सरकार बदली लेकिन व्यवस्थाएं नहीं, रोजगार के लिए अब भी पलायन को मजबूर है मजदूर - जयस संरक्षक पंवार| JYAS SANRAKSHAK PAWAR NE KI MANG

खरगोन - जिले में जनप्रतिनिधि, सरकार में बदलाव हो रहा है लेकिन व्यवस्थाएं नहीं बदल पा रही है। बेरोजगारी सभी वर्गो के लिए समस्या बनी हुई है। क्षेत्र में काम नहीं रोज सुबह आदिवासी क्षेत्रों से लोग अन्य राज्यों के लिए दो जून की रोटी के लिए पलायन करते नजर आ जाते है, जबकि चुनावी दौर में नेता चुनाव के दौरान विपक्ष क्षेत्र में बेरोजगारी का मुद्दा बनाकर चुनावी मैदान में तो जरुर उतरता है लेकिन ऐन.केन प्रकारेण लाभ मिलने के बाद उन्हीं मुद्दों को दरकिनार कर देता है। 
सरकार बदली लेकिन व्यवस्थाएं नहीं, रोजगार के लिए अब भी पलायन को मजबूर है मजदूर - जयस संरक्षक पंवार| JYAS SANRAKSHAK PAWAR NE KI MANG
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जयस संरक्षक पंवार ने जिले में रोजगार के साधन उपलब्ध कराने की कि मांग 


नेशनल जयस के जिला संरक्षक राजेंद्र सिंह पंवार ने ज्यादातर आदिवासी क्षेत्रों में बढ़ती बेरोजगारी को लेकर चिंता जताते हुए गढ़ी मोगरगांव, गुलजीरा, डाबला, मोमदिया, आंजनगव उमरिया, रेटवा, रासगंगली, बेहेडघाट, कंनकाीमक आदि गांवों से मजदुर जिले के ही दुरस्थ गांवों सहित अन्य राज्यों में मजदूरी को जाते हैं। सरकार एवं स्थानीय प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में रोजगार के साधन बढ़ाए जाएं जिससे क्षेत्र के लोगों को अनजान राज्यों में जाकर मजदूरी को मजबूर न होना पड़े। पंवार ने बताया कि हाल ही में प्रदेश सरकार द्वारा मनरेगा योजना में बजट बढ़ाया है, जिससे मजदूरों को गांव में ही रोजगार मिलने की उम्मीद जागी है लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा गांव में ही रोजगार देने एवं मनरेगा में काम देने के लिए कोई प्रचार. प्रसार नहीं किया जा रहा नतीजतन सैंकड़ों की संख्या में रोजाना मजदूर निजी वाहनों या यात्री बसों से पलायन कर रहे है। 

सरकार बदली लेकिन व्यवस्थाएं नहीं, रोजगार के लिए अब भी पलायन को मजबूर है मजदूर - जयस संरक्षक पंवार| JYAS SANRAKSHAK PAWAR NE KI MANG
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गांव में केवल बच्चे और बुजुर्ग करते है निवास

पंवार ने गांव के हालातों की चिंता जताते हुए कहा कि बेरोजगारी गरीब, अशिक्षित आदिवासियों के लिए अभिषाप बन गई है, गांव में रोजगार नहीं मिलने से महिला.पुरुष छोटे. छोटे बच्चो को बुजुर्गो के पास छोड़कर अन्यंत्र मजदूरी के लिए जाने को मजबुर है। क्षेत्र के मजदूरों का पलायन रोकने के लिए तात्कालीन कांग्रेस सरकार ने अतिमहत्वाकांक्षी योजना मनरेगा संचालित कि थी, कुछ दिन तो प्रधानों के खाते से धन की निकासी कर मजदूरी का वितरण किया गया लेकिन  लगभग कुछेक वर्षो से काम बंद होने या जो काम किया उसकी राशि नहीं आने से मजदूर शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। इससे जहां विकास कार्य ठप पड़ गया है वही मजदूरों के समक्ष रोजगार न मिलने से संकट खड़ा हो गया है।

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