डॉ रामशंकर चंचल का ताजा उपन्यास 'अनन्या की डायरी' | Dr ramshankar chanchal ka taja upanyas ananya ki diary

डॉ रामशंकर चंचल का ताजा उपन्यास 'अनन्या की डायरी'

डॉ रामशंकर चंचल का ताजा उपन्यास 'अनन्या की डायरी'

चिरगंभीर और शालीन स्वभाव की खूबसूरत नारी की मार्मिक दास्तान

झाबुआ (मनीष कुमट) - साहित्य सृजन दैविक प्रेरणा एवं मां सरस्वती की कृपा का ही प्रतिफल होता है। शब्दो के शिल्प से कल्पनाओ को मूर्तरूप देकर जब कागज के केनवास पर शब्दकृति उकेरी जाती है और साकार होकर एक पुस्तक, एक उपन्यास के रूप में पाठको के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराती है, तो पाठक पढते ही आत्मसात करके उस कहानी मे अपने आप को कहीं न कहीं मौजूद पाता है। झाबुआ जिले के गौरव एवं प्रख्यात साहित्यकार डॉ रामशंकर चंचल अब किसी परिचय के मोहताज नही रहे है। साहित्य को साधना मान कर सतत जुटे रहने वाले इस व्यक्तित्व का  ताजा साहित्यिक, गहन गंभीर, नारी विवशता पर केंद्रित उपन्यास अनन्या की डायरी का माही धारा प्रकाशन से प्रकाशित हुआ। डॉ चंचल का यह 13 वां साहित्यिक उपन्यास है। अभी तक चंचल की  40 कृतियो का प्रकाशन हो चुका है। पूर्व प्रकाशित बड़ा आदमी, सपा काका, पर्यावरण पुजारिन, आदर्श गांव, काली आदि बेहद चर्चित और लोकप्रिय रहे हैं। अनन्या की डायरी एक खूबसूरत, चिरगंभीर ,शालीन स्वभाव वाली लड़की अनन्या के शादी के बाद हुए उसके अत्याचार यातना पीड़ा की सहज यथोथ दास्तान है। सात फेरों में बिखर गए अनन्या के अरमानों का सजीव चित्र हर किसी को बहुत कुछ सोचने को विवश कर देता है। डा. चंचल की इस उपान्यास कृति में आज भी नारी की स्थिति अपमान और यातना लिए है । यह गंभीर प्रश्न उपन्यास अनन्या की डायरी बड़ी मार्मिकता के साथ इस हकीकत से रूबरू करता है । डॉ चंचल के इस 13 वे उपन्यास के प्रकाशन पर उनके सैकड़ों मित्रों , परिचितो साहित्यकारों ,पत्रकारों और गणमान्य नागरिकों ने उन्हें बधाई देते हुए हर्ष जताया। नगर के साहित्य प्रेमियों सहित देश के कोने कोने से डा. चंचल की इस अमर कृति के लिये बधाई सन्देश प्राप्त हो रहे है । तथा पाठकों एवं बुद्धिजीवियों के अनुसार  डा. रामशंकर चंचल निश्चित ही मां सरस्वती के वरदपुत्र के रूप में हिन्दी साहित्य की सेवा के साथ ही उसके प्रचार प्रसार में भी एक कालजयी की तरह प्रखर भूमिका का निर्वाह कर रहे है ।

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