पत्रकार सच का आईना है, उन पर झूठे मामले ना बनाया जाये - सूरज ब्रम्हे
यदि पत्रकारों पर झूठे मामले बने तो होगा आंदोलन
बालाघाट (टोपराम पटले) - मिशन न्यू इंडिया नरेंद्र मोदी विचार मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सूरज ब्रम्हे ने पुलिस महानिर्देशक मध्यप्रदेश शासन भोपाल का ध्यान आकर्षित करते हुवे कहा कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ को अपने कलम की ताकत से संभाले रखने वाले कलमकारों पर झूठे मामले बनाये जाने के मामले आय दिन प्रकाश में आ रहें हैं। श्री ब्रम्हे ने मांग की है कि पत्रकारों पर मामला पंजीबद्ध करने से पूर्व आई.पी.एस. अधिकारी से ही जांच कराने के उपरांत ही मामला पंजीबद्ध किया जाये। आपने कहा कि पत्रकार सच का आईना है। जो हम सबको प्रतिदिन सच सामने रखने का काम करता है। आपने पत्रकारों की पीड़ा को बहुत करीब से देखा है और पत्रकारी की दुनिया मे खुद महसूस किया है। क्योंकि मेरे द्वारा भी अनेकों माफियों के काले कारनामे को समाचार पत्रों के माध्यम से शासन-प्रशासन तक पहुंचाने का काम किया गया है। और उस समय मैं भी माफियों तथा अधिकारियों के सांठगांठ से काफी परेशान हुआ हुँ। इसलिए मैं पत्रकारों के दुखों को समझता हूँ। क्योंकि पत्रकार की पीड़ा को समझना हर व्यक्ती के वश की बात नही है ! जिन जानकारियो पर कुछ लोग डींगें मारने का काम करते है न , वह जानकारी पत्रकार इकठ्ठा करता है , रोज सुबह अखबार पढ़कर ज्ञान बाटते हो न , वह ज्ञान और जानकारी पत्रकार अपनी मेहनत से संजोकर आप तक पेश करता है ! टीवी पर पत्र पत्रिकाओं पर नई नई जानकारीया आप तक पहुंचाई जाती है ! बह काम भी एक पत्रकार का है ! न केवल अपने आसपास के झेत्र की जानकारी हमें आसानी से मिलती है , बल्कि गाँव , ग्रामीण , कस्बा शहर , संभाग देश और विदेश की सभी जानकारीया आप को एक पत्रकार ही परोसता है ! जिसको आप पढ़कर , समझकर दुनिया वालो को ज्ञान बाटने निकल पड़ते है ! कभी यह सोचने का प्रयास किया है , की इतनी सारी जानकारी हमें दो रुपये के अखबार मे कैसे मिलती होगी ! कितनी मेहनत करनी पड़ती होगी ! जीरो ग्राउंड की रिपोर्ट से लेकर , आप सब तक समाचार और जानकारीया पहुंचाने मे कितनी मेहनत और मशक्कत लगती होगी ! वह भी बिना किसी स्वार्थ और वेतन के ! कड़ी धूप हो या बारिश , ठंड हो लेकीन आपके दरवाजे तक रोज समय पर अखबार पहुंच जाता है ! सोचो यह सब कैसे संभव हो पाता है ! आप लोग धूप , बारिश पानी मे कई , कई दिन काम पर ब्रेक लगा देते होंगे ! लेकिन पत्रकार कभी रुकता नही है ! वह अपने आसपास और चारो दिशाओ की खबरो से आपको प्रतिदिन समय पर रूबरू कराता है ! न तो इन्हे सरकार से कोई तनख्वाह मिलती है , और न ही किसी प्रकार का अधिकार दिया गया है , और न ही कोई सुरक्षा के इन्तेज़ाम है ! ऐसे मे एक पत्रकार को अपनी दिनचर्या और घर का लालन पालन करने के लिये आधी रोटी मे जीवन गुजारने को तैयार है ! कहने को तो पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ है ! लेकिन अधिकार के मामले मे सभी वर्गो से पिछे है ! पत्रकार एक ऎसा वर्ग है ! जिसे कोई भी , कभी भी सार्वजनिक रूप से मारने की धमकी देता हैं ,हैं , तो कोई ग्रुप बनाकर पिटाई करता हैं ! तो कोई दलाल कहता हैं , तो कोई चापलूस समझता हैं ! किसी का अच्छा लिखे तो उसके प्रतिद्वंदी की नजरो मे बुरे , और खिलाफ मे लिखे तो उसकी नजरो मे दुश्मन ! आखिर ऎसा क्या किया हैं पत्रकार ने , जबकि पत्रकार का काम सिर्फ और सिर्फ आईना दिखाना। सभी पत्रकार बन्दुओं से अनुरोध है कि आपसी मतभेद को भूलाकर सबको एक होने की आवश्यकता है।
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