![]() |
गणेश चतुर्थी: सिर्फ बप्पा नहीं, पंचदेवों की पूजा से होगा हर दुख का नाश, जानें विधि और महत्व Aajtak24 News |
नई दिल्ली - गणेश चतुर्थी का पावन पर्व नजदीक है, जो पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाए जाने वाले इस त्योहार का सनातन धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भक्त अपने घरों और पंडालों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर उनकी सेवा में जुट जाते हैं। लेकिन शास्त्रों के अनुसार, गणेश चतुर्थी के दिन केवल बप्पा की ही नहीं, बल्कि पंचदेवों की पूजा करने का विधान है। मान्यता है कि पंचदेवों की पूजा से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।
कौन हैं पंचदेव और उनका महत्व?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पंचदेवों में भगवान गणेश के अलावा चार अन्य देवता शामिल हैं। ये हैं:
भगवान शिव: इन्हें सृष्टि का संहारक माना जाता है। गणेश चतुर्थी पर इनकी पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और वे भयमुक्त होते हैं।
भगवान विष्णु: इन्हें जगत का पालनहार कहा जाता है। भगवान विष्णु की पूजा से घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती और सुख-समृद्धि बनी रहती है।
मां गौरी (देवी पार्वती): मां गौरी को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इनकी पूजा से भक्तों को दांपत्य जीवन में सुख, शांति और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
सूर्यदेव: सूर्य को नवग्रहों का राजा और जीवन का आधार माना जाता है। इनकी पूजा से आरोग्य, तेज और मान-सम्मान में वृद्धि होती है।
शास्त्रों में कहा गया है कि गणेश चतुर्थी की पूजा के दौरान इन सभी देवी-देवताओं का आशीर्वाद लेना बहुत जरूरी है। ऐसा करने से जीवन के सभी दुख और कष्ट धीरे-धीरे दूर हो जाते हैं और हर कार्य में सफलता मिलती है।
मूर्ति स्थापना और विसर्जन के नियम
गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करने के कुछ खास नियम हैं, जिनका पालन करना अनिवार्य होता है। भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार बप्पा की मूर्ति को घर में रख सकते हैं। ज्यादातर लोग डेढ़ दिन, 3 दिन, 5 दिन या 7 दिन के लिए बप्पा को घर लाते हैं। वहीं, कुछ भक्त 10 दिनों तक गणेश उत्सव मनाते हैं और अनंत चतुर्दशी के दिन धूमधाम से मूर्ति का विसर्जन करते हैं। इस दौरान भगवान गणेश को हर दिन विधि-विधान से पूजा करके उनका मनपसंद भोग लगाना चाहिए। इस आलेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। किसी भी जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।