जयसिंह लोढ़ा चातुर्मास समिति इन्दौर के संयोजक को समाज भूषण, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री सुनील सिंघी को तीर्थरत्न एवं श्री संतोष पुराणी को समाजरत्न की पदवीं से अलंकृत करुंगा । १२ दिसम्बर से १५ जनवरी तक मेरी स्थिरता श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ पर रहेगी । इस अवधि के दौरान वर्ष २०२६ में दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के जन्म शताब्दी के २०० वर्ष पूर्ण हो रहे है इस महामहोत्सव को मनाने की पुरी पंचवर्षीय योजना की तैयारी की जावेगी । कार्यक्रम में मुनि श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा. द्वारा संकलित देव-गुरु-भक्ति पुस्तक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया ।
कार्यक्रम में गहुली श्री कांतिलाल छगनराजजी वजावत परिवार तनकु वालों ने की । आचार्यश्री को स्वर्ण तिलक लगाकर गुरु चरण पूजा श्री हुक्मीचंदजी वागरेचा एवं श्री शांतिलालजी दैयप ने की । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री सुनील सिंघी अल्पसंख्यक आयोग राष्ट्रीय अध्यक्ष विशेष अतिथि श्री कृष्णमुरारी मोघे, नवनिर्वाचित झाबुआ विधायक श्री कांतिलाल भूरिया आदि थे । समस्त अतिथियों एवं श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के उपाध्यक्ष श्री पृथ्वीराज सेठ, महामंत्री फतेहलाल कोठारी, मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, कोषाध्यक्ष श्री हुक्मीचंद वागरेचा, ट्रस्टी श्री चम्पालाल वर्धन, कमलचंद लुणिया, जयंतिलाल बाफना, शांतिलाल दैयप, बाबुलाल वर्धन, मेघराज जैन, मांगीलाल रामाणी, सुखराज कबदी, संजय सराफ, आनन्दीलाल अम्बोर, कमलेश पांचसौवोरा आदि ने प्रभु एवं गुरु प्रतिमा के समक्ष दीप प्रवज्जवलन कर माल्यार्पण किया व मुमुक्षु श्री अजय नाहर का सम्मान किया । कार्यक्रम में महाराष्ट्र, गुजरात, तमिनाडु, कर्नाटका, राजस्थान, मुम्बई, सुरेन्द्रनगर, पालीताणा, अहमदाबाद, इन्दौर, धार, राजगढ़, बदनावर, बड़नगर, उज्जैन, खाचरौद, नागदा जं., जावरा, मन्दसौर, नीमच, झाबुआ, राणापुर, कुक्षी, टाण्डा, अलिराजपुर, बाग, दसई सहित २०० से अधिक श्रीसंघों की उपस्थिति रही ।
आचार्यश्री के आगामी कार्यक्रम-
आचार्यश्री ने कहा कि १० नवम्बर को छोटी महामांगलिक के साथ श्री गुरु राजेन्द्र उपाश्रय में चातुर्मास विदाई समारोह व कार्यकर्ताओं का सम्मान, १२ नवम्बर को चातुर्मास परिवर्तन श्री मोतीलालजी रांका परिवार के निवास पर किया जावेगा यहां कार्तिक पूर्णिमा के वंदन होगें । १३ नवम्बर को रेसकोर्स स्थित श्री पाश्र्वनाथ जिनालय के दर्शन वंदन हेतु जाउंगा । राउ जिन मंदिर में १८ अभिषेक व महामांगलिक १४, १५, नवम्बर को, विभिन्न श्रीसंघों की विनतियों पर कहां कि अभी कुछ समय और इन्दौर में रहने की भावना है खाचरौद में २७ नवम्बर को नाकोड़ा मंदिर ट्रस्ट व अरविंदकुंज द्वारा निर्मित उपाश्रय का उद्घाटन किया जावेगा । ३२ वर्षीय दसई निवासी मुमुक्षु श्री अजय नाहर को मुनि दीक्षा व साध्वी जी को बड़ी दीक्षा १५ जनवरी २०२० को दी जावेगी । श्री शंखेश्वरपुरम् बदनावर में जिन मंदिर गुरु मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा ३१ जनवरी २०२० माह सुदी ६ को होगी । तीन प्रतिष्ठा कोंकण क्षेत्र में करना है अलीबाग स्थित पोयनाड महाराष्ट्र में १ से ५ मार्च को जिन मंदिर गुरु मंदिर की अंजनशलाका प्रतिष्ठा, ठाणा महाराष्ट्र में श्री भरतकुमार वालचंदजी जैन परिवार निर्मित विहार धाम की प्रतिष्ठा ११ मार्च को एवं बदलापुर महाराष्ट्र में गुरु मंदिर की प्रतिष्ठा १५ मार्च २०२० चैत्र वदी ७ को होगी ।