मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज की मारामारी: किसानों को लागत भी नसीब नहीं, कब सुधरेंगे हालात? Aajtak24 News

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में प्याज की मारामारी: किसानों को लागत भी नसीब नहीं, कब सुधरेंगे हालात? Aajtak24 News

भोपाल - देशभर के प्याज किसान इन दिनों अपनी उपज के उचित दाम को लेकर बेहद चिंतित हैं। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र, जो कि देश के प्रमुख प्याज उत्पादक राज्य हैं, की मंडियों में प्याज की कीमतें लगातार कम बनी हुई हैं, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। आलम यह है कि कई किसानों को अपनी लागत भी वसूल कर पाना मुश्किल हो रहा है। हालांकि, हाल के दिनों में महाराष्ट्र की कुछ मंडियों में थोड़ी तेजी जरूर देखने को मिली है, लेकिन किसान इसे नाकाफी बता रहे हैं। उनकी मानें तो वर्तमान कीमतें अभी भी प्रति क्विंटल उत्पादन लागत से काफी नीचे हैं। ऐसे में मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की प्रमुख मंडियों में प्याज के ताजा भाव और किसानों की उम्मीदों का जायजा लेना जरूरी है।

मध्य प्रदेश: मंडियों में कीमतों का उतार-चढ़ाव

मध्य प्रदेश की विभिन्न मंडियों में 22 अगस्त 2025 को प्याज की कीमतों में भारी भिन्नता देखी गई। होशंगाबाद और नीमच जैसी मंडियों में प्याज की अधिकतम कीमत 1900 रुपये प्रति क्विंटल के करीब दर्ज की गई, जो कि अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति दर्शाती है। वहीं, शाजापुर और शुजालपुर की मंडियों में किसानों को अपनी उपज औने-पौने दामों पर बेचनी पड़ी, जहां न्यूनतम कीमतें 300 से 500 रुपये प्रति क्विंटल तक सिमट गईं। प्रदेश की बड़ी मंडियों जैसे इंदौर और भोपाल में प्याज का औसत भाव 1100 से 1300 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहा। हरदा जिले की टिमरनी मंडी में स्थानीय प्याज 1000 रुपये प्रति क्विंटल के स्थिर भाव पर बिका।

अगर मंडियों के विशिष्ट भावों की बात करें तो शाजापुर जिले की आगर मंडी में गैर-एफएक्यू (Non-FAQ) ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 500 रुपये, अधिकतम 1100 रुपये और मॉडल कीमत 1100 रुपये रही। सीहोर जिले की आष्टा मंडी में एफएक्यू (FAQ) ग्रेड प्याज 400 रुपये न्यूनतम, 1300 रुपये अधिकतम और 700 रुपये मॉडल भाव पर बिका। भोपाल मंडी में एफएक्यू ग्रेड प्याज की कीमतें 600 रुपये न्यूनतम, 1450 रुपये अधिकतम और 1300 रुपये मॉडल रहीं। होशंगाबाद (फल एवं सब्जी मंडी) में एफएक्यू ग्रेड प्याज 1300 रुपये न्यूनतम, 1990 रुपये अधिकतम और 1410 रुपये मॉडल भाव पर बिका। इंदौर मंडी में एफएक्यू ग्रेड प्याज का न्यूनतम भाव 354 रुपये, अधिकतम 1279 रुपये और मॉडल भाव 1154 रुपये रहा, जबकि गैर-एफएक्यू ग्रेड प्याज 608 रुपये न्यूनतम, 1511 रुपये अधिकतम और 1154 रुपये मॉडल भाव पर बिका। शाजापुर जिले की कालापीपल मंडी में एफएक्यू ग्रेड प्याज 460 रुपये न्यूनतम, 540 रुपये अधिकतम और 540 रुपये मॉडल भाव पर बिका। नीमच मंडी में एफएक्यू ग्रेड प्याज 1091 रुपये न्यूनतम, 1376 रुपये अधिकतम और 1376 रुपये मॉडल भाव पर बिका। शाजापुर जिले की शुजालपुर मंडी में एफएक्यू ग्रेड लाल प्याज 300 रुपये न्यूनतम, 1414 रुपये अधिकतम और 450 रुपये मॉडल भाव पर बिका। हरदा जिले की टिमरनी मंडी में गैर-एफएक्यू ग्रेड लोकल प्याज 1000 रुपये प्रति क्विंटल के स्थिर भाव पर बिका।

महाराष्ट्र: भारी उतार-चढ़ाव और किसानों की निराशा

महाराष्ट्र की मंडियों में भी प्याज के दामों में भारी अस्थिरता देखने को मिली। राज्य की विभिन्न मंडियों में न्यूनतम भाव 100 रुपये प्रति क्विंटल तक गिर गया, जबकि अधिकतम भाव 2600 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंचा। हालांकि, मॉडल कीमतें ज्यादातर 1100 से 1700 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रहीं। अमरावती (फल एवं सब्जी मंडी) में लोकल ग्रेड प्याज की न्यूनतम कीमत 800 रुपये, अधिकतम 2600 रुपये और मॉडल कीमत 1700 रुपये प्रति क्विंटल रही। जलगांव (भुसावल मंडी) में लोकल ग्रेड प्याज 1000 रुपये न्यूनतम, 1500 रुपये अधिकतम और 1200 रुपये मॉडल भाव पर बिका। नाशिक (चांदवड मंडी) में लोकल ग्रेड प्याज की कीमतें 552 रुपये न्यूनतम, 1588 रुपये अधिकतम और 1400 रुपये मॉडल रहीं। नागपुर (हिंगणा मंडी) में लोकल ग्रेड लाल प्याज 1200 रुपये न्यूनतम, 2000 रुपये अधिकतम और 1525 रुपये मॉडल भाव पर बिका। पुणे (जुन्नर–आलेफाटा मंडी) में लोकल ग्रेड प्याज 1000 रुपये न्यूनतम, 2010 रुपये अधिकतम और 1550 रुपये मॉडल भाव पर बिका। पुणे (मोशी मंडी) में लोकल ग्रेड प्याज 700 रुपये न्यूनतम, 1800 रुपये अधिकतम और 1250 रुपये मॉडल भाव पर बिका। अहमदनगर (राहता मंडी) में लोकल ग्रेड प्याज 800 रुपये न्यूनतम, 2200 रुपये अधिकतम और 1650 रुपये मॉडल भाव पर बिका। शोलापुर (सोलापुर मंडी) में लोकल ग्रेड लाल प्याज की सबसे बुरी स्थिति रही, जहां न्यूनतम कीमत केवल 100 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज की गई, जबकि अधिकतम 2350 रुपये और मॉडल कीमत 1150 रुपये रही।

इन कीमतों के भारी उतार-चढ़ाव के बावजूद, महाराष्ट्र के किसान नेता भरत दिघोले का कहना है कि बांग्लादेशी आयात खुलने से प्याज की कीमतों में करीब दोगुना उछाल जरूर आया है, लेकिन यह अभी भी उनकी उत्पादन लागत से काफी कम है। महाराष्ट्र के प्याज किसान लंबे समय से 3000 रुपये प्रति क्विंटल के समर्थन मूल्य की मांग कर रहे हैं। इसके साथ ही, वे प्याज के निर्यात को लेकर एक स्थिर नीति की भी मांग कर रहे हैं, जिससे उन्हें बेहतर दाम मिल सके। किसानों को उम्मीद है कि अगर सरकार इस दिशा में जल्द कोई ठोस कदम उठाती है और निर्यात को बढ़ावा मिलता है, तो उन्हें अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा। हालांकि, अभी तक सरकार की ओर से इस संबंध में कोई स्पष्ट पहल दिखाई नहीं दे रही है।

जानकारों का मानना है कि पिछले साल अधिक बुवाई के कारण बंपर उत्पादन और पड़ोसी देशों से मिल रही कड़ी प्रतिस्पर्धा के चलते इस साल भारत में प्याज के थोक दामों में गिरावट आई है। किसानों के बीच यह एक आम प्रवृत्ति देखी जाती है कि जब वे किसी वर्ष किसी फसल में घाटा उठाते हैं, तो अगले वर्ष उस फसल की बुवाई कम कर देते हैं, जिससे उत्पादन में कमी आती है और नए फसल वर्ष में कीमतें बढ़ जाती हैं। हालांकि, भारत में यह स्थिति इसलिए भी जटिल बनी हुई है क्योंकि यहां अधिकांश किसान छोटी जोत वाले हैं, जिनके पास बाजार की स्थितियों के अनुसार अपनी फसल योजना में बदलाव करने की सीमित क्षमता होती है। अब देखना यह होगा कि सरकार प्याज किसानों की इस समस्या को दूर करने के लिए क्या कदम उठाती है और किसानों को कब अपनी उपज का लाभकारी मूल्य मिल पाता है।

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