नदी महोत्सव में आया केवल दृष्टिपत्र, नीति नहीं बना पाई सरकार

इंदौर। पांचवां नदी महोत्सव शुक्रवार-शनिवार को होशंगाबाद जिले के बांद्राभान गांव में होगा। फिर नदी और जल विशेषज्ञों का जमावड़ा होगा। वे विचार मंथन करेंगे। पिछले चार महोत्सवों में एक दृष्टिपत्र ही बन पाया है। 2015 के नदी महोत्सव के बाद जब यह दृष्टिपत्र सरकार को सौंपा गया तो उसने सहर्ष स्वीकार किया, लेकिन अब तक न तो नदी नीति तय हुई है, न ही इसे लेकर कोई हलचल है। इस बीच नर्मदा कई जगहों पर सूख गई है और प्रदूषण भी बढ़ा है।

2008 से लेकर अब तक हुए चार नदी महोत्सव जनसहयोग से हुए, लेकिन इस बार नर्मदा सेवा मिशन के जरिये पूरा खर्च राज्य सरकार उठा रही है। इस आयोजन के मूल में आरएसएस की विचारधारा से निकले पूर्व केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे की परिकल्पना थी। वर्ष 2015 में तय हुआ था कि जब भी देश में नदियों के संरक्षण और संवर्धन के लिए कोई नीति बनती है तो इस दृष्टिपत्र के सुझावों और सिफारिशों को सरकार शामिल कर सकती है, पर 3 साल बाद भी नदियों पर नीति सामने नहीं आई है।

आयोजन पर खर्च होंगे 5.5 करोड़

बताया जाता है कि वर्ष 2015 के नदी महोत्सव पर करीब 33 लाख स्र्पए खर्च हुए थे। तब यह राशि दानदाताओं से जुटाई गई थी। अबकी बार सरकार ने 5.50 करोड़ स्र्पए का इंतजाम किया है।

दृष्टिपत्र के क्रियान्वयन के तहत हम नर्मदा घाटों की सुरक्षा, सफाई का इंतजाम कर रहे हैं। नदी क्षेत्र में 19 जगह चिन्हित की गई है जहां नालों का गंदा पानी नदी में मिलने से रोका जाएगा। - प्रदीप पांडे, उपाध्यक्ष, मप्र जन अभियान परिषद

मंथन से अब तक निकले विचार

2008 - नर्मदा समग्र के माध्यम से वर्ष 2008 में पहली बार नदी महोत्सव हुआ था। इसका उद्देश्य था कि लोगों में नदियों के प्रति जागरूकता पैदा की जाए।

2010 - दूसरा नदी महोत्सव नर्मदा, गंगा जैसी मुख्य नदियों के अलावा सहायक नदियों को प्रदूषणमुक्त और संरक्षित करने पर आधारित था।

2013 - तीसरे नदी महोत्सव में भी सहायक नदियों पर ही जोर रहा। नर्मदा की 42 सहायक नदियों को चिन्हित कर इन पर काम करने की जरूरत बताई गई।

2015 - चौथे नदी महोत्सव में सहायक नदियों के कैचमेंट एरिया पर फोकस रहा। महोत्सव के दौरान नदी नीति के लिए दृष्टिपत्र तैयार किया गया।

होशंगाबाद में बगैर ट्रीटमेंट नहीं पी सकते

नर्मदा का पानी नर्मदा के पानी की स्वच्छता और गुणवत्ता को लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने रिपोर्ट सार्वजनिक की, जिसमें अमरकंटक से मंडलेश्वर तक के पानी के नमूनों की जांच की गई। रिपोर्ट के मुताबिक होशंगाबाद को छोड़कर बाकी सभी जगह पानी साफ मिला है, जिसे सीधे पीया जा सकता है। बोर्ड ने होशंगाबाद से गुजर रही नर्मदा के पानी को बगैर ट्रीटमेंट के पीने से मना किया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (इंदौर रीजन) के वैज्ञानिक डॉ. दिलीप वाघेला ने बताया कि जनवरी की रिपोर्ट में होशंगाबाद में पानी थोड़ा खराब मिला है।

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