बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा समनापुर में मनाया गया
विदा हुई मां, जला लंकेश
समनापुर (पप्पू पड़वार) - विकासखण्ड मुख्यालय समनापुर में कड़ी सुरक्षा के बीच सभी प्रतिमाओं का विसर्जन कर दिया गया. प्रतिमा विसर्जन से पहले पंडालों में नम आंखों से देवी दुर्गा को विदाई दी गई। वहीं सिंदूर गुलाल की होली खेली गई। विजयादशमी की रात भी पूजा-पंडालों में श्रद्धालुओं का तांता देर रात तक मां के दर्शकों के लिए लगा रहा. जय माता दी के जयकारे से पूरा फिजा भक्तिमय हो गया. फूलों की वर्षा के बीच आस्था की सरिता में गोते लगा रहे भक्त मां के अंतिम दर्शन कर उनके चरण स्पर्श को बेताब दिखे वहीं मुख्यालय के युवा डीजे पर थिरकते हुए मां की विदायी में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखना चाह रहे थे. मूर्ति विसर्जन स्थल के पास शाम से ही सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु इकट्ठा थे। पौराणिक परंपरा के अनुसार वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मां की प्रतिमाओं का विसर्जन होता भावपूर्ण दृश्य देख महिला व पुरुष श्रद्धालुओं की आंखें डबडबा गयी। समनापुर के लगभग सभी पूजा-पंडालों में पूजा-पाठ कर जहां परंपरागत तरीके से मूर्ति विसर्जन किया गया। विजयादशमी पर मुख्यालय में दशानन रावण के 21 फीट ऊंचे पुतले का दहन हुआ। आकर्षक आतिशबाजी के बीच रावण दहन की गूंज दूर तक सुनाई दी।
आतिशबाजी ने किया नागरिकों को आकर्षित
सिहारे मार्केट स्थित दशहरा मैदान में रावण दहन देखने के लिए शाम से ही भारी भीड़ जुट गई थी। रात में भगवान राम की शोभायात्रा यहां पहुंची। आतिशबाजों ने अपनी आतिशबाजी का प्रदर्शन किया। रंगारंग आतिशबाजी से आकाश रंगीन हो उठा। दूर-दूर तक पटाखों की आवाजें सुनाई दे रही थीं। आकर्षक आतिशबाजी को देखकर युवा और बच्चे खुशी में शोरगुल कर रहे थे। आतिशबाजी के समापन के बाद रावण के पुतले का दहन किया गया। करीब 21 फीट का यह पुतला चंद पलों में जलकर राख हो गया। रावण दहन होते ही सैकड़ों की संख्या में मौजूद दर्शकों की भीड़ सिहारे मार्केट से लौट मां कल्याणी दरबार में कार्यक्रम का आनंद उठाया ।