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रीवा संभाग: नशे का कारोबार बेकाबू, पुलिस की कार्रवाई पर सवाल, उच्च स्तरीय जांच की मांग mang Aajtak24 News |
रीवा -रीवा संभाग में नशे का कारोबार तेजी से पैर पसार रहा है, जो सरकार के "नशा माफिया पर नकेल कसने" के दावों पर सवालिया निशान लगाता है। स्थिति इतनी गंभीर है कि अब तक की पुलिस कार्रवाईयां केवल "अपनी पीठ थपथपाने" जैसी प्रतीत होती हैं। समाज के प्रतिष्ठित लोग, जिनकी प्रतिष्ठा और जिम्मेदारी है, वे भी इस अभियान में खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं, जबकि लाखों की आबादी और हजारों पुलिसकर्मी होने के बावजूद जनता पूरी तरह पुलिस पर निर्भर दिख रही है।
नशे की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण और प्रकार
यह विचारणीय बिंदु है कि आखिर नशा करता कौन है? जवाब है, हमारे ही युवा, हमारी तरुण पीढ़ी। रीवा संभाग में नशे की प्रवृत्ति लगातार बढ़ रही है, चाहे वह मेडिकल नशा, शराब, गांजा, भांग या किसी अन्य प्रकार का नशा हो। इस बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे प्रमुख कारण शिक्षा का अभाव, बेरोजगारी और दिखावा माना जा रहा है। आज भी गाँवों में 40% युवा ऐसे हैं जिनका शिक्षा के प्रति रुझान कम है, और गलत संगत तथा अधिक कमाई के लालच में बड़े डीलरों द्वारा नाबालिगों और युवाओं को नशे के कारोबार में धकेला जा रहा है।
पुलिस की भूमिका पर गंभीर आरोप
यह कड़वा सच है कि रीवा और मऊगंज सहित रीवा संभाग के कुछ पुलिसकर्मी इन नशा कारोबारियों को संरक्षण दे रहे हैं। सवाल यह उठता है कि इन नशे के थोक और फुटकर विक्रेताओं के अड्डों पर कौन-कौन सी खाकी वर्दी मौजूद रहती है, और किन "खाकी वर्दी" के कारण पूरी वर्दी बदनाम हो रही है? इस पर उच्च स्तरीय जांच की नितांत आवश्यकता है।
अधूरे खुलासे और 'मोटी सेवा शुल्क' का खेल
नशे के खिलाफ कार्रवाइयों का सिलसिला भले ही पुराना हो और कई तस्कर पकड़े भी गए हों, लेकिन आज तक यह खुलासा नहीं हुआ कि ये नशीली सिरप, शराब या अन्य मादक पदार्थ आखिर किस दुकान से और किसके द्वारा खरीद कर लाए जा रहे थे? हर बार इसी महत्वपूर्ण बिंदु पर पर्दा डाल दिया जाता है और कथित तौर पर मोटी "सेवा शुल्क" वसूल ली जाती है।
जनता की उम्मीदें और सरकार की मंशा
अब समय आ गया है कि वरिष्ठ अधिकारी इस पर ध्यान दें और जांच को निर्णायक मोड़ पर पहुँचाएँ। पुलिस और न्यायपालिका दोनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आखिर यह नशा कहाँ से आता है, छोटे विक्रेता इसे कहाँ से लाते हैं, और थोक विक्रेता इसे कहाँ से प्राप्त करते हैं। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि क्या यह नशा किसी अधिकृत कंपनी द्वारा बनाया जा रहा है या अवैध और लोकल कंपनियों द्वारा तैयार किया जा रहा है? इन सब बातों का खुलासा कौन करेगा? जनता को अब पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों और न्यायपालिका से उम्मीद है कि कार्रवाईयाँ इतनी पारदर्शी और न्यायिक हों कि नशा और नशा माफियाओं की कमर टूट सके। मध्य प्रदेश सरकार की यह मंशा है कि रीवा संभाग 'उड़ता पंजाब' न बने और हमारे युवा नशे की प्रवृत्ति से बचें। जब युवा नशे से दूर रहेंगे, तो चोरी और अपराध की घटनाओं में स्वतः कमी आएगी और एक खुशहाल समाज का निर्माण होगा। यह समय है कि जनता, जनार्दन और जनप्रतिनिधि एकजुट होकर इस स्थिति को जड़ से खत्म करने की प्रमुखता के साथ मांग उठाएँ और नशामुक्त तथा खुशहाल समाज के निर्माण में अपना योगदान दें।