400 साल से भक्तों के दुख दूर कर रही है मां भद्रकाली | 400 saal se bhakto ke dukh door kr rhi hai maa bhadrakali
400 साल से भक्तों के दुख दूर कर रही है मां भद्रकाली
पिपला (प्रभाकर चोपड़े) - सतपुड़ा पर्वत के सुंदर वादियों में जाम नदी के तट पर स्थाई प्राचीन भद्र चामुंडा मंदिर है, श्रद्धालुओ का आस्था का केंद्र बना हुआ है। बताया जाता कि यह मंदिर करीब चार सौ वर्ष पुराना है, नवरात्री में यहा जिले के अलावा प्रदेश तथा महाराष्ट्र के दूरदराज ग्रामों से श्रद्धालु माता भक्तों मां के चरणों में माथा टेकने पहुंचते हैं।
मंदिर के निर्माण के संबंध में प्रचलित जानकारी के अनुसार दंडाकारष्य वनांचल में महाराजा रघुजी भोसले के शासन काल में पूर्वा वाहिनी जाम नदी एवं उत्तरवाहिनी अंबाघाट नदी के समीप पर श्रृंगेरी मठ के तीन महंतों संमेद्रपुरी स्वामी, योगेश पुरी स्वामी, विद्यानंद पुरी ने इस मंदिर को सन 1606 में निर्माण कराया था।
इस मंदिर का निर्माण आकर्षित चमक काली का पचायत है, यह मंदिर के गर्भ ग्रह में मां भद्रकाली, मां अन्नपूर्णा माता, शिव, गणेश, गौरी, नन्दी आदि भगवान की स्थापना की गई है। प्रवेश द्वार एवं सभामंडप काल्पनिक बना है, मंदिर पर भैरव महाराज की भी प्रतिमा स्थापित की गई है, इसके अलावा प्रवेश द्वार के चारों और इष्ट देवताओं अंकित किया गया है। मंदिर के सामने मकरध्वज की प्रतिमा चौसठ मातुक योगिनी नवग्रह की प्रतिमा के पुरातन शिल्पकाला आने वाले भक्तजनों का मन मोह लेती है मां के इस दरबार के मे नवरात्रि नवरात्रि के दौरान दूर दराज के भक्तगण सुबह 4:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड पड़ती है इस मंदिर प्रांगण में तीनों महंतों ने पूर्व दिशा की ओर सभाकक्ष है तथा दूसरे तीसरे महंतो ने मंदिर प्रांगण में संजीवनी समाधि ली है इस मंदिर का निर्माण दुर्गा माता यंत्र के वास्तु शास्त्र विधि विधान से किया है माता के भक्त जनों का मानना है कि माता को सच्चे मन से माथा टेकने पर भक्तों की मनोकामनाए पूर्ण होती है इस मंदिर की व्यवस्था के लिये पूरी परिवार का पारिवारिक ट्रस्ट बना हुआ है वर्तमान सरभराकर महंत राजेश संजय पुरी मंदिर की सुचारू व्यवस्था तथा धूमधाम से नवरात्रि पर्व मना रहा है नवरात्र पर्व का समापन अष्टमी की पूजा नवमी को कन्या भोज एवं महाप्रसादी के साथ महाप्रसादी वितरण के साथ होगा।
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