शासकीय आवासों में रह रहे हैं कर्मचारियों के रिश्तेदार व किरायेदार, विभाग नही करता कोई कार्यवाही
मुरैना (संजय दीक्षित) - मुरैना शहर में पीडब्ल्यूडी के द्वारा बनाए गए शासकीय क्वार्टरों का कई वर्षों से दुरुपयोग किया जा रहा है, लेकिन जांच के नाम पर केवल कागजों तक ही सीमित है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है जिसमें जिला चिकित्सालय में पदस्थ स्टाफ नर्स लक्ष्मी निगम जो के 2015 में मुरैना से प्रतिनियुक्ति पर ग्वालियर जयारोग्य में पहुंच गई है किंतु उनका शासकीय आवास सब्जीमंडी स्थित H -44 उनके नाम से अभी भी कागजों में अंकित है, लेकिन क्वार्टर में उनके जाने के बाद से ही ताला डाल दिया गया है। लेकिन विभाग द्वारा आजतक क्वार्टर खाली कराने की सूचना माननीय जिलाधीश महोदय को नहीं दी गई जो कि घोर अनियमिताओं की श्रेणी में आता है। जनवरी 2019 में पीडब्ल्यूडी द्वारा उक्त क्वार्टर की जांच भी की गई जिसमें बताया गया कि कर्मचारी क्वार्टर में निवासरत है। जबकि कर्मचारी 2015 में ग्वालियर जयारोग्य अस्पताल में प्रतिनियुक्ति पर चली गई और आज तक वापस नहीं आई है। अगर उसकी जांच कराई जाए तो वहां पर भी हाउस बेड ले रही है। जिससे शासन को दोहरी आर्थिक क्षति पहुंचाई जा रही है। ऐसे ही कई अन्य प्रकरण भी हैं जिनमें कर्मचारियों का स्थानांतरण होने के बाद भी उनके साथ ही आवास खाली नहीं कराए गए और दो-तीन साल बाहर नौकरी करते है और वापस मुरैना नौकरी पर आकर क्वार्टरों में रहने लगते हैं। जबकि बाहर जाकर हाउस बेड लेकर शासन को आर्थिक हानि पहुंचाई जाती है और मुरैना में अपने परिवार जन, रिश्तेदार अथवा किराएदार रखकर दोहरा लाभ कमाया जाता है। जबकि मुरैना में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा सन 2011 से क्वार्टरों की मांग की जा रही है लेकिन आजतक क्वार्टर नहीं उपलब्ध कराए गए हैं यदि उसकी जांच किसी प्रशासनिक अधिकारी के द्वारा कराई जाए तो ऐसे प्रकरणों में काफी हद तक सफलता मिल सकती है। सिविल सर्जन अशोक गुप्ता से इसके बारे में पूछा गया तो उनका कहना था कि लक्ष्मी निगम के स्थान्तरण की सूचना उसी समय विभाग को दे दी गई लेकिन उसने क्वार्टर खाली नहीं किया है। इसकी हमें कोई जानकारी नहीं है।
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