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प्रशासनिक निष्क्रियता से जर्जर भवन ढहा, वृद्धा घायल; प्रधानमंत्री आवास योजना पर उठे सवाल sawal Aajtak24 News |
रीवा - जिले के गंगेव जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम गंभीरपुर में गुरुवार आधी रात को एक जर्जर कच्चा मकान ढह जाने से एक वृद्धा घायल हो गईं। यह घटना प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर करती है, जहाँ गरीबों के लिए बनी प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी महत्वपूर्ण योजनाएँ कागजों तक ही सीमित हैं।
क्या है पूरा मामला?
पीड़ित महिला के पति बालमुकुंद उपाध्याय ने बताया कि रात करीब 12 बजे वे अपनी पत्नी के साथ सो रहे थे, तभी अचानक मकान का एक हिस्सा गिर गया। मलबे के नीचे उनकी पत्नी दब गईं। ग्रामीणों की मदद से उन्हें बाहर निकाला गया और प्राथमिक उपचार दिया गया। उपाध्याय ने आरोप लगाया कि उन्होंने कई वर्षों पहले प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवेदन किया था। सभी दस्तावेज भी जमा किए गए, लेकिन आज तक उन्हें कोई स्वीकृति नहीं मिली। उन्होंने कहा, "अगर समय रहते आवास मिल गया होता, तो शायद यह हादसा टल सकता था।" उन्होंने पंचायत स्तर पर भेदभाव और पक्षपातपूर्ण कार्यप्रणाली का आरोप लगाया, जहाँ केवल सरपंच के करीबी लोगों को ही योजनाओं का लाभ मिलता है।
बारिश के मौसम में जान जोखिम में डाल रहे ग्रामीण
गंभीरपुर की यह घटना कोई अकेली नहीं है। इसी गंगेव जनपद पंचायत क्षेत्र के गढ़ में भी कई पुराने और जर्जर भवन हादसे के मुहाने पर हैं। एक वृद्ध महिला आज भी कच्ची मिट्टी के घर में रहने को मजबूर हैं, जिसकी छत पर सिर्फ पॉलिथीन लगी है। पिछले साल भी इसी क्षेत्र में जर्जर दीवार गिरने की घटना हो चुकी है, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। यहाँ तक कि पुरानी इमारतों, जैसे पारसी स्कूल, के गिरने का खतरा लगातार बना हुआ है, फिर भी अधिकारियों ने निरीक्षण की ज़हमत नहीं उठाई है।
प्रशासन पर उठते सवाल
इस समय पूरे देश में मानसून सक्रिय है, लेकिन रीवा का प्रशासन अभी भी लापरवाह बना हुआ है। न तो कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई है, न ही जर्जर भवनों का सर्वे। यह स्थिति दिखाती है कि योजनाएँ सिर्फ कागजों और प्रचार तक सीमित हैं। इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं:
क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?
क्या प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी महत्वपूर्ण योजनाएँ केवल घोषणाओं तक सीमित रहेंगी?
क्या गरीबों की जान की कोई कीमत नहीं है?
इन घटनाओं को देखते हुए, यह जरूरी है कि प्रशासन तत्काल जर्जर भवनों का निरीक्षण करे और प्राथमिकता के आधार पर आवास आवंटित करे ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।