बीजेपी जिलाध्यक्ष की अपील, उमड़ी भीड़
यह विवाद गुरुवार को तब शुरू हुआ जब मठ मंदिर संरक्षण समिति ने एक मकबरे को 'ठाकुरद्वारा मंदिर' बताकर उसके सुंदरीकरण की मांग करते हुए जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन देने वालों में कई बीजेपी नेता भी शामिल थे। इसके बाद, रविवार को बीजेपी जिलाध्यक्ष मुखलाल पाल ने एक वीडियो जारी कर इसे मकबरा नहीं, बल्कि मंदिर बताया और सोमवार सुबह लोगों से पूजा-अर्चना के लिए मौके पर पहुंचने की अपील की। उनके इस आह्वान के बाद सोमवार को बड़ी संख्या में लोग डाक बंगला के पास इकट्ठा हुए और नारे लगाते हुए विवादित स्थल की ओर बढ़ने लगे।
बैरिकेडिंग तोड़कर अंदर घुसे लोग
प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए रविवार शाम से ही मकबरे के आसपास बैरिकेडिंग लगाकर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया था। इसके बावजूद, सोमवार सुबह करीब 11:30 बजे, भीड़ ने पुलिस की बैरिकेडिंग को तोड़ दिया और विवादित स्थल के अंदर प्रवेश कर गई। इसके बाद, दूसरे पक्ष के लोग भी वहां पहुंच गए, जिससे दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए और स्थिति तनावपूर्ण हो गई। आरोप है कि मकबरे के बाहर कुछ लोगों ने तोड़फोड़ भी की, हालांकि पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा।
प्रशासन का हस्तक्षेप और आगे की कार्रवाई
स्थिति की जानकारी मिलते ही जिलाधिकारी (DM) और पुलिस अधीक्षक (SP) सहित प्रशासन के कई बड़े अधिकारी तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने दोनों पक्षों को समझा-बुझाकर अलग किया और फिलहाल मौके पर शांति कायम है। हालांकि, लोग अभी भी थोड़ी दूरी पर खड़े हैं। प्रशासन ने मौके पर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया है और दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों से बातचीत की जा रही है। एडीएम वित्त एवं राजस्व अविनाश त्रिपाठी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि यह जगह मंदिर है या मकबरा, इसका फैसला केवल सरकारी अभिलेखों के आधार पर किया जाएगा। उन्होंने चेतावनी भी दी है कि जो कोई भी कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की कोशिश करेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। वहीं, राष्ट्रीय ओलमा कौंसिल ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर यह स्पष्ट किया था कि अभिलेखों में यह स्थल 'मकबरा मंगी' के रूप में दर्ज है। यह मामला अब एक राजनीतिक और धार्मिक विवाद का रूप ले चुका है, जिसकी गहन जांच जारी है।