पटना में राहुल-तेजस्वी का मार्च: वोटर लिस्ट पर गंभीर आरोप
बिहार बंद को धार देने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी दिल्ली से विशेष रूप से पटना पहुंचे। वे एक खुले ट्रक पर तेजस्वी यादव, भाकपा-माले नेता दीपांकर भट्टाचार्य और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी जैसे महागठबंधन के अन्य प्रमुख नेताओं के साथ चुनाव आयोग के दफ्तर तक मार्च कर रहे थे। हालांकि, शहीद स्मारक के पास पुलिस ने उनके मार्च को रोक दिया, जिसके बाद नेताओं ने वहीं से कार्यकर्ताओं को संबोधित किया।
महागठबंधन के नेताओं ने आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट के गहन रिवीजन के नाम पर चुनाव आयोग, केंद्र की सत्ताधारी भाजपा को फायदा पहुंचाने के लिए मतदाताओं के नाम हटाने की साजिश कर रहा है। पटना में मार्च रोके जाने के बाद, कुछ कार्यकर्ताओं ने पुलिस के सुरक्षा घेरे को तोड़ने की भी कोशिश की, जिससे पुलिस के साथ हल्की झड़प भी हुई, हालांकि स्थिति को तुरंत नियंत्रण में कर लिया गया।
राज्यव्यापी असर: पटना से पूर्णिया तक जनजीवन प्रभावित
यह बंद सिर्फ पटना तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इसका व्यापक असर पूर्णिया, दानापुर और राज्य के अन्य हिस्सों में भी देखा गया। पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी बंद में सक्रिय दिखे और उन्हें पटना के एक रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रोकते हुए देखा गया, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। परिवहन सेवाओं पर इस बंद का सीधा असर पड़ा। सड़कें सूनी दिखीं और सार्वजनिक परिवहन लगभग ठप रहा। पटना जंक्शन पर यात्रियों की भीड़ सामान्य से काफी कम थी, और कई लोग पैदल ही अपने गंतव्य तक पहुंचने की कोशिश करते दिखे। पटना से सटे दानापुर में भी महागठबंधन के कार्यकर्ताओं ने सफलतापूर्वक बाजार और वाहनों का चलना बंद कराया। महागठबंधन में शामिल वामपंथी दलों ने भी इस बंद में सक्रिय भूमिका निभाई, क्योंकि देशव्यापी भारत बंद में शामिल कई ट्रेड यूनियन संगठन इन्हीं दलों से जुड़े हैं। यह बिहार बंद, आगामी चुनावों से पहले विपक्षी एकता और ताकत का एक बड़ा प्रदर्शन माना जा रहा है, जो राज्य की राजनीति में नए समीकरणों की ओर इशारा कर रहा है।