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भोपाल में 'स्थानांतरण क्रांति': सालों से एक ही पंचायत में जमे 30 सचिवों पर गिरी गाज, पारदर्शिता की नई उम्मीद ummid Aajtak24 News |
भोपाल - मध्य प्रदेश में प्रशासनिक सुधारों की बयार तेज हो गई है, और इसी कड़ी में राजधानी भोपाल से एक बड़ी खबर सामने आई है। भोपाल जिला पंचायत ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए ऐसे 30 पंचायत सचिवों का बड़े पैमाने पर तबादला कर दिया है, जो वर्षों से एक ही ग्राम पंचायत में जमे हुए थे या अपने गृहग्राम/ससुराल के पास पदस्थ थे। यह कदम जिला पंचायत की सीईओ ईला तिवारी द्वारा उठाया गया है, और इसे ग्रामीण प्रशासन में पारदर्शिता, निष्पक्षता और कार्यकुशलता लाने की दिशा में एक क्रांतिकारी बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है।
दशकों की जड़ता पर प्रहार: क्यों जरूरी था यह बदलाव?
पंचायतों में लंबे समय तक एक ही सचिव के पदस्थ रहने से कई तरह की चुनौतियां खड़ी हो जाती हैं। अक्सर ऐसे सचिव स्थानीय राजनीति और निहित स्वार्थों से गहरे जुड़ जाते हैं, जिससे प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता की कमी और भ्रष्टाचार की आशंका बढ़ जाती है। सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पक्षपात, मनमानी और जवाबदेही की कमी जैसी शिकायतें आम हो जाती हैं। इन तबादलों का सीधा और स्पष्ट मकसद इस जड़ता को तोड़ना, प्रशासनिक दक्षता को बढ़ाना और यह सुनिश्चित करना है कि सरकारी सेवाएं बिना किसी भेदभाव के सभी नागरिकों तक पहुंचें। सीईओ तिवारी ने जोर देकर कहा है कि इस बदलाव से पंचायतों के प्रशासनिक कार्यों में नई ऊर्जा का संचार होगा और जनता के प्रति जवाबदेही का स्तर बढ़ेगा।
प्रभारी मंत्री की सहमति और सख्त नियम: एक नई प्रशासनिक संस्कृति की शुरुआत
इन तबादलों को अंतिम रूप देने से पहले जिले के प्रभारी मंत्री चैतन्य कश्यप का अनुमोदन प्राप्त किया गया, जो इस बात का संकेत है कि यह निर्णय उच्च स्तर पर सोच-समझकर लिया गया है। तबादला प्रक्रिया में स्थानांतरण नीति के मानदंडों के साथ-साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों की राय को भी महत्व दिया गया है, ताकि यह प्रक्रिया निष्पक्ष और संतुलित बनी रहे।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इस बार तबादला आदेशों के साथ कुछ कड़े नियम भी लागू किए गए हैं, जो भविष्य में किसी भी प्रकार की अनियमितता को रोकने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। स्थानांतरित किए गए सभी सचिवों को 14 दिनों के भीतर अपनी नई पदस्थापना पर कार्यभार ग्रहण करना अनिवार्य होगा। इस समय-सीमा का पालन न करने वाले सचिवों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यह स्पष्ट संदेश है कि अधिकारी अपनी नई जिम्मेदारी को गंभीरता से लें।
हितों के टकराव पर लगाम: पारदर्शिता की नई मिसाल
इस बार के तबादलों में एक अभिनव और बेहद महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़ा गया है, जो हितों के टकराव (Conflict of Interest) को रोकने के लिए है। यदि किसी सचिव का तबादला ऐसी पंचायत में होता है जहाँ उसके नातेदार या ससुराल वाले पंचायत पदाधिकारी हैं, या वह पंचायत उसका पैतृक गांव है, तो ऐसे ट्रांसफर को स्वतः निरस्त माना जाएगा। यह नियम सुनिश्चित करता है कि सचिवों की पदस्थापना पूरी तरह से निष्पक्ष हो और किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत या पारिवारिक प्रभाव से मुक्त रहे। यह प्रावधान मध्य प्रदेश के ग्रामीण प्रशासन में पारदर्शिता और अखंडता की एक नई मिसाल कायम करेगा।
भोपाल जिले में कुल 222 ग्राम पंचायतें हैं, जो बैरसिया और फंदा नामक दो जनपद पंचायतों के अंतर्गत आती हैं। ये सभी 30 तबादले इन्हीं क्षेत्रों में किए गए हैं। अधिकारी सूत्रों के अनुसार, अभी कुछ और पंचायत सचिव भी स्थानांतरण के दायरे में हैं, और उनकी दूसरी सूची 17 जून से पहले जारी होने की संभावना है, जिससे यह 'प्रशासनिक सफाई अभियान' जारी रहेगा। यह कदम मध्य प्रदेश में सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन की दिशा में एक बड़ा और निर्णायक कदम है, जिसका सीधा लाभ ग्रामीण जनता को मिलेगा।