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किसानों के लिए बड़ी खबर: नकली खाद से ऐसे बचें, इन 5 तरीकों से करें असली खाद की पहचान; नहीं होगा फसल को नुकसान nukasan Aajtak24 News |
नई दिल्ली - मौजूदा समय में नकली खाद की बिक्री किसानों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई है। मिलावट के इस दौर में नकली खाद का उपयोग न सिर्फ फसल के उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित करता है, बल्कि उसकी गुणवत्ता को भी घटा देता है, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में यह बेहद ज़रूरी है कि किसान अपनी फसलों के लिए सही और असली खाद का ही चुनाव करें। कृषि विशेषज्ञों और अनुभवी किसानों द्वारा सुझाए गए कुछ आसान तरीकों से अब आप कुछ ही मिनटों में अपनी खाद की शुद्धता की पहचान कर सकते हैं। यह जानकारी उन पांच प्रमुख खादों पर केंद्रित है जिनका उपयोग किसान अक्सर करते हैं।
1. असली यूरिया की पहचान: चमक, घुलनशीलता और ताप परीक्षण
यूरिया खेती में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली खाद में से एक है। इसकी असली पहचान करना बेहद आसान है:
- दाने: असली यूरिया के दाने सफ़ेद, चमकदार और लगभग एक समान आकार के होते हैं।
- घुलनशीलता: इसे पानी में डालने पर यह पूरी तरह से घुल जाता है।
- तापमान: यूरिया के घोल को छूने पर उसमें ठंडेपन का अहसास होता है, जो इसकी शुद्धता की निशानी है।
- ताप परीक्षण: एक तवे पर यूरिया के दानों को गर्म करने पर वे पिघल जाते हैं। आंच तेज़ करने पर यह पूरी तरह से गायब हो जाता है और कोई अवशेष नहीं छोड़ता। यदि अवशेष बचता है, तो खाद में मिलावट हो सकती है।
2. असली पोटाश की पहचान: रंग, कठोरता और पानी में व्यवहार
पोटाश फसल की वृद्धि और गुणवत्ता के लिए महत्वपूर्ण है। इसकी पहचान के लिए इन बातों का ध्यान रखें:
- स्वरूप: असली पोटाश सफ़ेद और कठोर होता है। यह नमक और लाल मिर्च के मिश्रण जैसा दिखता है।
- आसंजन: पोटाश के कुछ दानों को हल्का नम करें। यदि ये आपस में नहीं चिपकते हैं, तो समझ लें कि ये असली पोटाश है।
- पानी में व्यवहार: पोटाश पानी में घुलने पर लाल रंग का होकर ऊपर तैरता है। यह इसकी एक विशिष्ट पहचान है।
3. जिंक सल्फेट की पहचान: रंग और डीएपी घोल के साथ प्रतिक्रिया
जिंक सल्फेट सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसकी पहचान थोड़ी सूक्ष्म हो सकती है, लेकिन कुछ तरीके प्रभावी हैं:
- दाने: असली जिंक सल्फेट के दाने हल्के सफ़ेद, पीले या भूरे रंग के होते हैं और बेहद बारीक होते हैं।
- मिलावट: अक्सर जिंक सल्फेट में मैग्नीशियम सल्फेट मिलाया जाता है। इसकी पहचान के लिए, डीएपी के घोल में जिंक सल्फेट का घोल मिलाएं। यदि यह थक्केदार बन जाता है, तो यह असली जिंक सल्फेट होने की संभावना अधिक है।
4. असली डीएपी की पहचान: गंध, ताप और कठोरता परीक्षण
डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) फॉस्फोरस का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसकी पहचान के लिए इन बातों का ध्यान रखें:
- गंध परीक्षण: डीएपी को तंबाकू की तरह चूना मिलाकर मलें। अगर इसमें से तेज़ गंध आती है, तो वह असली है।
- ताप परीक्षण: तेज़ आंच वाले तवे पर डीएपी के दानों को गर्म करने पर वे फूलने लगते हैं। यह इसकी शुद्धता की निशानी है।
- दाने: असली डीएपी के दाने कुछ कठोर, भूरे-काले और बादामी रंग के होते हैं। नाखून से नोचने पर ये आसानी से टूटते नहीं हैं।
5. सुपर फास्फेट की पहचान: ताप परीक्षण और कठोरता
सुपर फास्फेट भी फॉस्फोरस युक्त एक महत्वपूर्ण खाद है। इसकी पहचान के लिए यह तरीका अपनाएं:
- दाने: असली सुपर फास्फेट के दाने सख़्त, भूरे और काले बादामी रंग के होते हैं।
- ताप परीक्षण: इसकी जांच के लिए सुपर फास्फेट के कुछ दानों को गर्म करें। यदि ये दाने नहीं फूलते हैं, तो समझ लें कि यही असली सुपर फास्फेट है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि डीएपी और अन्य कई खादों के दाने गर्म करने पर फूल जाते हैं, जबकि सुपर फास्फेट के दाने नहीं फूलते। यह विशेषता नकली या मिलावटी सुपर फास्फेट की पहचान में सहायक होती है।
इन आसान तरीकों को अपनाकर किसान भाई नकली खाद के जाल से बच सकते हैं और अपनी फसलों के लिए सही पोषक तत्वों का चुनाव कर बेहतर उत्पादन और गुणवत्ता सुनिश्चित कर सकते हैं। यह जानकारी हर किसान तक पहुंचाना बेहद आवश्यक है ताकि उनका नुकसान रोका जा सके।