रीवा में आवागमन का गहराता संकट: निजी कॉलोनियों के रास्ते नहीं 'आम', अधिवक्ता ने दी प्रशासनिक निष्क्रियता पर चेतावनी chetavni Aajtak24 News

रीवा में आवागमन का गहराता संकट: निजी कॉलोनियों के रास्ते नहीं 'आम', अधिवक्ता ने दी प्रशासनिक निष्क्रियता पर चेतावनी chetavni Aajtak24 News


रीवा - जिले में अनियोजित शहरीकरण और निजी कॉलोनियों का बेतरतीब विकास अब एक गंभीर प्रशासनिक और सामाजिक चुनौती के रूप में उभर रहा है। इन कॉलोनियों में प्लाटिंग के दौरान बनाए गए रास्ते अब तक राजस्व अभिलेखों में 'आम रास्ता' के रूप में दर्ज नहीं हो पाए हैं, जिससे हजारों नागरिकों के समक्ष आवागमन का गंभीर संकट खड़ा हो गया है। जिला न्यायालय के अधिवक्ता बी.के. माला ने इस ज्वलंत समस्या को लेकर रीवा संभाग आयुक्त को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा है, जिसमें उन्होंने न्यायिक हस्तक्षेप से पहले प्रशासनिक समाधान की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया है।

निजी स्वामित्व बनाम सार्वजनिक उपयोग: प्लाट मालिक कर रहे प्रताड़ित

अधिवक्ता माला ने अपने ज्ञापन में स्पष्ट किया है कि कॉलोनाइज़र या निजी प्लॉट विक्रेता, खरीददारों को सड़कों का नक्शा दिखाकर प्लाट बेचते हैं, लेकिन हैरानी की बात यह है कि ये सड़कें उनके निजी स्वामित्व में ही बनी रहती हैं। वर्षों बाद जब इन इलाकों में मकान बन जाते हैं और आबादी घनी हो जाती है, तब यही 'निजी' रास्ते विवाद का बड़ा कारण बन जाते हैं। कई मामलों में तो प्लाट मालिक इन रास्तों को बंद कर देते हैं या बाउंड्री बनाकर लोगों के आने-जाने पर आपत्ति जताते हैं, जिससे आम नागरिक लगातार प्रताड़ित हो रहे हैं।

सिविल लाइन से गायत्री नगर तक: कई इलाके दशकों से परेशान

ज्ञापन में उन क्षेत्रों का विशेष उल्लेख किया गया है जो इस समस्या से दशकों से जूझ रहे हैं। सिविल लाइन, सुखपुरा मार्ग, अधिवक्ता मार्ग और गायत्री नगर जैसे प्रमुख शहरी क्षेत्रों में भी, जहां लोग वर्षों से रह रहे हैं, आज तक रास्ते राजस्व रिकॉर्ड में विधिवत 'आम रास्ता' के रूप में दर्ज नहीं किए गए हैं। अधिवक्ता माला ने चेतावनी दी है कि यह अनिश्चित स्थिति कभी भी गंभीर टकराव या कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न कर सकती है, जो शहर के सामाजिक ताने-बाने के लिए घातक हो सकती है।

न्यायालयों पर बढ़ता बोझ और प्रशासन पर सवाल

अधिवक्ता माला ने प्रशासन की निष्क्रियता और अनदेखी पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसी स्थिति में जब नागरिक मूलभूत सुविधा से वंचित होते हैं, तो उनके पास न्यायालयों की शरण लेने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता। इससे न केवल पीड़ित नागरिकों को आर्थिक और मानसिक हानि होती है, बल्कि न्याय व्यवस्था पर भी अनावश्यक मुकदमों का बोझ तेजी से बढ़ रहा है। यह सीधा-सीधा प्रशासन की विफलता का परिणाम है कि वर्षों से सार्वजनिक उपयोग में आ रहे मार्गों को अब तक विधिवत रूप से दर्ज नहीं किया गया है।

समाधान के लिए स्पष्ट सुझाव और जनहित की अपील

इस गंभीर चुनौती का समाधान निकालने के लिए अधिवक्ता माला ने संभाग आयुक्त को निम्नलिखित स्पष्ट सुझाव दिए हैं: मौजूदा कॉलोनियां: जहां-जहां प्लाटिंग हो चुकी है और रास्ते सार्वजनिक उपयोग में आ चुके हैं, उन्हें तत्काल चिन्हांकित कर राजस्व रिकॉर्ड में 'आम रास्ता' के रूप में दर्ज किया जाए। नवीन कॉलोनियां: नए कॉलोनियों के विकास के समय ऐसे रास्तों को रजिस्ट्री प्रक्रिया से बाहर रखते हुए स्थायी रूप से सार्वजनिक मार्ग घोषित करने की सुनियोजित व्यवस्था की जाए। समीक्षा और कार्यवाही: पूर्व और वर्तमान कॉलोनियों की गहन समीक्षा कर, विवाद की आशंका वाले रास्तों की सूची बनाकर त्वरित और प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। अधिवक्ता माला ने इस पहल को हजारों नागरिकों के हित में बताते हुए प्रशासन से इस गंभीर मुद्दे पर संवेदनशीलता दिखाने का आग्रह किया है. यदि इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो यह समस्या न केवल प्रशासनिक विफलता का बड़ा उदाहरण बनेगी, बल्कि भविष्य में रीवा शहर में बड़े सामाजिक टकराव का कारण भी बन सकती है. क्या प्रशासन इस चेतावनी को गंभीरता से लेकर नागरिकों को आवागमन के मौलिक अधिकार से वंचित होने से बचाएगा?



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