पुलवामा हमले में इस्तेमाल हुई गाड़ी को लेकर हुए खुलासे

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आत्मघाती हमले में जिस गाड़ी का इस्तेमाल किया गया था, उसके मालिक तक जांचकर्ता जल्द ही पहुंच सकते हैं। इसी गाड़ी का इस्तेमाल केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के काफिले पर हमला करने के लिए किया गया था। इस हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे। 
मारुति के अधिकारियों द्वारा की गई जांच में ये पता चला है कि जिस वाहन का इस्तेमाल किया गया वह मारुति ईको थी। खुफिया एजेंसी के जांचकर्ताओं ने घटनास्थल से कई सैंपल एकत्रित किए, ये गाड़ी साल 2010-11 में बनाई गई थी। गाड़ी को दोबारा से पेंट भी किया गया था।

विश्लेषण से अभी यही दो जानकारियां सामने आई हैं। सूत्रों के मुताबिक कोई निश्चित निष्कर्ष अभी नहीं निकाला जा सकता है। सुरक्षा एजेंसी के अधिकारियों ने शुक्रवार को दोबारा घटनास्थल का दौरा किया और कई अन्य नमूने एकत्रित किए। टीम ने न केवल घटनास्थल की जांच की बल्कि उसके आसपास के इलाकों को भी अच्छे से जांचा।  

ये धमाका इतना तेज था कि वाहन का मलवा 150-200 मीटर दूर तक गया और आसपास के रिहाइशी इलाकों तक भी पहुंच गया। अधिकारी ने बताया कि गाड़ी के कुछ नए पर्ट्स भी बरामद कर लिए गए हैं और इनकी भी जांच की जाएगी। 

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार जांचकर्ताओं को एक जैरीकेन (तरल पदार्थ जैसे पेट्रोल और पानी रखने के लिए इस्तेमाल किया जाता है) और धातु का टुकड़ा मिला था। संदेह है कि 20-25 लीटर की क्षमता वाले जैरीकेन को 30 किलो आरडीएक्स रखने के लिए इस्तेमाल किया गया था, जिससे गाड़ी में रखा आईईडी बनाया गया। चश्मदीदों का कहना है कि गाड़ी का रंग लाल था।

सूत्रों के अनुसार गाड़ी के जो हिस्से मिले हैं, उनकी जांच की जाएगी ताकि गाड़ी के बनने और बिकने की तारीख का पता चल सके। कश्मीर में चोरी की गई गाड़ियों से संबंधित एफआईआर का भी विश्लेषण किया गया लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। जांचकर्ताओं का कहना है कि या तो गाड़ी राज्य के बाहर से चोरी की गई थी या फिर ये गाड़ी चोरी की नहीं थी। 

इस गाड़ी को चलाने वाले की पहचान आदिल अहमद डार के तौर पर हुई है। उसके परिवार के डीएनए नमूने भी जल्द लिए जाएंगे। जिनका मिलान घटनास्थल से मिले नमूनों से भी किया जाएगा।

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