कांग्रेस का बड़ा एक्शन: दिग्विजय सिंह के भाई, दिग्गज नेता लक्ष्मण सिंह 6 साल के लिए निष्कासित niskasit Aajtak24 News

 

कांग्रेस का बड़ा एक्शन: दिग्विजय सिंह के भाई, दिग्गज नेता लक्ष्मण सिंह 6 साल के लिए निष्कासित niskasit Aajtak24 News 

भोपाल: मध्य प्रदेश की राजनीति से इस वक्त की सबसे बड़ी खबर सामने आ रही है। कांग्रेस पार्टी ने अपने वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। यह कार्रवाई लक्ष्मण सिंह के उन लगातार और तीखे बयानों के बाद की गई है, जिनमें उन्होंने पार्टी नेतृत्व, खासकर राहुल गांधी, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, और व्यवसायी रॉबर्ट वाड्रा पर सार्वजनिक रूप से निशाना साधा था। कांग्रेस के इस कड़े कदम ने न केवल मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि यह पार्टी के भीतर अनुशासन और पार्टी लाइन के प्रति कड़े रुख का स्पष्ट संकेत भी है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्थिति को मजबूत करने और एकजुटता बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है, जिससे यह संदेश साफ है कि पार्टी किसी भी स्तर पर अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं करेगी।

अनुशासनात्मक कार्रवाई: आलाकमान की मुहर

कांग्रेस पार्टी की अनुशासनात्मक समिति के अध्यक्ष तारिक अनवर ने लक्ष्मण सिंह को पार्टी से निष्कासित करने की सिफारिश आलाकमान को भेजी थी, जिस पर शीर्ष नेतृत्व ने अपनी मुहर लगा दी। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पार्टी पहले से ही विभिन्न चुनौतियों का सामना कर रही है और इस तरह की कार्रवाई से पार्टी के भीतर अनुशासन बनाए रखने का कड़ा संदेश दिया गया है।

विवादित बयानों की लंबी फेहरिस्त: क्यों हुआ निष्कासन?

लक्ष्मण सिंह अपने बेबाक और अक्सर विवादित बयानों के लिए जाने जाते रहे हैं। उनके निष्कासन के पीछे कई हालिया और पुराने बयान प्रमुख कारण बने:

  • उमर अब्दुल्ला पर निशाना: कश्मीर के पहलगाम में 26 अप्रैल को हुए आतंकी हमले को लेकर लक्ष्मण सिंह ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि अब्दुल्ला आतंकवादियों से मिले हुए हैं और कांग्रेस को तुरंत नेशनल कॉन्फ्रेंस से अपना समर्थन वापस ले लेना चाहिए। यह बयान पार्टी लाइन से बिल्कुल अलग था और इसने गठबंधन सहयोगी पर अविश्वास जताया था।

  • रॉबर्ट वाड्रा और राहुल गांधी पर टिप्पणी: लक्ष्मण सिंह ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा पर निशाना साधते हुए आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके साथ ही उन्होंने राहुल गांधी को भी सोच-समझकर बोलने की हिदायत दी थी, खासकर उनके उस बयान पर जिसमें उन्होंने कथित तौर पर मुसलमानों को सड़क पर नमाज पढ़ने से रोकने को आतंकवाद का कारण बताया था। लक्ष्मण सिंह ने इस बयान को 'बचपना' करार दिया था।

पहले भी रहे विवादों में: हार पर उठाए थे सवाल

यह पहली बार नहीं है जब लक्ष्मण सिंह अपने बयानों के कारण चर्चा में रहे हों। पिछले साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद भी उन्होंने पार्टी नेतृत्व को घेरा था। 10 जून को उन्होंने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के दिल्ली में हुई सीडब्ल्यूसी बैठक की तस्वीर ट्वीट करने और 'विशेष मार्गदर्शन प्राप्त हुआ' लिखने पर तंज कसा था। लक्ष्मण सिंह ने पूछा था कि पटवारी कब अपने पैरों पर खड़े होंगे और कब तक 'मार्गदर्शन' ही लेते रहेंगे, खासकर उन लोगों से जिन्हें खुद अपने मार्ग का पता नहीं है।

मार्च 2022 में पांच राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद भी उनका एक ट्वीट काफी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने संगठन के निर्णयों को हार का कारण बताया था और कार्यकर्ताओं की भावनाओं को सुनने की सलाह दी थी।

इसके अलावा, 21 फरवरी 2022 को उन्होंने विधायकों, सांसदों और अधिकारियों की पेंशन बंद करने की मांग उठाकर पार्टी लाइन से अलग राय रखी थी, जबकि राष्ट्र निर्माण करने वाले शिक्षक और सैनिक अपनी पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे थे।

यहां तक कि 22 अक्टूबर 2019 को वे अपने ही बड़े भाई दिग्विजय सिंह के बंगले के बाहर धरने पर बैठ गए थे, चांचोड़ा को 53वां जिला बनाने की मांग को लेकर।

सियासी गलियारों में हलचल: कांग्रेस का कड़ा संदेश

दिग्विजय सिंह के भाई होने के बावजूद लक्ष्मण सिंह पर यह कठोर कार्रवाई कांग्रेस पार्टी के भीतर अनुशासन और पार्टी लाइन के प्रति दृढ़ता का संदेश देती है। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए संघर्ष कर रही है। पार्टी नेतृत्व यह स्पष्ट करना चाहता है कि किसी भी नेता को पार्टी की विचारधारा और नीतियों से हटकर बयानबाजी करने या गठबंधन सहयोगियों पर अविश्वास जताने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

लक्ष्मण सिंह का निष्कासन निश्चित रूप से मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना रहेगा और कांग्रेस पार्टी के भीतर आगे की राजनीतिक गतिविधियों पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है।

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