वर्दी में रील बना रहीं महिला थाना प्रभारी, सोशल मीडिया पर उठे सवाल, अनुशासन या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता? Aajtak24 News


वर्दी में रील बना रहीं महिला थाना प्रभारी, सोशल मीडिया पर उठे सवाल, अनुशासन या अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता? Aajtak24 News

रीवा - जिले की महिला थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा का थाने में शूट किया गया इंस्टाग्राम वीडियो वायरल, सोशल मीडिया पर बंटी राय; वायरल वीडियो संज्ञान में आते ही रीवा जोन उपमहानिरीक्षक संभाग के सभी  जिलों में पुलिस अधीक्षकों को आदेशित किया है कि भविष्य में इस तरह की सोशल मीडिया में किसी भी तरह की घटना की पुनरावृत्ति ना हो रीवा जिले की महिला थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा एक सोशल मीडिया रील को लेकर विवादों के केंद्र में आ गई हैं। वायरल वीडियो में वे पुलिस वर्दी में अपने थाने के अंदर खड़ी होकर 1990 के दशक की मशहूर फिल्म आरज़ू के गीत “तेरे दिल में आ गए तो...” पर अभिनय करती नजर आ रही हैं। वीडियो में उनके पीछे थाने का वातावरण स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है, जिससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि यह रील ड्यूटी के दौरान और थाना परिसर में ही शूट की गई है।

सोशल मीडिया पर उठा ‘अनुशासन बनाम स्वतंत्रता’ का सवाल

वीडियो के सार्वजनिक होते ही इंटरनेट पर बहस शुरू हो गई। एक पक्ष इसे पुलिस सेवा की गरिमा और अनुशासन का उल्लंघन मानते हुए तत्काल कार्यवाही की मांग कर रहा है, जबकि दूसरा पक्ष इसे एक महिला अधिकारी की मानवीय अभिव्यक्ति और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के दायरे में रख रहा है। एक यूजर राजीव तिवारी ने तीखी प्रतिक्रिया में लिखा, “जब थाना प्रभारी खुद वर्दी में थाने के अंदर रील बना रही हैं, तो कानून व्यवस्था की उम्मीद किससे की जाए? वहीं विनोद शर्मा ने व्यंग्य किया—“उन्हें मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में होना चाहिए, वहां वो वर्दी में नहीं, साड़ी में रील बनाएंगी। दूसरी ओर, समर्थन में आवाजें भी आईं। नेहा त्रिपाठी नामक यूजर लिखती हैं—“एक महिला अफसर अगर तनाव कम करने के लिए एक रील बना रही हैं और किसी कानूनी या विभागीय नियम का उल्लंघन नहीं कर रहीं, तो इसमें गलत क्या है?”

क्या पुलिस मैन्युअल इसकी अनुमति देता है?

पुलिस विभाग एक अर्धसैन्य बल माना जाता है, जहां अनुशासन, आचरण और कर्तव्यनिष्ठा सर्वोच्च मानी जाती है। सामान्यतः वर्दी में सार्वजनिक प्रदर्शन या मनोरंजन से जुड़े वीडियो/रील बनाने को ‘गंभीर अनुशासनहीनता’ की श्रेणी में रखा जाता है, विशेषकर जब वह ड्यूटी टाइम या सरकारी परिसर में फिल्माया गया हो। हालांकि, इस मामले में न तो महिला थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने आई है, न ही पुलिस विभाग या जिले के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा कोई स्पष्टीकरण या आदेश जारी किया गया है।

प्रशासन की चुप्पी भी सवालों के घेरे में

वायरल वीडियो को लेकर प्रशासन की चुप्पी भी आम जनता को हैरान कर रही है। क्या यह घटना विभागीय आचार संहिता का उल्लंघन है? क्या वर्दीधारी अधिकारियों के लिए सोशल मीडिया पर ‘रील संस्कृति’ की कोई स्पष्ट गाइडलाइन है? और अगर नहीं है, तो क्या ऐसी गाइडलाइन बननी चाहिए?

विशेषज्ञों की राय

प्रशासनिक मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया के दौर में सरकारी सेवकों के लिए एक स्पष्ट और सख्त सोशल मीडिया नीति आवश्यक हो गई है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं—“वर्दी की गरिमा केवल कानून व्यवस्था तक सीमित नहीं है, वह जनता के विश्वास का प्रतीक भी है। ऐसे में थानों में रील बनाना पेशेवर छवि को प्रभावित कर सकता है। महिला थाना प्रभारी का यह वीडियो केवल एक रील नहीं, बल्कि वर्दीधारी अधिकारियों के सामाजिक व्यवहार, अभिव्यक्ति की सीमा और विभागीय अनुशासन के बीच संतुलन का एक संवेदनशील उदाहरण बन गया है। अब यह प्रशासन पर निर्भर करता है कि वह इसे एक हल्की-फुल्की घटना मानकर टाल देता है या इसे भविष्य के लिए एक उदाहरण बनाकर स्पष्ट दिशा-निर्देश तय करता है।

Post a Comment

Previous Post Next Post