टमाटर और ड्रैगन फ्रूट की खेती से लाखों का मुनाफा संभव: कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सफल किसानों से की बात bat Aajtak24 News

 
टमाटर और ड्रैगन फ्रूट की खेती से लाखों का मुनाफा संभव: कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सफल किसानों से की बात bat Aajtak24 News 

बेंगलुरु - केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बेंगलुरु में 'विकसित कृषि संकल्प अभियान' (VKSA 2025) के तहत किसानों से संवाद करते हुए बताया कि ड्रैगन फ्रूट (कमलम) और टमाटर जैसी हाई-वैल्यू फसलों की खेती से लाखों रुपये की आय अर्जित करना संभव है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कृषि में 'लैब से लैंड' यानी अनुसंधान को सीधे खेतों तक पहुंचाने की जरूरत है, ताकि कृषि नवाचारों को ज़मीनी स्तर पर लागू किया जा सके। चौहान ने भारत को "विश्व का फूड बास्केट" बनाने के अपने विजन और कृषि विविधीकरण के महत्व पर भी प्रकाश डाला।

सफल किसानों के अनुभव और मुनाफे की संभावना

भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु में आयोजित संवाद कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शोध के क्षेत्र में वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने बेंगलुरु ग्रामीण और आसपास के क्षेत्रों में बागवानी में हुई उल्लेखनीय प्रगति का भी उल्लेख किया, जहां किसानों ने स्वयं कई प्रकार के शोध और प्रयोग करके कृषि नवाचार में नए अध्याय जोड़े हैं।

चौहान ने ड्रैगन फ्रूट की खेती करने वाले किसानों से उनके अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि किसानों से मिली जानकारी के अनुसार, ड्रैगन फ्रूट की खेती में पहले दो वर्षों में उतना लाभ नहीं होता, लेकिन तीसरे साल के बाद आसानी से 6 से 7 लाख रुपये तक बचाए जा सकते हैं। इसी तरह, टमाटर के खेतों का भी भ्रमण करते हुए उन्होंने किसानों से बातचीत की, जिन्होंने बताया कि कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद भी 3 से 4 लाख रुपये प्रति एकड़ तक कमाया जा सकता है। यह दर्शाता है कि सही योजना और नवाचार के साथ पारंपरिक खेती के अलावा अन्य विकल्पों में भी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

'लैब से लैंड' का जुड़ाव और कृषि का महत्व

शिवराज सिंह चौहान ने 'लैब से लैंड' के जुड़ाव को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि रिसर्च की जानकारी वास्तविक समय में किसानों तक पहुंचनी चाहिए, और इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। उनका मानना है कि जलवायु और क्षेत्र की विशिष्टताओं के अनुसार फलों, सब्जियों और अन्य फसलों की उपज की सही जानकारी किसानों तक पहुंचना अनिवार्य है। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कृषि के विकास के बिना देश का समग्र विकास संभव नहीं है। आज भी भारत की लगभग 50 प्रतिशत आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। देश की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी कृषि क्षेत्र की 18 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष की चौथी तिमाही में GDP की विकास दर 7.5 प्रतिशत रही है, जिसमें कृषि का योगदान 5.4 प्रतिशत है। चौहान ने कहा कि कृषि में 1 या 2 प्रतिशत की विकास दर भी बड़ी मानी जाती है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत कृषि क्षेत्र में तेजी से उन्नति के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है।

चार प्रमुख लक्ष्य और गुणवत्ता नियंत्रण

चौहान ने देश की कृषि प्रगति के लिए चार प्रमुख लक्ष्य निर्धारित किए हैं:

  1. 145 करोड़ आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा: सुनिश्चित करना कि देश के सभी नागरिकों को पर्याप्त भोजन मिले।
  2. पोषणयुक्त आहार: नागरिकों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना।
  3. किसानों के लिए कृषि क्षेत्र को लाभ में बदलना: खेती को किसानों के लिए एक लाभकारी उद्यम बनाना।
  4. मिट्टी की उर्वरक क्षमता को सुरक्षित रखना: दीर्घकालिक कृषि स्थिरता के लिए मिट्टी के स्वास्थ्य को बनाए रखना।

उन्होंने बताया कि वैज्ञानिक गांवों-गांवों जाकर क्षेत्र विशेष की जानकारियों, मिट्टी की उर्वरता की आवश्यकताओं, जलवायु और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए किसानों को सही किस्मों और पद्धतियों के जरिए कृषि उत्पादन बढ़ाने की जानकारी दे रहे हैं।

केंद्रीय मंत्री ने नकली बीजों, उर्वरकों और कीटनाशकों की समस्या पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने चेतावनी दी कि सरकार गुणवत्ताहीन उत्पाद बनाने वालों के प्रति सख्ती से पेश आएगी और इसके लिए कानून बनाया जा रहा है। ऐसे कृत्यों में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। चौहान ने यह भी बताया कि इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि 16,000 वैज्ञानिक खेतों में जाकर किसानों को सीधे शोध की जानकारी दे रहे हैं।

'फूड बास्केट' विजन और कृषि विविधीकरण

कृषि मंत्री ने 'एक राष्ट्र-एक कृषि-एक टीम' के विजन के साथ सभी को मिलकर आगे बढ़ने का आह्वान किया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इन सम्मिलित प्रयासों से भारत को विश्व का 'फूड बास्केट' बनने से कोई नहीं रोक सकेगा। उन्होंने कहा कि भारत न केवल अपनी आंतरिक जरूरतों को पूरा करेगा, बल्कि विदेशों में कृषि उत्पादों के निर्यात की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम बढ़ाएगा। किसानों को अपनी उपज सीधे बेचने और बिचौलियों की भूमिका को कम करने के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना (MIS) भी बनाई गई है। केंद्रीय मंत्री ने सभी किसानों से केवल पारंपरिक खेती पर निर्भर न रहने का आग्रह किया। उन्होंने कृषि विविधीकरण, प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) को अपनाने और निर्यात के लिए गुणवत्तापूर्ण उत्पादों के उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ाने की सलाह दी। यह संवाद और मंत्री के दिशानिर्देश किसानों को नई दिशा देने और कृषि क्षेत्र में नवाचारों को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। क्या आप कृषि से जुड़े किसी अन्य विषय पर जानकारी चाहेंगे?

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