एमपी में 'पोस्टिंग सिंडिकेट' का बोलबाला: रीवा-मऊगंज से पूरे प्रदेश तक फैला भ्रष्टाचार का जाल, ईमानदार अफसर दरकिनार Aajtak24 News


एमपी में 'पोस्टिंग सिंडिकेट' का बोलबाला: रीवा-मऊगंज से पूरे प्रदेश तक फैला भ्रष्टाचार का जाल, ईमानदार अफसर दरकिनार Aajtak24 News

रीवा/मऊगंज - मध्य प्रदेश के प्रशासनिक तंत्र में ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा अब बेमानी होती दिख रही है, क्योंकि अधिकारियों की पोस्टिंग का असली मापदंड अब 'ठेकेदारी-राजनीति-संरक्षण' की तिकड़ी बन गई है। रीवा और मऊगंज से उठती यह सच्चाई अब पूरे प्रदेश की शासन प्रणाली को आईना दिखा रही है, जहां यह आम धारणा बन गई है कि जो अफसर नेता-ठेकेदारों का करीबी है, वही जिले के मलाईदार पदों पर तैनात रहेगा, जबकि ईमानदार अधिकारी लगातार ट्रांसफर और उपेक्षा का शिकार हो रहे हैं। यह स्थिति प्रशासनिक भ्रष्टाचार की जड़ों को और गहरा कर रही है।

ईमानदार अफसर बन रहे शिकार, भ्रष्ट लॉबी का मजबूत कब्जा

रीवा-मऊगंज जिले में शायद ही कोई विभाग ऐसा बचा हो जहां भ्रष्ट लॉबी की मजबूत पकड़ न हो. प्रशासन, पुलिस, स्वास्थ्य, सहकारिता, महिला बाल विकास, पंचायतीराज, खाद्य विभाग, कृषि, राजस्व, शिक्षा, खनिज, आवास – हर विभाग में अफसरों की नियुक्ति 'कर्म' के बजाय 'कनेक्शन' के आधार पर की जा रही है। ईमानदार और निष्ठावान अफसर यदि नियमों के तहत कार्रवाई करते हैं, तो उन्हें बदले में बार-बार ट्रांसफर, मानसिक प्रताड़ना और राजनीतिक उपेक्षा का सामना करना पड़ता है। विगत कुछ वर्षों में ऐसे कई पुलिसकर्मियों, पटवारियों, डॉक्टरों और अन्य अधिकारियों को सजा के तौर पर दूरदराज क्षेत्रों में भेजा गया है, जिनका एकमात्र 'अपराध' अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदारी निभाना था. भ्रष्टाचार के ये 'अजगर' हर विभाग में कुंडली मारे बैठे हैं, जो निष्ठावान अधिकारियों को अपना शिकार बना रहे हैं।

मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर, गृह और स्वास्थ्य मंत्रालय पर उठते सवाल

यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है जब गृह मंत्रालय स्वयं मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास है, और स्वास्थ्य विभाग उपमुख्यमंत्री एवं रीवा विधायक श्री राजेन्द्र शुक्ल के अधीन है. इन दोनों महत्वपूर्ण विभागों में आए दिन सामने आ रहे गंभीर मामले कहीं न कहीं शीर्ष नेतृत्व की जवाबदेही पर भी प्रश्नचिन्ह खड़े कर रहे हैं।

नशीली कफ सिरप, अवैध गोलियों और प्रतिबंधित दवाओं की तस्करी में पुलिस की मिलीभगत के गंभीर आरोप लग रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, कई थानों में ऐसे अधिकारी तैनात हैं जो तस्करों के सीधे संपर्क में हैं और जानबूझकर कार्रवाई से बचते हैं। वहीं, जो पुलिसकर्मी सचेत होकर इस अवैध नेटवर्क पर लगाम कसना चाहते हैं, उन्हें 'राजनीतिक दिशा-निर्देशों' के तहत पीछे हटा दिया जाता है, जिससे अपराधों पर नियंत्रण मुश्किल हो रहा है।

हर कुर्सी पर 'सिफारिश' की मोहर: ठेकेदारी लॉबी का दबदबा

सरकारी विभागों में संविदा नियुक्तियां, आउटसोर्सिंग, एनजीओ संचालन और ठेकेदारी व्यवस्थाएं जिस तरीके से चल रही हैं, वहां केवल वही व्यक्ति टिक सकता है, जो किसी माननीय या ठेकेदार के पाले में खड़ा हो। हर नियुक्ति में यह देखा जाता है कि उम्मीदवार का 'राजनीतिक गॉडफादर' कौन है. कई स्थानों पर तो यह भी सामने आया है कि स्कूलों, अस्पतालों, आंगनबाड़ियों और स्वास्थ्य केंद्रों में कार्यरत कर्मचारी किसी मंत्री या प्रभावशाली नेता के 'पारिवारिक' संबंधों से जुड़े हुए हैं, जिससे योग्यता गौण हो चुकी है और भ्रष्टाचार को शिष्टाचार का दर्जा मिल गया है।

जनता का सवाल: '230 विधानसभाओं के अपने-अपने गृह मंत्री?'

जब प्रदेश में गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री के अधीन है, तो फिर हर विधानसभा क्षेत्र में क्या अलग-अलग 'छाया गृह मंत्री' नियुक्त हो चुके हैं? जनता अब यह जानना चाहती है कि यदि थानों की तैनाती, कार्रवाई, केस दर्ज करना और हटाना भी स्थानीय विधायकों और उनके प्रतिनिधियों की सिफारिश से तय होगा, तो अपराध नियंत्रण की जिम्मेदारी किसकी होगी? जब किसी विधानसभा क्षेत्र में अपराध होता है, तो क्या उसके लिए जिम्मेदार केवल पुलिस अधिकारी है या फिर उस क्षेत्र के निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी जवाबदेह हैं?

मुख्यमंत्री से अपेक्षा: ईमानदार अफसरों को बनाइए ढाल, न कि निशाना

यह वह समय है जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को इस पूरे सिस्टम की गहन री-एसेसमेंट करनी चाहिए।समाज और प्रशासनिक तंत्र में विश्वास बहाल करने के लिए, ईमानदार अधिकारियों की गोपनीय सूची तैयार कर उन्हें संरक्षण दिया जाए, न कि उन्हें लगातार कुर्बान किया जाए. यदि प्रदेश में न्याय, पारदर्शिता और प्रशासनिक गरिमा बचानी है, तो पोस्टिंग-पदस्थापना के इस भ्रष्टाचार तंत्र को तोड़ना होगाv यह काम केवल आदेश जारी करने से नहीं, बल्कि दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति से ही संभव होगा. जनता इस दिशा में सरकार से ठोस और निर्णायक कार्रवाई की उम्मीद कर रही है।


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