इटहाई गांव में नहर में डूबकर 16 वर्षीय छात्र की मौत, प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल Aajtak24 News

इटहाई गांव में नहर में डूबकर 16 वर्षीय छात्र की मौत, प्रशासन की लापरवाही पर उठे सवाल Aajtak24 News

रीवा - जिले के ईटहाई गांव में मंगलवार 12 अगस्त 2025 को घटी एक दर्दनाक घटना ने पूरे क्षेत्र को स्तब्ध कर दिया। 16 वर्षीय अशेष कुमार यादव, पिता रामबहोर यादव, जो कक्षा 10वीं का छात्र था, नहर में डूबकर अपनी जान गंवा बैठा। यह हादसा न केवल एक मासूम की जिंदगी लील गया, बल्कि प्रशासन की लापरवाही और अधूरी पड़ी नहरों की खतरनाक हकीकत को भी उजागर कर गया।

घर से निकला, फिर कभी वापस न लौटा

जानकारी के अनुसार, 11 अगस्त 2025 को दोपहर लगभग 2 बजे अशेष घर से बाहर निकला था। तीन बजे तक जब वह नहीं लौटा, तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू कर दी। तलाश के दौरान नहर किनारे उसका पैंट और पार्श  पड़ा मिला। इस दृश्य ने परिजनों की चिंताओं को भय में बदल दिया।

सूचना के बाद भी रातभर नहीं हुआ रेस्क्यू

परिजनों ने रात करीब 9 बजे गढ़ थाना पुलिस को सूचना दी। थाना प्रभारी अवनीश पाण्डेय, उपनिरीक्षक के.एल. बागरी, प्रधान आरक्षक राजेंद्र पांडे, आरक्षक जितेंद्र सेन, रवि तिवारी और सुहैल खान तत्काल मौके पर पहुंचे। लेकिन अंधेरा होने के कारण  रेस्क्यू ऑपरेशन   नहीं किया  गया।

सुबह फिर शुरू हुई खोज

अगली सुबह पुलिस, ग्रामीणों और स्थानीय गोताखोरों ने मिलकर नहर में खोजबीन शुरू की। काटे (जाल) और तैराकों की मदद से घंटों तलाश चलती रही, लेकिन 10 बजे तक कोई सफलता नहीं मिली। इसके बाद SDRF को सूचना दी गई। करीब 11:50 बजे पानी की सतह पर अशेष का शव दिखाई दिया। पुलिस और परिजनों ने मिलकर उसे बाहर निकाला।

मर्ग कायम, जांच शुरू

गढ़ पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच प्रारंभ कर दी है। शव का पोस्टमार्टम कराया जाएगा, ताकि घटना के सभी पहलुओं की पुष्टि हो सके।

अधूरी नहरें और खदानें — मौत के फंदे

स्थानीय लोगों का कहना है कि रीवा और मऊगंज जिलों में हजारों की संख्या में अधूरी नहरें, तालाब और अवैध खदानें हैं। ये सभी बिना किसी सुरक्षा इंतजाम, चेतावनी बोर्ड या बाड़बंदी के खुले पड़े हैं। बरसात के मौसम में इनकी गहराई और धार खतरनाक हो जाती है, जिससे मासूम और ग्रामीण आए दिन हादसों का शिकार हो रहे हैं।

कितनों के घरों के दीपक बुझ चुके

ग्रामीणों के अनुसार, बीते वर्षों में ऐसे जल स्रोतों ने अनगिनत घरों के चिराग बुझा दिए हैं। कई बार प्रशासन को पत्र और ज्ञापन सौंपे गए, लेकिन न तो नहरों को सुरक्षित किया गया, न ही खदानों को बंद करने की ठोस कार्रवाई हुई।

प्रशासन की जिम्मेदारी पर सवाल

इस हादसे ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या विकास कार्य अधूरे छोड़ना और उनकी सुरक्षा न करना सीधे तौर पर जानलेवा लापरवाही नहीं है? क्या प्रशासन और संबंधित विभागों को इन मौतों का जवाब नहीं देना चाहिए?

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों ने कलेक्टर रीवा और मुख्यमंत्री से मांग की है कि जिले में सभी अधूरी नहरों, खतरनाक जलाशयों और अवैध खदानों को तत्काल सुरक्षित किया जाए। साथ ही ऐसे हादसों में जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों पर आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए।





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