ट्रंप के 'टैरिफ वॉर' का भारत पर 50% प्रहार, लेकिन भुगतेंगे अमेरिकी उपभोक्ता? Aajtak24 News

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नई दिल्ली/वॉशिंगटन - अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत समेत कई देशों पर लगाए गए नए टैरिफ आज से लागू हो गए हैं, जिसने वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी है। भारत के उत्पादों पर 50 फीसदी का भारी-भरकम टैरिफ लगाया गया है, जबकि स्विट्जरलैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों को करीब 39 फीसदी टैरिफ का सामना करना होगा। ट्रंप प्रशासन का दावा है कि इस कदम से अमेरिका को अरबों डॉलर की कमाई होगी और देश के व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी, लेकिन अमेरिका के अंदर ही कई विशेषज्ञ और अर्थशास्त्री इस फैसले पर सवाल उठा रहे हैं।

भारत का दो टूक रुख: 'किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं'

अमेरिकी टैरिफ के ऐलान के बाद भारत ने भी अपना रुख स्पष्ट कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक कार्यक्रम में साफ शब्दों में कहा है कि भारत अपने किसानों के हितों के लिए हमेशा तत्पर रहेगा और किसी भी तरह से कोई समझौता नहीं करेगा। मोदी का यह बयान खासकर डेयरी फार्मिंग और खाद्यान्न उत्पादों के बाजार में अमेरिका को आसान एंट्री न देने की ओर संकेत करता है। भारत सरकार का मानना है कि घरेलू कृषि क्षेत्र को संरक्षण देना देश की आर्थिक और खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।

अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा महंगाई का बोझ

वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि भले ही ट्रंप प्रशासन अरबों डॉलर की बचत का दावा कर रहा हो, लेकिन इस टैरिफ की असल कीमत अमेरिका के उपभोक्ताओं को ही चुकानी पड़ेगी। रिपोर्ट के अनुसार, बढ़े हुए टैरिफ से भारत और अन्य देशों से आयात होने वाले उत्पादों की कीमतें बढ़ जाएंगी। इसका सीधा असर अमेरिकी घरों के बजट पर पड़ेगा और कई चीजों की महंगाई बढ़ने की आशंका है। अमेरिका में पहले से ही बेरोजगारी दर बढ़ी हुई है, ऐसे में महंगाई का बढ़ना 'कोढ़ में खाज' जैसा होगा। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह स्थिति अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक साबित हो सकती है और इसकी विकास दर को भी प्रभावित कर सकती है। टैरिफ वार से अमेरिका में घरेलू मांग कमजोर होने और आर्थिक दायरे के सिकुड़ने का खतरा भी मंडरा रहा है।

कंपनियों के लिए बढ़ी लागत का भार

टैरिफ वार का असर सिर्फ उपभोक्ताओं पर ही नहीं, बल्कि कंपनियों पर भी पड़ेगा। ऐप्पल जैसी बड़ी टेक कंपनियों के सामने भी बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। ऐप्पल अपने आईफोन और अन्य उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत और चीन जैसे देशों पर निर्भर है। ट्रंप प्रशासन के उच्च टैरिफ से बचने के लिए, ऐप्पल ने अमेरिका में 100 बिलियन डॉलर का भारी निवेश करने का ऐलान किया है। इस निवेश का इस्तेमाल सेमीकंडक्टर और अन्य जरूरी कंपोनेंट्स के उत्पादन में किया जाएगा। ट्रंप ने यह भी साफ किया है कि वह चिप्स और सेमीकंडक्टर्स पर 100 फीसदी टैरिफ लगाएंगे, लेकिन यह उन कंपनियों पर लागू नहीं होगा जो अमेरिका में निवेश कर रही हैं। हालांकि, चिंता की बात यह है कि अमेरिका में प्रोडक्शन यूनिट स्थापित करने के बाद भी इन कंपनियों के लिए उत्पादन की लागत मौजूदा व्यवस्था की तुलना में काफी अधिक हो जाएगी। इस बढ़ी हुई लागत का बोझ भी आखिरकार अमेरिकी उपभोक्ताओं को ही उठाना पड़ेगा।

व्यापारिक संबंधों पर असर

ट्रंप का यह 'टैरिफ वॉर' वैश्विक व्यापार संबंधों को भी प्रभावित कर रहा है। रूस और अन्य देशों के साथ व्यापार होने के बावजूद भारत पर विशेष रूप से निशाना साधने के पीछे कई कूटनीतिक और आर्थिक कारण हो सकते हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले का अमेरिका, भारत और बाकी दुनिया पर क्या असर होता है। क्या यह फैसला वास्तव में अमेरिका की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगा, या फिर जैसा कि कई विशेषज्ञ कह रहे हैं, यह अमेरिका को ही गहरे आर्थिक संकट में धकेल देगा?

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