भागवत कथा में मनाया गया कृष्णा जन्मोत्सव धूमधाम से | Bhagwat katha main manaya gaya krishn janmotsav dhoom dham se

भागवत कथा में मनाया गया कृष्णा जन्मोत्सव धूमधाम से

भागवत कथा में मनाया गया कृष्णा जन्मोत्सव धूमधाम से

अलीराजपुर (अली असगर बोहरा) - स्थानीय शेरूभाई की बाड़ी कुम्हारवाड़ा में आज भागवत कथा के चौथे दिन श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धुमधाम से मनाया गया। इस दौरान नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की एवं आ जाओ ओ कन्हैया मेरा मन उदास है। जैसे भजन व भक्ति जयघोष से पांडाल गुंज उठा। वहीं बाल श्रीकृष्ण पर पुष्प वर्षा हुई, भगवान श्रीकृष्ण बने बालक की एक झलक पाने को हर कोई आतुर दिखा। पांडाल में बैठे सैकड़ों श्रद्धालु उद्धोष करते हुये अपनी जगह खड़े होकर झुम उठे और भगवान का जन्म उत्सव मनाने लगे। प्रांगण को गुब्बारों व कृष्ण भगवान के कट आउट से सजाया गया था। कृष्ण भगवान को माखन मिश्री का भोग लगाया गया।

भागवत कथा में मनाया गया कृष्णा जन्मोत्सव धूमधाम से

व्यासपीठ से कथा वाचन करते हुए पण्डित मनमोहन अत्रे ने राजा उत्तानपाद रानी सुनीति व सुरूचि की कथा के साथ धु्रव की भक्ति का वृत्तांत भी सुनाया। सती माता की कथा सुनाकर 52 शक्तिपीठों के निर्माण होने का भी विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया। हर व्यक्ति के लिए बताया कि जहॉ धर्म एवं ईष्वर की निंदा हो रही हो धर्म एवं ईष्वर को अपषब्द कहे जा रहे हो, वहॉ खड़े भी नहीं रहना चाहिये।

मन ही बंधन का कारण म नही मुक्ति का मार्ग

मन चंचल भी है नरम भी है कठोर भी है किन्तु स्वयं के मामलों में वह नरम ही रहता है। कष्ट से बचने के अनेक उपाय एवं बहाने खोज लेता है। मन ही है जो हमारे वेदों में बताये चार आश्रमों का पूर्ण पालन मनुष्य को नहीं करने देता है। ब्रहष्चर्य आश्रम एवं गृहस्थ आश्रम का पालन तो हर कोई करता है। किन्तु वानप्रस्थ आश्रम का समय आते ही वह वेदग्रंथों द्वारा बताये गये मार्गों से विचलित होने लगता है, जब वह वानप्रस्थ आश्रम का पालन नहीं करता तो फिर सन्यास आश्रम की वह कल्पना भी नहीं करता है।

कथा संयोजक निरंजन मेहता ने बताया कि शनिवार 21 सितम्बर को कथा में कृष्ण लीला, गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाया जाएगा एवं छप्पन भोग लगाया जाएगा। आज की सम्पूर्ण व्यवस्था शेरूभाई माली ने की एवं भगवान कृष्ण व वासुदेव की सज्जा भी इनके परिवार द्वारा की गई।

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