150 से 200 साल पुरानी है सिंदूर से बनी माताजी की प्रतिमा | 150 se 200 saal purani hai sindoor se bani mataji ki murti
150 से 200 साल पुरानी है सिंदूर से बनी माताजी की प्रतिमा
राणापुर (ललित बंधवार) - नगर के मध्य पश्चिम छोर पर छायन रोड स्थित श्री कालिका माता मंदिर लगभग 150 से 200 साल पुराना बताया जाता है। यह मंदिर प्राचीन समय में एक छोटे से स्थान पर कच्ची झोपड़ी में माताजी विराजमान थी। इस माताजी मंदिर की यह विशेषता है कि चमत्कारी के साथ ही मंगलकारी व मनोकामना पूर्ण वाली माताजी की मूर्ति यहां पर विराजित है। यहां पर जो भी श्रृद्धालु आता है, मन्नातें मांगता है, वह पूरी होती है। मंदिर में विराजमान प्रतिमा लगभग डेढ़ क्विटल सिंदूर से बनाई हुई है जो कि इस तरह की मूर्ति संभवतः देश में एकमात्र ही है। इसे राजस्थान के कलाकारों के द्वारा लगभग डेढ़ माह में बनाया गया था। समय के बदलाव के साथ नगरवासियों के सहयोग से मंदिर को पक्का करके मंदिर पर ऊपर शिखर कलश की स्थापना व माताजी की सवारी शेर की भी स्थापना की गई। यहां पर नवरात्र पर्व के अलावा सामान्य दिनों मे भी भीड़-भाड़ अधिक रहती है। मंदिर के पीछे भाग में कालभैरव भी विराजमान है।
वही दशहरा मैदान के सामने स्थित चामुंडा माता मंदिर पर अति प्राचीन मंदिरों में से एक है। घने जंगल में वर्षा पूर्व एक टेंट के अंदर चामुंडा माताजी के प्रतिमा विराजमान थी। जन सहयोग से मंदिर निर्माण करके पक्के भवन में विराजीत है। यहां नवरात्रि पर 18 से 20 वर्षों से अखंड ज्योत जल रही है। यहां पर जिले के अलावा गुजरात राजस्थान के भी लोग मन्नत लेकर आते हैं। मन्नते पूरी होती है। शीतला माता मंदिर में भी अखंड ज्योत जलाई जा रही है।
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