खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर परिवार

खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर परिवार

खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर परिवार

डिंडौरी (पप्पू पड़वार) - मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले में एक गरीब परिवार खुद को जिंदा साबित करने के लिये सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है। दरअसल ग्रामपंचायत के कर्ताधर्ताओं ने सरकारी दस्तावेजों में एक परिवार के तीन सदस्यों को मृत घोषित कर दिया है जिसके कारण उस परिवार को किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। मामले का खुलासा तब हुआ जब पीड़ित परिवार अपनी बच्ची का दाखिला कराने स्कूल पहुंचा दाखिले के लिये जब स्कूल प्रबंधन ने परिवार से समग्र आईडी की मांग की तब परिवार को जीते जी अपनी मौत की जानकारी लगी। समग्र आईडी के मुताबिक 74 वर्षीया बुजुर्ग महिला दुजिया बाई 18 सितंबर 2016, उसकी बेटी कुबरिया बाई 10 अक्टूबर 2015 और दामाद तिहरु की 11 अक्टूबर 2015 को मृत्यु होना दर्ज़ है। पीड़ित परिवार जब इस बात की शिकायत लेकर ग्रामपंचायत पहुंचा तो पंचायत के नुमाइंदों ने उन्हें डांट डपटकर भगा दिया वहीं मामला उजागर होने के बाद अब जवाबदार अधिकारी गलती स्वीकार कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की बात कर रहे हैं।

डिंडौरी जिले में बजाग ग्रामपंचायत की कारसतानी, तीन जिंदा लोगों को कागजों पर मृत बना दिया

मजदूरी कर जीवनयापन करने वाली बुजुर्ग महिला दुजिया बाई अपनी बेटी और दामाद के साथ बजाग ग्रामपंचायत के वार्ड नंबर 11 में रहती है। बेटी और दामाद मजदूरी करने छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर गये हुये हैं। तीन लोगों के इस परिवार को ग्रामपंचायत ने सरकारी दस्तावेजों में मृत घोषित कर दिया। लिहाजा गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले इस परिवार को किसी भी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इतना ही नहीं ग्रामपंचायत की लापरवाही के कारण परिवार के बच्चों का स्कूल में दाखिला तक नहीं हो पा रहा है. पीड़ित परिवार अब खुद को जिंदा साबित करने सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर है। वहीं ग्रामपंचायत के सचिव यह कहकर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं कि यह मामला उनके कार्यकाल का नहीं है।

खुद को जिंदा साबित करने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर परिवार

सरकारी कागजों पर बुजुर्ग महिला दुजिया बाई और उनकी बेटी दामाद तीनों के मृत्यू दिनांक और स्थान भी दर्ज है।

समग्र आईडी में संशोधन करने की एक सरकारी प्रक्रिया होती है। जनपद पंचायत के अफसरों के अप्रूवल के बिना ग्रामपंचायत के कर्ताधर्ता समग्र आईडी में किसी तरह का छेड़छाड़ नहीं कर सकते हैं। जब  मीडिया ने जनपद पंचायत के सीईओ को मामले से अवगत कराया तो उन्होंने गलती स्वीकार कर दोषी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का भरोसा जताया है। साथ ही पीड़ित परिवार का नाम समग्र आईडी में दोबारा जोड़े जाने की बात भी कही है 

डिंडौरी जिले में यह कोई पहला मामला नहीं है जो खुद को जिंदा साबित करने सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने को मजबूर हैं। जिले में ऐसे कई लोग हैं जो जीवित होते हुये भी सरकारी रिकार्ड में मृत घोषित कर दिये गये हैं।

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