यामिनी बना रहीं गौबर और फूलों से संजा, पारंपरिक संजा बनाने एवं उसकी पूजा करने का होता है विशेष महत्व
झाबुआ (मनीष कुमट) - शहर के मालीसेरी गली में 16 वर्षीय बालिका यामिनी कहार द्वारा संजा पर्व के दोरान गौबर और फूलों से सुंदर संजा का निर्माण प्रतिदिन किया जा रहा है। कु. यामिनी के अनुसार पारंपरिक संझा का विषेष महत्व होता है, इसमें साक्षात संजाजी का वास होता है।
यामिनी ने बताया कि वह पिछले कई वर्षों से अपने घर की दीवार पर पारंपारिक रूप से गौबर, फूलों और पीतल पान (चमकीली पन्नीयों) से संजा बनाकर प्रतिदिन आरती कर प्रसादी वितरण के साथ समूह में बालिकाओं द्वारा संजा के गीत भी गाए जा रहे है। अंतिम दिन गौबर, फूलों आदि से कला-कोट की आकृति भी बनाई जाएगी। यामिनी ने बताया कि आज कल बाजारों में रेडिमेड संजा मिलने से अधिकतर बालिकाएं अपने घरों के दीवारों पर उन्हें चिपकाकर पूजन आदि करती है, लेकिन वास्तव में पारंपरिक संजा का अपने आप में विषेष महत्व होता है, जो आज विलुप्त सी हो चली है। ऐसे में वह अपनी माता सुनिता एवं पिता संतोष कहार तथा भाई दर्षन और बड़ी बहन पूनम कहार की प्रेरणा से सत्त गौबर ओर फूलों से संजा बनाकर पुरानी पंरपरा को कायम रखे हुए है।