मूंगफली किसानों के लिए गेम चेंजर: लागत घटाएगी और पैदावार बढ़ाएगी ये देसी निराई-गुड़ाई मशीन! Aajtak24 News


मूंगफली किसानों के लिए गेम चेंजर: लागत घटाएगी और पैदावार बढ़ाएगी ये देसी निराई-गुड़ाई मशीन! Aajtak24 News

नई दिल्ली - आज के दौर में खेती को ज़्यादा फ़ायदेमंद बनाने के लिए आधुनिक तकनीकें और उपकरण अपनाना बेहद ज़रूरी हो गया है। अब वो दिन गए जब किसान सिर्फ़ पारंपरिक तरीक़ों से खेती करते थे और नुक़सान उठाते थे। अब नई तकनीकों से किसान न सिर्फ़ अपना समय बचा रहे हैं, बल्कि उसी समय का सही इस्तेमाल कर एक सीज़न में कई फ़सलें उगा रहे हैं। ख़ासकर मूंगफली की खेती करने वाले किसानों के लिए एक ख़ास 'देसी मशीन' वरदान साबित हो रही है। यह मशीन खेतों में निराई-गुड़ाई का काम आसान बनाती है, मज़दूरी का ख़र्च कम करती है और फ़सल की पैदावार भी बढ़ाती है!

मूंगफली की खेती: सही तरीक़ा और उन्नत किस्में

मूंगफली एक महत्वपूर्ण तिलहनी फ़सल है, जिसे ज़्यादातर गर्मी और ख़रीफ़ के मौसम में उगाया जाता है। इसकी खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जहाँ पानी निकलने की अच्छी व्यवस्था हो। बीज बोने से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई करनी चाहिए और प्रति हेक्टेयर 10-15 टन गोबर की खाद डालनी चाहिए, ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे। बुवाई का सही समय आमतौर पर जून से जुलाई के बीच होता है। बीजों को बीमारियों से बचाने के लिए फ़फूंदनाशक दवाइयों से उपचारित करना बेहद ज़रूरी है। बुवाई करते समय बीजों के बीच सही दूरी रखना भी महत्वपूर्ण है - कतार से कतार की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। फ़सल की अच्छी पैदावार के लिए सही और उन्नत किस्मों का चुनाव करना बहुत ज़रूरी है। कुछ प्रमुख उन्नत किस्में जो बेहतर पैदावार देती हैं, वे इस प्रकार हैं:

  • जीजी-20: यह किस्म सूखे को सहन करने की क्षमता रखती है और लगभग 110-120 दिनों में तैयार हो जाती है।

  • टीजी-37ए: इसमें तेल की मात्रा अधिक होती है और यह लगभग 100-110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है।

  • आईसीजीएस-76: यह किस्म भी कम समय में अच्छी पैदावार देने के लिए जानी जाती है, जिससे किसानों को बेहतर रिटर्न मिलता है।

निराई-गुड़ाई की देसी मशीन: केंद्रीय कृषि मंत्री भी हुए हैरान!

हाल ही में केंद्रीय कृषि मंत्री गुजरात के दौरे पर थे। राजकोट में मूंगफली की खेती देखते हुए उन्होंने खेत में एक ऐसी 'देसी मशीन' देखी जिसने उन्हें काफ़ी हैरान कर दिया। यह मशीन दो बड़े ट्रैक्टरों पर चलती है और इसका आकार ट्रैक्टर के अगले हिस्से जैसा है, जिसे हाथ से आसानी से चलाया जा सकता है। इस मशीन की ख़ासियत यह है कि यह मूंगफली की खेती में कई काम एक साथ कर सकती है। किसान इसे खुद चलाकर खेतों से खरपतवारों को आसानी से हटा सकते हैं, वो भी फ़सल को बिना कोई नुक़सान पहुँचाए। इससे मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है और फ़सल की जड़ों को अच्छी मात्रा में ऑक्सीजन मिलती है, जिससे उनकी ग्रोथ बेहतर होती है।

यह देसी मशीन किसानों के लिए कई मायनों में फ़ायदेमंद साबित हो रही है:

  • मज़दूरों पर निर्भरता में कमी: अब हाथ से निराई-गुड़ाई करने का बोझ और ख़र्च बचेगा।

  • समय और श्रम की बचत: कम समय में ज़्यादा खेत की निराई-गुड़ाई हो जाती है, जिससे किसानों का समय बचता है।

  • खरपतवार नियंत्रण में आसानी: यह मशीन प्रभावी तरीक़े से खरपतवारों को नियंत्रित करती है, जिससे फ़सल को पूरा पोषण मिलता है।

  • फ़सल की जड़ों को ऑक्सीजन: मिट्टी की गुड़ाई होने से जड़ों को बेहतर हवा मिलती है, जो पौधों के स्वस्थ विकास के लिए ज़रूरी है।

  • पैदावार में वृद्धि: बेहतर देखभाल और खरपतवार मुक्त वातावरण से फ़सल की पैदावार में उल्लेखनीय वृद्धि होती है।

किसानों ने बताया है कि इस मशीन के इस्तेमाल से मज़दूरी की लागत में 40-50% तक की कमी आती है। इसके साथ ही, फ़सल की ग्रोथ भी काफ़ी बेहतर होती है, जिससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होती है। मूंगफली की खेती करने वाले किसानों के लिए यह 'देसी मशीन' किसी वरदान से कम नहीं है। यह खेती के काम को आसान बनाती है, ख़र्च घटाती है और पैदावार बढ़ाती है। अगर आप भी मूंगफली की खेती करते हैं, तो इस मशीन का इस्तेमाल करके अपनी खेती को और भी ज़्यादा लाभदायक बना सकते हैं!


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